Comments - नया विश्व .. - Open Books Online2024-03-28T11:54:56Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A308542&xn_auth=noSaurabh ji aapka ishara kis b…tag:openbooksonline.com,2013-02-06:5170231:Comment:3154702013-02-06T13:04:40.728ZAnwesha Anjushreehttp://openbooksonline.com/profile/AnweshaAnjushree
<p>Saurabh ji aapka ishara kis bindu ko tha., maine samjha hai...bus baat yeh hai ki aapka aur mera najariya kaafi alag hai...we all r individuals and its not possible to have same thinking...so it wud be better if I respect ur thinking and U do mine....Thanks for commenting Sir </p>
<p>Saurabh ji aapka ishara kis bindu ko tha., maine samjha hai...bus baat yeh hai ki aapka aur mera najariya kaafi alag hai...we all r individuals and its not possible to have same thinking...so it wud be better if I respect ur thinking and U do mine....Thanks for commenting Sir </p> अन्वेषाजी, आपने मेरे कहे के स…tag:openbooksonline.com,2013-01-16:5170231:Comment:3089972013-01-16T12:32:10.674ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>अन्वेषाजी, आपने मेरे कहे के सिरे को सही पकडा है. इसी विन्दु की तरफ़ इशारा था.</p>
<p>सादर</p>
<p>अन्वेषाजी, आपने मेरे कहे के सिरे को सही पकडा है. इसी विन्दु की तरफ़ इशारा था.</p>
<p>सादर</p> //दुष्कर्म करने वाले लोग या…tag:openbooksonline.com,2013-01-16:5170231:Comment:3089012013-01-16T11:44:45.027ZAnwesha Anjushreehttp://openbooksonline.com/profile/AnweshaAnjushree
<p><span> //दुष्कर्म करने वाले लोग या तो अशिक्षित घरो के होते है या ऐसे घरो के जहाँ स्त्री का सम्मान नहीं होता //</span></p>
<div><span>सौरभ जी, आमतौर पर मैंने देखा है तीन </span><span>तरह के लोग दुष्कर्म में लिप्त होते है ! </span></div>
<div>1. अशिक्षित बेरोजगार , जो दुनिया से दुखी और असंतुष्ट होते है !</div>
<div>2. मानसिक रूप से जो स्वस्थ नहीं होते !</div>
<div>3. या फिर "समृद्ध" परिवार से युक्त --</div>
<div> समृद्ध किन्हें कहते है ? धन से संपन्न लोग हमेशा समृद्ध नहीं होते। मैंने ऐसे घरों…</div>
<p><span> //दुष्कर्म करने वाले लोग या तो अशिक्षित घरो के होते है या ऐसे घरो के जहाँ स्त्री का सम्मान नहीं होता //</span></p>
<div><span>सौरभ जी, आमतौर पर मैंने देखा है तीन </span><span>तरह के लोग दुष्कर्म में लिप्त होते है ! </span></div>
<div>1. अशिक्षित बेरोजगार , जो दुनिया से दुखी और असंतुष्ट होते है !</div>
<div>2. मानसिक रूप से जो स्वस्थ नहीं होते !</div>
<div>3. या फिर "समृद्ध" परिवार से युक्त --</div>
<div> समृद्ध किन्हें कहते है ? धन से संपन्न लोग हमेशा समृद्ध नहीं होते। मैंने ऐसे घरों को भी देखा है जहाँ धन तो है, संस्कार नहीं ! लोग महिलाओं को " comodity " की तरह समझते है ! "समृद्ध" कहे जाने वाले ऐसे घरों में पैसे की भरमार होती है , यहाँ जनम लेकर जो बड़े होते है वे घर में भी महिलाओ का असम्मान करना सीखते है ! उन्हें अनियंत्रित जीवन की आदत होती है ! वे सामान्य जीवन और उसकी जरूरतों से वाकिफ नहीं होते ! उन्हें न नौकरी की जरुरत होती है, न उनके लिए कानून का <span>डर</span> होता है ! उनके पास धन होता है और उससे वो सब खरीद पाने का ख्याल रखते है ! <span> आपने जिन नामो का जिक्र किया, ध्यान दे ये लोग उसी " समृद्ध " परिवार से है !</span></div>
<p><span>एक स्वस्थ दिमाग , स्वस्थ जीवन का निर्माण शिक्षा और संस्कार ही दे सकता है ! और मनुष्य को प्रथम शिक्षा तो माँ से ही मिलता है ! एक सुसंस्कृत माँ के प्रभाव को इनकार नहीं किया जा सकता ! माँ शिक्षित होने से धन से धनी घर संस्कार से भी समृद्ध होता है ! बच्चे शिक्षित होते है और बेरोजगारी या तो नहीं रहती या उसका हल निकल आता है ! </span><span> </span></p>
<div><span>मानसिक रूप से अस्वस्थ मनुष्य को तो कानून भी दोषी नहीं ठहराता !</span></div> //आप देखेंगे की दुष्कर्म में…tag:openbooksonline.com,2013-01-15:5170231:Comment:3090222013-01-15T17:13:48.978ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>//आप देखेंगे की दुष्कर्म में पकडे जाने वाले ज्यादातर अशिक्षित घर से होते है या ऐसे घरो से होते है जहाँ स्त्री का सम्मान नहीं होता।//</p>
<p>ऐसा हमेशा नहीं है, अन्वेषाजी. यह एक विशेष मानसिकता के तहत होता है. अभी जो कुछ काण्ड तुरत दिमाग़ में आ रहे हैं वे मधुमिता या जेसिका या नुपूर या बिहार की अति प्रसिद्ध बेबी के काण्ड या नागमणी प्रसंग आदि याद आ रहे हैं. यह अत्यंत समृद्ध घरों से ताल्लुक रखते लोगों से संबंधित हैं. </p>
<p>//आप देखेंगे की दुष्कर्म में पकडे जाने वाले ज्यादातर अशिक्षित घर से होते है या ऐसे घरो से होते है जहाँ स्त्री का सम्मान नहीं होता।//</p>
<p>ऐसा हमेशा नहीं है, अन्वेषाजी. यह एक विशेष मानसिकता के तहत होता है. अभी जो कुछ काण्ड तुरत दिमाग़ में आ रहे हैं वे मधुमिता या जेसिका या नुपूर या बिहार की अति प्रसिद्ध बेबी के काण्ड या नागमणी प्रसंग आदि याद आ रहे हैं. यह अत्यंत समृद्ध घरों से ताल्लुक रखते लोगों से संबंधित हैं. </p> बागी जी , राजेश कुमारी जी , अ…tag:openbooksonline.com,2013-01-15:5170231:Comment:3089372013-01-15T12:05:41.556ZAnwesha Anjushreehttp://openbooksonline.com/profile/AnweshaAnjushree
<p><span>बागी जी , राजेश कुमारी जी , अशोक कुमार जीजी, संदीप कुमार जी ...आप सभी ने पसंद किया ...</span><span>बहुत बहुत शुक्रिया !</span></p>
<div><br></br><div>सौरभ जी ,आपके सुझाव का शुक्रिया। युगों से भारत में महिलाएं प्रताड़ित ही हुई है ! राम राज्य कहे या आज का राज, कुछ खास फर्क है कहाँ ? मानसिक यातनाएं, बलात्कार, शारीरिक यातनाये, दहेज़ के लिए जलाना अब रोज की बात हो गयी है, मैंने समाधान ढुंढने का प्रयत्न किया है ! आज जहाँ भी पढ़ती हूँ लोग सिर्फ हाय हाय करते नजर आते है, समाधान की बात तो कोई…</div>
</div>
<p><span>बागी जी , राजेश कुमारी जी , अशोक कुमार जीजी, संदीप कुमार जी ...आप सभी ने पसंद किया ...</span><span>बहुत बहुत शुक्रिया !</span></p>
<div><br/><div>सौरभ जी ,आपके सुझाव का शुक्रिया। युगों से भारत में महिलाएं प्रताड़ित ही हुई है ! राम राज्य कहे या आज का राज, कुछ खास फर्क है कहाँ ? मानसिक यातनाएं, बलात्कार, शारीरिक यातनाये, दहेज़ के लिए जलाना अब रोज की बात हो गयी है, मैंने समाधान ढुंढने का प्रयत्न किया है ! आज जहाँ भी पढ़ती हूँ लोग सिर्फ हाय हाय करते नजर आते है, समाधान की बात तो कोई करता ही नहीं ! अगर कुछ कहते है तो बस यह की कानून बदलो ! जब की सच्चाई यह है की आज संस्कार का अभाव साफ़ नजर आता है ! आप देखेंगे की दुष्कर्म में पकडे जाने वाले ज्यादातर अशिक्षित घर से होते है या ऐसे घरो से होते है जहाँ स्त्री का सम्मान नहीं होता। एक शिक्षित माँ का प्रभाव एक शिशु के लिए बहुत आवश्यक है। मैं एक शिक्षिका हूँ और मैंने यह देखा है माँ के अशिक्षित होने से बच्चे के आचरण में फर्क दीखता है ! बयानबाजी तो नेता करते है, मैंने तो सीधी बात की ! हाँ, जोश के साथ कही है और कुछ करना भी चाहती हूँ और कर भी रही हूँ ! नमन </div>
</div> समीप है वह दिन
जब सब कहेंगे…tag:openbooksonline.com,2013-01-15:5170231:Comment:3087482013-01-15T10:37:50.913ZSANDEEP KUMAR PATELhttp://openbooksonline.com/profile/SANDEEPKUMARPATEL
<div style="color: #000000; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: medium; font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: 28px; orphans: 2; text-align: start; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px; -webkit-text-size-adjust: auto; -webkit-text-stroke-width: 0px;"><p>समीप है वह दिन </p>
<p>जब सब कहेंगे ,आहा ! यह विश्व है मनभावन !</p>
<p>और गर्व से कहोगी तुम ,</p>
<p> हाँ !…</p>
</div>
<div style="color: #000000; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: medium; font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: 28px; orphans: 2; text-align: start; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px; -webkit-text-size-adjust: auto; -webkit-text-stroke-width: 0px;"><p>समीप है वह दिन </p>
<p>जब सब कहेंगे ,आहा ! यह विश्व है मनभावन !</p>
<p>और गर्व से कहोगी तुम ,</p>
<p> हाँ ! मैं जननी हूँ </p>
मैंने किया है इस नव विश्व का सृजन ! <strong> </strong></div>
<div style="color: #000000; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: medium; font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: 28px; orphans: 2; text-align: start; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px; -webkit-text-size-adjust: auto; -webkit-text-stroke-width: 0px;">वाह </div>
<div style="color: #000000; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: medium; font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: 28px; orphans: 2; text-align: start; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px; -webkit-text-size-adjust: auto; -webkit-text-stroke-width: 0px;">बहुत सुन्दर भाव पूर्ण रचना के लिए बधाई आपको</div> प्रबुद्ध विचारों से जन्मी इस…tag:openbooksonline.com,2013-01-15:5170231:Comment:3088182013-01-15T05:47:17.709ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>प्रबुद्ध विचारों से जन्मी इस रचना के लिए हार्दिक धन्यवाद, अन्वेषाजी. रचना के भाव और उद्येश्य बहुत ही सकारात्मक हैं. इसकी प्रस्तुति को सीधी-सपाट बयानबाज़ी से थोड़ा बचाना था. लेकिन यह भी सत्य है कि परिस्थितिजन्य भाव कभी-कभी इंगितों में नहीं मुखर हो कर ही असरदार हुआ प्रतीत होते हैं. इस लिहाज़ से आपकी रचना उचित भी बन पड़ी है.</p>
<p><em>समीप है वह दिन</em> <br></br> <em>जब सब कहेंगे ,आहा ! यह विश्व है मनभावन !</em><br></br> <em>और गर्व से कहोगी तुम ,</em><br></br> <em>हाँ ! मैं जननी हूँ</em> <br></br> <em>मैंने…</em></p>
<p>प्रबुद्ध विचारों से जन्मी इस रचना के लिए हार्दिक धन्यवाद, अन्वेषाजी. रचना के भाव और उद्येश्य बहुत ही सकारात्मक हैं. इसकी प्रस्तुति को सीधी-सपाट बयानबाज़ी से थोड़ा बचाना था. लेकिन यह भी सत्य है कि परिस्थितिजन्य भाव कभी-कभी इंगितों में नहीं मुखर हो कर ही असरदार हुआ प्रतीत होते हैं. इस लिहाज़ से आपकी रचना उचित भी बन पड़ी है.</p>
<p><em>समीप है वह दिन</em> <br/> <em>जब सब कहेंगे ,आहा ! यह विश्व है मनभावन !</em><br/> <em>और गर्व से कहोगी तुम ,</em><br/> <em>हाँ ! मैं जननी हूँ</em> <br/> <em>मैंने किया है इस नव विश्व का सृजन !</em></p>
<p>सकारात्मक सोच और शुभ स्वप्न की भावनाओं को उत्सर्जित करती उपरोक्त पंक्तियाँ इस रचना की आत्मा हैं.</p>
<p>शुभकामनाएँ व बधाई</p>
<p></p>
<p><strong>एक बात :</strong> <em>विश्व को अपने विचारों से अवगत करो</em> के स्थान पर <strong>विश्व को अपने विचारों से अवगत कराओ</strong> उचित वाक्य होगा न ! दूसरे, किसी शब्द में ’ता’ प्रत्यय जुड़ जाय तो वह संज्ञा स्त्रीलिंग की तरह व्यवहृत होती है. प्रयुक्त शब्द <em>कुतिस्तता</em> के लिए ऐसा कह रहा हूँ. </p>
<p>सादर</p> सुन्दर रचना आदरेया, सच है आज…tag:openbooksonline.com,2013-01-14:5170231:Comment:3086702013-01-14T17:48:19.381ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>सुन्दर रचना आदरेया, सच है आज संसकारों कि शिक्षा कि जरूरत बहुत शिद्दत से कि जा रही है. बधाई स्वीकारें.</p>
<p>सुन्दर रचना आदरेया, सच है आज संसकारों कि शिक्षा कि जरूरत बहुत शिद्दत से कि जा रही है. बधाई स्वीकारें.</p> सीधे मन से निकले सार्थक आशावा…tag:openbooksonline.com,2013-01-14:5170231:Comment:3084922013-01-14T13:37:36.680Zrajesh kumarihttp://openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p><span>सीधे मन से निकले सार्थक आशावादी भाव से सराबोर इस रचना हेतु बधाई घर से ही नव समाज नव विश्व की नींव रखी </span><span> जाए </span></p>
<p><span>सीधे मन से निकले सार्थक आशावादी भाव से सराबोर इस रचना हेतु बधाई घर से ही नव समाज नव विश्व की नींव रखी </span><span> जाए </span></p> और गर्व से कहोगी तुम , हाँ !…tag:openbooksonline.com,2013-01-14:5170231:Comment:3085732013-01-14T10:43:25.075ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>और गर्व से कहोगी तुम ,<br/> हाँ ! मैं जननी हूँ <br/> मैंने किया है इस नव विश्व का सृजन !</p>
<p>वाह वाह, क्या बात कही है आदरणीया, हम सुधरेंगे जग सुधरेगा, बात तो सही है , सुधार अपने घर से होना चाहिए, किन्तु यह भी सही है कि, जहाँ राम वहाँ रावण, जहाँ कृष्ण वहाँ कंस और साधु के संग शैतान भी जन्म लेते रहे हैं ।</p>
<p>एक अच्छी रचना पर बधाई स्वीकार करें आदरणीया ।</p>
<p></p>
<p>और गर्व से कहोगी तुम ,<br/> हाँ ! मैं जननी हूँ <br/> मैंने किया है इस नव विश्व का सृजन !</p>
<p>वाह वाह, क्या बात कही है आदरणीया, हम सुधरेंगे जग सुधरेगा, बात तो सही है , सुधार अपने घर से होना चाहिए, किन्तु यह भी सही है कि, जहाँ राम वहाँ रावण, जहाँ कृष्ण वहाँ कंस और साधु के संग शैतान भी जन्म लेते रहे हैं ।</p>
<p>एक अच्छी रचना पर बधाई स्वीकार करें आदरणीया ।</p>
<p></p>