Comments - अक्षर का संसार - Open Books Online2024-03-29T08:21:26Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A341081&xn_auth=noभावनाओं की अभिव्यक्ति की प्रा…tag:openbooksonline.com,2013-04-14:5170231:Comment:3464862013-04-14T02:15:37.592ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>भावनाओं की अभिव्यक्ति की प्रारंभिक अवस्था शब्दाग्रह ही है. आपकी इस कोशिश पर दिल से बधाई...</p>
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<p>भावनाओं की अभिव्यक्ति की प्रारंभिक अवस्था शब्दाग्रह ही है. आपकी इस कोशिश पर दिल से बधाई...</p>
<p></p> आदरणीया डॉ. नूतन जी,
अक्षरों…tag:openbooksonline.com,2013-04-05:5170231:Comment:3416242013-04-05T13:42:50.194ZDr.Prachi Singhhttp://openbooksonline.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>आदरणीया डॉ. नूतन जी,</p>
<p>अक्षरों का संसार जितना दृश्य व श्रव्य.. उससे कहीं ज्यादा अश्रव्य अनाभिव्यक्त..</p>
<p>पहला आयाम हमारी भावनाओं का जो शब्दाभिव्यक्ति की खोज में अक्षर संसार में कभी शांत तो कभी क्लांत मन ही मन उलझती रहती हैं</p>
<p>और दूसरा हमारे अध्यात्म के ज्ञान से निस्सृत बेहद गहन... कि शब्द नाद ही सृष्टि की अभिव्यक्ति का कारण भी है.</p>
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<p>इस मनस-चिंतन को विस्तार देती अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई </p>
<p>आदरणीया डॉ. नूतन जी,</p>
<p>अक्षरों का संसार जितना दृश्य व श्रव्य.. उससे कहीं ज्यादा अश्रव्य अनाभिव्यक्त..</p>
<p>पहला आयाम हमारी भावनाओं का जो शब्दाभिव्यक्ति की खोज में अक्षर संसार में कभी शांत तो कभी क्लांत मन ही मन उलझती रहती हैं</p>
<p>और दूसरा हमारे अध्यात्म के ज्ञान से निस्सृत बेहद गहन... कि शब्द नाद ही सृष्टि की अभिव्यक्ति का कारण भी है.</p>
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<p>इस मनस-चिंतन को विस्तार देती अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई </p> वाह! शब्द बनना, शब्दों की खाम…tag:openbooksonline.com,2013-04-05:5170231:Comment:3412822013-04-05T07:38:53.075ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>वाह! शब्द बनना, शब्दों की खामोशी को सुनना शब्द शब्द चलना और शब्दों की रो में बह जाना. सुन्दर रचना आदरणीया डॉ. नूतन डिमरी गैरोला जी.</p>
<p>वाह! शब्द बनना, शब्दों की खामोशी को सुनना शब्द शब्द चलना और शब्दों की रो में बह जाना. सुन्दर रचना आदरणीया डॉ. नूतन डिमरी गैरोला जी.</p> आदरणीया, डॉ नूतन डिमरी गैरोला…tag:openbooksonline.com,2013-04-05:5170231:Comment:3412632013-04-05T06:27:09.599Zram shiromani pathakhttp://openbooksonline.com/profile/ramshiromanipathak
<p><span>आदरणीया, डॉ नूतन डिमरी गैरोला जी,.बहुत सुन्दर बधाई स्वीकारें।</span></p>
<p><span>आदरणीया, डॉ नूतन डिमरी गैरोला जी,.बहुत सुन्दर बधाई स्वीकारें।</span></p> //कभी कभी शब्द आकार नहीं लेत…tag:openbooksonline.com,2013-04-05:5170231:Comment:3412592013-04-05T05:12:09.370Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
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<p><span class="font-size-5">//कभी कभी शब्द आकार नहीं लेते</span> <br/> <span class="font-size-5">और मैं बह जाती हूँ अक्षरों में//</span></p>
<p></p>
<p><span class="font-size-5">नूतन जी, यह दो पंक्तियाँ ही बहुत कुछ कह गई हैं।</span></p>
<p><span class="font-size-5">बधाई।</span></p>
<p><span class="font-size-5">सादर,</span></p>
<p><span class="font-size-5">विजय निकोर</span></p>
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<p><span class="font-size-5">//कभी कभी शब्द आकार नहीं लेते</span> <br/> <span class="font-size-5">और मैं बह जाती हूँ अक्षरों में//</span></p>
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<p><span class="font-size-5">नूतन जी, यह दो पंक्तियाँ ही बहुत कुछ कह गई हैं।</span></p>
<p><span class="font-size-5">बधाई।</span></p>
<p><span class="font-size-5">सादर,</span></p>
<p><span class="font-size-5">विजय निकोर</span></p>
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<p> </p> Sadar dhanyvaad Kunti ji..tag:openbooksonline.com,2013-04-05:5170231:Comment:3411792013-04-05T03:54:32.343Zडॉ नूतन डिमरी गैरोलाhttp://openbooksonline.com/profile/3t5r6erq96iiw
<p>Sadar dhanyvaad Kunti ji..</p>
<p>Sadar dhanyvaad Kunti ji..</p> डॉ नूतन जी, शब्दों के भाव बहु…tag:openbooksonline.com,2013-04-04:5170231:Comment:3414112013-04-04T20:28:11.344Zcoontee mukerjihttp://openbooksonline.com/profile/coonteemukerji
<p>डॉ नूतन जी, शब्दों के भाव बहुत गहरे है. अति सुंदर .</p>
<p>डॉ नूतन जी, शब्दों के भाव बहुत गहरे है. अति सुंदर .</p> धन्यवाद केवल जी ...tag:openbooksonline.com,2013-04-04:5170231:Comment:3412242013-04-04T17:48:58.580Zडॉ नूतन डिमरी गैरोलाhttp://openbooksonline.com/profile/3t5r6erq96iiw
<p>धन्यवाद केवल जी ...</p>
<p>धन्यवाद केवल जी ...</p> आदरणीया, डॉ नूतन डिमरी गैरोला…tag:openbooksonline.com,2013-04-04:5170231:Comment:3410062013-04-04T17:45:26.814Zकेवल प्रसाद 'सत्यम'http://openbooksonline.com/profile/kewalprasad
<p>आदरणीया, डॉ नूतन डिमरी गैरोला जी, अक्षर अर्थात शब्द इनकी तो बस भावनाएं ही हैं इनकी कोई जाति- धर्म, भेद -भाव नहीं होते हैं..बहुत सुन्दर चित्रण बधाई स्वीकारें।</p>
<p>आदरणीया, डॉ नूतन डिमरी गैरोला जी, अक्षर अर्थात शब्द इनकी तो बस भावनाएं ही हैं इनकी कोई जाति- धर्म, भेद -भाव नहीं होते हैं..बहुत सुन्दर चित्रण बधाई स्वीकारें।</p>