Comments - तोटकाष्टकम् - दुर्मिल वृत छंद का समूह-गायन - Open Books Online2024-03-29T11:25:28Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A334071&xn_auth=noआदरणीय सौरभ जी सादर, इस दुर्म…tag:openbooksonline.com,2013-04-05:5170231:Comment:3411932013-04-05T07:55:25.401ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय सौरभ जी सादर, इस दुर्मिल गायन में भगवान् शिव शंकर की अति कर्ण प्रिय स्तुति को क्या डाऊनलोड कर पाना सम्भव है? यदि हाँ तो फिर उपाय भी सुझाएँ. क्योंकि इसे एक दो बार सुनकर मन नहीं भर सकता.सादर.</p>
<p>आदरणीय सौरभ जी सादर, इस दुर्मिल गायन में भगवान् शिव शंकर की अति कर्ण प्रिय स्तुति को क्या डाऊनलोड कर पाना सम्भव है? यदि हाँ तो फिर उपाय भी सुझाएँ. क्योंकि इसे एक दो बार सुनकर मन नहीं भर सकता.सादर.</p> अद्दभुत- अद्दभुत!!मधुर कर्ण…tag:openbooksonline.com,2013-04-05:5170231:Comment:3413402013-04-05T05:23:20.863Zrajesh kumarihttp://openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p><span>अद्दभुत- अद्दभुत!!मधुर </span><span> कर्ण प्रिय आधुनिक वाद्य यंत्रो और मधुर आवाजो के संगम </span><span>ने संस्कृत के उत्कृष्ट </span><span>छंदों के साथ पूर्णतः न्याय किया है बहुत पसंद आया देर से सुना, आपके इसे पोस्ट करने के वक़्त बाहर थी इसलिए मिस हुआ आज नूतन जी के कमेन्ट को देख कर ध्यान गया अब तक दो तीन बार तो सुन चुकी हूँ इसका अर्थ समझने की कोशिश में हूँ सुबह सुबह ऐसी भगवान् शंकर स्तुति को रोज </span><span>सुने तो कितना अच्छा दिन बीतेगा ।ह्रदय से आभार इसे शेयर करने के लिए आदरणीय सौरभ…</span></p>
<p><span>अद्दभुत- अद्दभुत!!मधुर </span><span> कर्ण प्रिय आधुनिक वाद्य यंत्रो और मधुर आवाजो के संगम </span><span>ने संस्कृत के उत्कृष्ट </span><span>छंदों के साथ पूर्णतः न्याय किया है बहुत पसंद आया देर से सुना, आपके इसे पोस्ट करने के वक़्त बाहर थी इसलिए मिस हुआ आज नूतन जी के कमेन्ट को देख कर ध्यान गया अब तक दो तीन बार तो सुन चुकी हूँ इसका अर्थ समझने की कोशिश में हूँ सुबह सुबह ऐसी भगवान् शंकर स्तुति को रोज </span><span>सुने तो कितना अच्छा दिन बीतेगा ।ह्रदय से आभार इसे शेयर करने के लिए आदरणीय सौरभ जी ।</span></p> आदरणीय सौरभ जी ! बहुत आनंद आ…tag:openbooksonline.com,2013-04-05:5170231:Comment:3411802013-04-05T04:01:40.600Zडॉ नूतन डिमरी गैरोलाhttp://openbooksonline.com/profile/3t5r6erq96iiw
<p>आदरणीय सौरभ जी ! बहुत आनंद आ गया सुबह सुबह तोटकाष्टम सुन कर ... और उसके बारे में जान कर ... सस्वर छंद की जानकारी ज्ञानप्रद भी है और आध्यात्मिक भी है.... सादर धन्यवाद </p>
<p>आदरणीय सौरभ जी ! बहुत आनंद आ गया सुबह सुबह तोटकाष्टम सुन कर ... और उसके बारे में जान कर ... सस्वर छंद की जानकारी ज्ञानप्रद भी है और आध्यात्मिक भी है.... सादर धन्यवाद </p> आदरणीय सौरभ जी सादर, अहा आनंद…tag:openbooksonline.com,2013-03-17:5170231:Comment:3349202013-03-17T17:00:39.022ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय सौरभ जी सादर, अहा आनंद आ गया दुर्मिल सवैये को संगीत के साथ सुनना बहुत ही आनंददायक था.आपका बहुत बहुत आभार.</p>
<p>आदरणीय सौरभ जी सादर, अहा आनंद आ गया दुर्मिल सवैये को संगीत के साथ सुनना बहुत ही आनंददायक था.आपका बहुत बहुत आभार.</p> आदरणीय सौरभ जी बड़ी ज्ञानवर्ध…tag:openbooksonline.com,2013-03-17:5170231:Comment:3348262013-03-17T16:16:07.558Zmrs manjari pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/mrsmanjaripandey
<p> आदरणीय सौरभ जी बड़ी ज्ञानवर्धक प्रस्तुति . पढ़ कर ह्रदय में शांति लगी।आपाधापी के दौर में ऐसी रचना की ओर ध्यान जाना ही अद्भुत है बधाई पुनः</p>
<p> आदरणीय सौरभ जी बड़ी ज्ञानवर्धक प्रस्तुति . पढ़ कर ह्रदय में शांति लगी।आपाधापी के दौर में ऐसी रचना की ओर ध्यान जाना ही अद्भुत है बधाई पुनः</p> अहोभाग्य! गुरू जी, सस्वर सुनन…tag:openbooksonline.com,2013-03-17:5170231:Comment:3344952013-03-17T11:25:07.313Zकेवल प्रसाद 'सत्यम'http://openbooksonline.com/profile/kewalprasad
<p>अहोभाग्य! गुरू जी, सस्वर सुनने मे आनन्द चार गुना हो गया! अद्भुत ज्योर्तिमय प्रस्तुति!</p>
<p>अहोभाग्य! गुरू जी, सस्वर सुनने मे आनन्द चार गुना हो गया! अद्भुत ज्योर्तिमय प्रस्तुति!</p> सही ध्यान दिलाया, वस्तुतः सु…tag:openbooksonline.com,2013-03-17:5170231:Comment:3343952013-03-17T09:56:39.988ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>सही ध्यान दिलाया, वस्तुतः <strong>सुकृतेऽधिकृते</strong> शुद्ध सामासिक शब्द है जिसे टंकित करते समय भूलवश <strong>ऽ</strong> को पूर्ण <strong>अ</strong> कर <em>अधिकृते</em> लिख दिया.</p>
<p>ऑडियो फ़ाइल के स्वर में <strong>सुकृतेऽधिकृते</strong> ही उच्चारित है. आपने ध्यान भी दिया होगा.</p>
<p></p>
<p>टंकण दोष के प्रति ध्यान खींचने के लिए आपका सादर आभार, आदरणीया. ..</p>
<p></p>
<p>आपको इस तरह की जानकारी साझा करना रुचिकर लगा, यह जान कर मेरा उत्साह भी बहुगुणित हुआ है.</p>
<p>टंकण दोष में सुधार…</p>
<p>सही ध्यान दिलाया, वस्तुतः <strong>सुकृतेऽधिकृते</strong> शुद्ध सामासिक शब्द है जिसे टंकित करते समय भूलवश <strong>ऽ</strong> को पूर्ण <strong>अ</strong> कर <em>अधिकृते</em> लिख दिया.</p>
<p>ऑडियो फ़ाइल के स्वर में <strong>सुकृतेऽधिकृते</strong> ही उच्चारित है. आपने ध्यान भी दिया होगा.</p>
<p></p>
<p>टंकण दोष के प्रति ध्यान खींचने के लिए आपका सादर आभार, आदरणीया. ..</p>
<p></p>
<p>आपको इस तरह की जानकारी साझा करना रुचिकर लगा, यह जान कर मेरा उत्साह भी बहुगुणित हुआ है.</p>
<p>टंकण दोष में सुधार हो गया है.</p>
<p></p>
<p>सादर</p>
<p></p> आदरणीय प्रस्तुत पद में एक संश…tag:openbooksonline.com,2013-03-17:5170231:Comment:3346442013-03-17T09:38:32.495ZDr.Prachi Singhhttp://openbooksonline.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>आदरणीय प्रस्तुत पद में एक संशय है... कृपया निवारण करें .</p>
<p></p>
<p>सुकृते <span style="text-decoration: underline;"><strong>अधिकृते</strong></span> बहुधा भवतो भविता समदर्शनलालसता ।<br/>अतिदीनमिमं परिपालय मां भव शंकर देशिक मे शरणम्॥५॥</p>
<p></p>
<p>क्या "<span><strong>अधिकृते"</strong></span> यही शब्द है, क्योंकि इससे दुर्मिल वृत्त ११२ ११२ का पालन नहीं हो रहा है</p>
<p>आदरणीय प्रस्तुत पद में एक संशय है... कृपया निवारण करें .</p>
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<p>सुकृते <span style="text-decoration: underline;"><strong>अधिकृते</strong></span> बहुधा भवतो भविता समदर्शनलालसता ।<br/>अतिदीनमिमं परिपालय मां भव शंकर देशिक मे शरणम्॥५॥</p>
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<p>क्या "<span><strong>अधिकृते"</strong></span> यही शब्द है, क्योंकि इससे दुर्मिल वृत्त ११२ ११२ का पालन नहीं हो रहा है</p> आदरणीय सौरभ सर ,
मन प्रसन्न ह…tag:openbooksonline.com,2013-03-17:5170231:Comment:3346302013-03-17T07:19:41.737Zram shiromani pathakhttp://openbooksonline.com/profile/ramshiromanipathak
<p><span><span>आदरणीय सौरभ सर ,</span></span></p>
<p><span><span>मन प्रसन्न हो गया सुनकर, सीखने को भी मिला !</span></span></p>
<p><span>सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार आदरणीय. सादर.</span></p>
<p><span><span>आदरणीय सौरभ सर ,</span></span></p>
<p><span><span>मन प्रसन्न हो गया सुनकर, सीखने को भी मिला !</span></span></p>
<p><span>सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार आदरणीय. सादर.</span></p> आदरणीय सौरभ जी,
बहुत ही मुग्…tag:openbooksonline.com,2013-03-17:5170231:Comment:3346242013-03-17T06:19:24.455ZDr.Prachi Singhhttp://openbooksonline.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>आदरणीय सौरभ जी, </p>
<p>बहुत ही मुग्धकारी प्रस्तुति है यह आदरणीय..</p>
<p>दुर्मिल वृत्त की रचनाओं की इतनी सुन्दर गेयता हो सकता है... ये अहसास प्रस्तुत गायन सुनकर ही हुआ.</p>
<p></p>
<p>तोटकाचार्य विरचित <strong>तोटकाष्टकम् नें </strong>बहुत प्रभावित किया..दुर्मिल आवृति में रचना प्रयास को प्रेरित करने वाली इन सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार आदरणीय. सादर.</p>
<p>आदरणीय सौरभ जी, </p>
<p>बहुत ही मुग्धकारी प्रस्तुति है यह आदरणीय..</p>
<p>दुर्मिल वृत्त की रचनाओं की इतनी सुन्दर गेयता हो सकता है... ये अहसास प्रस्तुत गायन सुनकर ही हुआ.</p>
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<p>तोटकाचार्य विरचित <strong>तोटकाष्टकम् नें </strong>बहुत प्रभावित किया..दुर्मिल आवृति में रचना प्रयास को प्रेरित करने वाली इन सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार आदरणीय. सादर.</p>