Comments - बदलती नज़रें ...( लघु कथा ) - Open Books Online2024-03-28T15:03:31Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A317361&xn_auth=noऔरत की मजबूरी उससे क्या न कर…tag:openbooksonline.com,2013-02-27:5170231:Comment:3248702013-02-27T08:10:03.414ZMeena Pathakhttp://openbooksonline.com/profile/MeenaPathak
<p>औरत की मजबूरी उससे क्या न कर दे .. आप की कहानी दिल को छू गयी उपासना जी बधाई स्वीकारें </p>
<p>औरत की मजबूरी उससे क्या न कर दे .. आप की कहानी दिल को छू गयी उपासना जी बधाई स्वीकारें </p> आदरणीया उपासना जी
बदलती नज़रे…tag:openbooksonline.com,2013-02-21:5170231:Comment:3220022013-02-21T17:11:09.382Zवेदिकाhttp://openbooksonline.com/profile/vedikagitika
<p>आदरणीया उपासना जी </p>
<p>बदलती नज़रें ... बदलती नियति .... समाज का शोषण , समाज के ही द्वारा .. मार्मिक ह्रदय दशा का वर्णन </p>
<p></p>
<p>शुभकामनाएं </p>
<p>सादर </p>
<p>आदरणीया उपासना जी </p>
<p>बदलती नज़रें ... बदलती नियति .... समाज का शोषण , समाज के ही द्वारा .. मार्मिक ह्रदय दशा का वर्णन </p>
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<p>शुभकामनाएं </p>
<p>सादर </p> उपासना जी कमाल की लेखनी ...कम…tag:openbooksonline.com,2013-02-21:5170231:Comment:3219992013-02-21T17:02:11.763Zनादिर ख़ानhttp://openbooksonline.com/profile/Nadir
<p>उपासना जी कमाल की लेखनी ...कम शब्दों मे गहरी बात कह दी अपने बहुत खूब.......</p>
<p>उपासना जी कमाल की लेखनी ...कम शब्दों मे गहरी बात कह दी अपने बहुत खूब.......</p> उपासना जी कथा मन को छू गई…tag:openbooksonline.com,2013-02-15:5170231:Comment:3184552013-02-15T05:01:09.846Zmrs manjari pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/mrsmanjaripandey
<p> उपासना जी कथा मन को छू गई। समाज की स्थिति वैचारिक मंथन का समावेश द्रष्टव्य है।</p>
<p> उपासना जी कथा मन को छू गई। समाज की स्थिति वैचारिक मंथन का समावेश द्रष्टव्य है।</p> उद्देश्यपूर्ण कहानी के लिए आप…tag:openbooksonline.com,2013-02-14:5170231:Comment:3182872013-02-14T18:00:25.950ZSarita Sinhahttp://openbooksonline.com/profile/SaritaSinha
<p>उद्देश्यपूर्ण कहानी के लिए आपको बधाई उपासना जी..<br/>कोई भी लड़की खुशी से यह पेशा नही अपनाती होगी, लेकिन कुछ और भी रास्ते होते होंगे...गंदी नज़रों से खुद को बचाना सिर्फ़ और सिर्फ़ स्त्री का ही विकल्प होता है .....<br/>सोचने पर मजबूर करती कथा ...</p>
<p>उद्देश्यपूर्ण कहानी के लिए आपको बधाई उपासना जी..<br/>कोई भी लड़की खुशी से यह पेशा नही अपनाती होगी, लेकिन कुछ और भी रास्ते होते होंगे...गंदी नज़रों से खुद को बचाना सिर्फ़ और सिर्फ़ स्त्री का ही विकल्प होता है .....<br/>सोचने पर मजबूर करती कथा ...</p> उपासना जी इस कहानी के विषय मे…tag:openbooksonline.com,2013-02-14:5170231:Comment:3182772013-02-14T14:14:17.861Zrajesh kumarihttp://openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>उपासना जी इस कहानी के विषय में क्या कहूँ अन्दर तक झकझोर गई पुरुष वर्ग कि दोहरी मानसिकता को बखूबी दर्शाया गया है कहानी में जो एक सच्चाई है आपको हार्दिक बधाई इस बेहतरीन प्रस्तुति पर </p>
<p>उपासना जी इस कहानी के विषय में क्या कहूँ अन्दर तक झकझोर गई पुरुष वर्ग कि दोहरी मानसिकता को बखूबी दर्शाया गया है कहानी में जो एक सच्चाई है आपको हार्दिक बधाई इस बेहतरीन प्रस्तुति पर </p> आदरणीय अरुणा जी ..मजबूरी क्या…tag:openbooksonline.com,2013-02-14:5170231:Comment:3181052013-02-14T13:16:21.989Zupasna siaghttp://openbooksonline.com/profile/upasbasiag
<p>आदरणीय अरुणा जी ..मजबूरी क्या नहीं करवाती ,फिर हर एक का अपना नजरिया की कौन कैसे पैसे कमाता है . हो सकता है उर्वशी को वही तरीका ज्यादा अच्छा समझ आया हो ....आपकी सराहना का हार्दिक धन्यवाद जी </p>
<p>आदरणीय अरुणा जी ..मजबूरी क्या नहीं करवाती ,फिर हर एक का अपना नजरिया की कौन कैसे पैसे कमाता है . हो सकता है उर्वशी को वही तरीका ज्यादा अच्छा समझ आया हो ....आपकी सराहना का हार्दिक धन्यवाद जी </p> आदरणीय गणेश जी , यह तो सत्य ह…tag:openbooksonline.com,2013-02-14:5170231:Comment:3183512013-02-14T13:14:00.865Zupasna siaghttp://openbooksonline.com/profile/upasbasiag
<p>आदरणीय गणेश जी , यह तो सत्य ही है की कोई अपनी बहन बेटियों को स्टेज पर नाचते क्यूँ देखना चाहेगा और कोई भी हीरो या हीरोइन को भाई या बहन क्यूँ समझेगा ...यहाँ बात तो औरत को औरत समझने की है ना की देह मात्र ही ...रिश्ते बदलते ही नज़रे बदल क्यूँ गयी ....उर्वशी तो मात्र कलाकार थी और कला बेच रही थी तो क्या देखने वालों की नज़रों में सिर्फ कला की प्रसंशा नहीं होनी चाहिए थी ....<br/>आपकी सराहना का हार्दिक धन्यवाद जी ....</p>
<p>आदरणीय गणेश जी , यह तो सत्य ही है की कोई अपनी बहन बेटियों को स्टेज पर नाचते क्यूँ देखना चाहेगा और कोई भी हीरो या हीरोइन को भाई या बहन क्यूँ समझेगा ...यहाँ बात तो औरत को औरत समझने की है ना की देह मात्र ही ...रिश्ते बदलते ही नज़रे बदल क्यूँ गयी ....उर्वशी तो मात्र कलाकार थी और कला बेच रही थी तो क्या देखने वालों की नज़रों में सिर्फ कला की प्रसंशा नहीं होनी चाहिए थी ....<br/>आपकी सराहना का हार्दिक धन्यवाद जी ....</p> ...क्या 'उर्वशी' उस परिवार का…tag:openbooksonline.com,2013-02-14:5170231:Comment:3181232013-02-14T06:36:55.335ZAruna Kapoorhttp://openbooksonline.com/profile/ArunaKapoor
<p>...क्या 'उर्वशी' उस परिवार का भरण पोषण करती है है..जिसने उसे इस हद तक नीचे गिरा दिया,कि उसे अपना नाम तक याद नहीं!</p>
<p>...कैसे कैसे परिवार है जो बेटियों का अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करते है!...इस लघुकथा में जमीनी सच्चाई है....बहुत बहुत बधाई!</p>
<p>...क्या 'उर्वशी' उस परिवार का भरण पोषण करती है है..जिसने उसे इस हद तक नीचे गिरा दिया,कि उसे अपना नाम तक याद नहीं!</p>
<p>...कैसे कैसे परिवार है जो बेटियों का अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करते है!...इस लघुकथा में जमीनी सच्चाई है....बहुत बहुत बधाई!</p> लघुकथा अपने पीछे गहरे भाव छोड…tag:openbooksonline.com,2013-02-13:5170231:Comment:3176622013-02-13T16:23:12.494ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>लघुकथा अपने पीछे गहरे भाव छोडती हैं, मैं कई कई प्रश्नों से एक साथ घिर गया ......</p>
<p></p>
<p>क्या शादी विवाह में नाचने वाली प्रोफेशनल लड़कियों में बहन बेटी को देख सकेंगे ?</p>
<p>क्या कैटरिना , करीना .......की फिल्मे देखते हुये उनमे बहन का रूप देखना आसान होगा ?</p>
<p>कितनी लड़कियां सलमान खान में भाई का रूप देखती हैं ?</p>
<p></p>
<p>खैर मैं उत्तर ढूँढना बंद कर दिया, :-)</p>
<p>लघुकथा अच्छी है , बधाई स्वीकार करें । </p>
<p>लघुकथा अपने पीछे गहरे भाव छोडती हैं, मैं कई कई प्रश्नों से एक साथ घिर गया ......</p>
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<p>क्या शादी विवाह में नाचने वाली प्रोफेशनल लड़कियों में बहन बेटी को देख सकेंगे ?</p>
<p>क्या कैटरिना , करीना .......की फिल्मे देखते हुये उनमे बहन का रूप देखना आसान होगा ?</p>
<p>कितनी लड़कियां सलमान खान में भाई का रूप देखती हैं ?</p>
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<p>खैर मैं उत्तर ढूँढना बंद कर दिया, :-)</p>
<p>लघुकथा अच्छी है , बधाई स्वीकार करें । </p>