Comments - नवगीत - Open Books Online2024-03-28T21:57:20Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A351461&xn_auth=noउत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार…tag:openbooksonline.com,2013-04-23:5170231:Comment:3522312013-04-23T15:46:18.127ZRekha Joshihttp://openbooksonline.com/profile/RekhaJoshi
<p><span>उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार राम जी ,धन्यवाद </span></p>
<p><span>उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार राम जी ,धन्यवाद </span></p> बहुत सुन्दर, हार्दिक बधाईtag:openbooksonline.com,2013-04-23:5170231:Comment:3520782013-04-23T15:34:29.876Zram shiromani pathakhttp://openbooksonline.com/profile/ramshiromanipathak
<p><span> बहुत सुन्दर,<span> हार्दिक बधाई</span></span></p>
<p><span> बहुत सुन्दर,<span> हार्दिक बधाई</span></span></p> आभार गीतिका जी tag:openbooksonline.com,2013-04-23:5170231:Comment:3522262013-04-23T15:08:28.693ZRekha Joshihttp://openbooksonline.com/profile/RekhaJoshi
<p><span>आभार गीतिका जी </span></p>
<p><span>आभार गीतिका जी </span></p> नवगीत के व्याकरण और शिल्प के…tag:openbooksonline.com,2013-04-23:5170231:Comment:3522222013-04-23T14:44:26.493Zवेदिकाhttp://openbooksonline.com/profile/vedikagitika
<p>नवगीत के व्याकरण और शिल्प के बारे में मुझे कोई ज्ञान तो नहीं है .....भाव बखूबी उकेरे आपने आदरणीया रेखा जी!</p>
<p>नवगीत के व्याकरण और शिल्प के बारे में मुझे कोई ज्ञान तो नहीं है .....भाव बखूबी उकेरे आपने आदरणीया रेखा जी!</p> आदरणीय अशोक जी ,सादर आपको दोन…tag:openbooksonline.com,2013-04-23:5170231:Comment:3523102013-04-23T13:57:32.056ZRekha Joshihttp://openbooksonline.com/profile/RekhaJoshi
<p><span>आदरणीय अशोक जी ,सादर आपको दोनों पद समान लगे परन्तु शायद दोनों के बीच में </span><span>अंतर पर </span><span>आप ने ठीक से ध्यान नही दिया पहले पद </span><span>में प्रकृति में चल रहा </span><span>गीत और संगीत है तथा दूसरे में फूलो का झड़ना और बीज से </span><span>सृजन और उससे उपजने वाला नवगीत है क्योंकि हर पल नया है ,ख़ैर आपको रचना के भाव पसंद आये ,हार्दिक आभार </span></p>
<p><span>आदरणीय अशोक जी ,सादर आपको दोनों पद समान लगे परन्तु शायद दोनों के बीच में </span><span>अंतर पर </span><span>आप ने ठीक से ध्यान नही दिया पहले पद </span><span>में प्रकृति में चल रहा </span><span>गीत और संगीत है तथा दूसरे में फूलो का झड़ना और बीज से </span><span>सृजन और उससे उपजने वाला नवगीत है क्योंकि हर पल नया है ,ख़ैर आपको रचना के भाव पसंद आये ,हार्दिक आभार </span></p> आदरणीय रेखा जी सादर, मुझे यह…tag:openbooksonline.com,2013-04-23:5170231:Comment:3519062013-04-23T13:38:28.702ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय रेखा जी सादर, मुझे यह रचना नवगीत तो नहीं लगती.बहुत सुन्दर भाव प्रस्तुत किये हैं किन्तु क्षमा करें रचना के दोनों ही पदों में समानता होने से मुझे लगता है दो पद लिखने का श्रम नाहक था. सामयिक घटना से मन में उपजे भावों की अच्छी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें.</p>
<p>आदरणीय रेखा जी सादर, मुझे यह रचना नवगीत तो नहीं लगती.बहुत सुन्दर भाव प्रस्तुत किये हैं किन्तु क्षमा करें रचना के दोनों ही पदों में समानता होने से मुझे लगता है दो पद लिखने का श्रम नाहक था. सामयिक घटना से मन में उपजे भावों की अच्छी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें.</p> आ श्याम जी ,आ विजय जी ,आपका ह…tag:openbooksonline.com,2013-04-23:5170231:Comment:3519002013-04-23T13:01:50.513ZRekha Joshihttp://openbooksonline.com/profile/RekhaJoshi
<p><span>आ श्याम जी ,आ विजय जी ,आपका हार्दिक आभार ,सुझाव के लिए धन्यवाद आ विजय जी ,तहे </span><span>दिल से शुक्रिया </span></p>
<p><span>आ श्याम जी ,आ विजय जी ,आपका हार्दिक आभार ,सुझाव के लिए धन्यवाद आ विजय जी ,तहे </span><span>दिल से शुक्रिया </span></p> आदरणीया डा प्राची जी ,रचना को…tag:openbooksonline.com,2013-04-23:5170231:Comment:3518972013-04-23T12:59:41.238ZRekha Joshihttp://openbooksonline.com/profile/RekhaJoshi
<p><span>आदरणीया डा प्राची जी ,रचना को पसंद करने पर हार्दिक </span><span>धन्यवाद ,रचना लिखते हुए सृजन का भाव मन में आया ,हर पल जिंदगी में बदलाव हो रहा है ,हर पल नया है ,धरा से बीज </span><span>जब फुटाव लेता है नई छोटी छोटी </span><span> कोमल पत्तिया निकलती है प्रकृति से नवगीत का सृजन ही इस रचना का भाव है ,ऐसे ही प्रेरणा देते रहिये ,आभार </span></p>
<p><span>आदरणीया डा प्राची जी ,रचना को पसंद करने पर हार्दिक </span><span>धन्यवाद ,रचना लिखते हुए सृजन का भाव मन में आया ,हर पल जिंदगी में बदलाव हो रहा है ,हर पल नया है ,धरा से बीज </span><span>जब फुटाव लेता है नई छोटी छोटी </span><span> कोमल पत्तिया निकलती है प्रकृति से नवगीत का सृजन ही इस रचना का भाव है ,ऐसे ही प्रेरणा देते रहिये ,आभार </span></p> आ मनु जी ,आ वंदना जी आ कुंती…tag:openbooksonline.com,2013-04-23:5170231:Comment:3517992013-04-23T12:47:57.845ZRekha Joshihttp://openbooksonline.com/profile/RekhaJoshi
<p><span>आ मनु जी ,आ वंदना जी आ कुंती जी ,आप का दिल से आभार ,ऐसे ही उत्साह बढाते </span><span>रहिये ,धन्यवाद </span></p>
<p><span>आ मनु जी ,आ वंदना जी आ कुंती जी ,आप का दिल से आभार ,ऐसे ही उत्साह बढाते </span><span>रहिये ,धन्यवाद </span></p> आदरणीया रेखा जी:
भाव अच्छे…tag:openbooksonline.com,2013-04-23:5170231:Comment:3520252013-04-23T10:55:28.628Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p></p>
<p>आदरणीया रेखा जी:</p>
<p></p>
<p>भाव अच्छे लगे.... बधाई.. ।</p>
<p>पढ़ते हुए लय में बाधा हुई। एक विनम्र सुझाव ... शब्दों का प्रपठन करने से रचना और पठनीय बन सकती है।</p>
<p><br/>सादर,</p>
<p>विजय निकोर</p>
<p></p>
<p>आदरणीया रेखा जी:</p>
<p></p>
<p>भाव अच्छे लगे.... बधाई.. ।</p>
<p>पढ़ते हुए लय में बाधा हुई। एक विनम्र सुझाव ... शब्दों का प्रपठन करने से रचना और पठनीय बन सकती है।</p>
<p><br/>सादर,</p>
<p>विजय निकोर</p>