Comments - माँ - Open Books Online2024-03-29T07:20:02Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A358534&xn_auth=noस्त्री विमर्श पर एक सार्थक प्…tag:openbooksonline.com,2013-06-14:5170231:Comment:3780002013-06-14T06:09:24.722Zaman kumarhttp://openbooksonline.com/profile/amankumar
<p>स्त्री विमर्श पर एक सार्थक प्रस्तुति !</p>
<p>स्त्री विमर्श पर एक सार्थक प्रस्तुति !</p> बहुत ही मार्मिक भावाभ्यक्ति क…tag:openbooksonline.com,2013-05-27:5170231:Comment:3685392013-05-27T02:15:29.262ZVindu Babuhttp://openbooksonline.com/profile/vandanatiwari
बहुत ही मार्मिक भावाभ्यक्ति की है बहन आपने।<br />
माँ को अगर कोई शब्द परिभाषित कर सकता है तो वह केवल 'माँ..'है।<br />
सादर
बहुत ही मार्मिक भावाभ्यक्ति की है बहन आपने।<br />
माँ को अगर कोई शब्द परिभाषित कर सकता है तो वह केवल 'माँ..'है।<br />
सादर और देर रात...
दुबक जाती है...…tag:openbooksonline.com,2013-05-09:5170231:Comment:3599152013-05-09T07:24:46.406Zनादिर ख़ानhttp://openbooksonline.com/profile/Nadir
<p><font face="verdana">और देर रात...</font></p>
<p><font face="verdana">दुबक जाती है...</font></p>
<p><font face="verdana">घर के किस<font size="3">ी</font> कोने में</font></p>
<p><font face="verdana">और संचय करती है</font></p>
<p><font face="verdana">बल...<br/>आने वाले कल के लिये ...</font></p>
<p></p>
<p>माँ तो अनमोल रत्न है ।</p>
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<p><font face="verdana">और देर रात...</font></p>
<p><font face="verdana">दुबक जाती है...</font></p>
<p><font face="verdana">घर के किस<font size="3">ी</font> कोने में</font></p>
<p><font face="verdana">और संचय करती है</font></p>
<p><font face="verdana">बल...<br/>आने वाले कल के लिये ...</font></p>
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<p>माँ तो अनमोल रत्न है ।</p>
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<p><font face="verdana"> </font></p> सुन्दर रचनाtag:openbooksonline.com,2013-05-08:5170231:Comment:3595172013-05-08T05:18:53.004ZASHISH KUMAAR TRIVEDIhttp://openbooksonline.com/profile/ASHISHKUMAARTRIVEDI
<p>सुन्दर रचना</p>
<p>सुन्दर रचना</p> आदरणीया यशोदा जी, सुन्दर और…tag:openbooksonline.com,2013-05-07:5170231:Comment:3591682013-05-07T14:38:15.739Zकेवल प्रसाद 'सत्यम'http://openbooksonline.com/profile/kewalprasad
<p>आदरणीया यशोदा जी, सुन्दर और सटीक बात! मां वह होती है जो अपने लिए कुछ नही चाहती और वह अपना सर्वस्व अपने बच्चो पर निछावर कर देती है। और... रात के अंधेरों की तरह निढाल किसी कोने में....कल के उज्ज्वल भविष्य के लिए ही बल संचयन हेतु सपने देखती है। मां को श्रध्दा सुमन! हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,</p>
<p>आदरणीया यशोदा जी, सुन्दर और सटीक बात! मां वह होती है जो अपने लिए कुछ नही चाहती और वह अपना सर्वस्व अपने बच्चो पर निछावर कर देती है। और... रात के अंधेरों की तरह निढाल किसी कोने में....कल के उज्ज्वल भविष्य के लिए ही बल संचयन हेतु सपने देखती है। मां को श्रध्दा सुमन! हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,</p> आदरणीय यशोदा दिग्विजय अग्रवाल…tag:openbooksonline.com,2013-05-07:5170231:Comment:3590682013-05-07T13:18:50.408ZUsha Tanejahttp://openbooksonline.com/profile/UshaTaneja
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/yashodaDigvijayAgrawal">यशोदा दिग्विजय अग्रवाल</a> जी, बहुत बढ़िया सवाल उठाया है आपने. पर इसका एक दूसरा पहलू भी है कि इस दिन हम एक दूसरे की माँ से भी मिल लेते हैं. वरना हमेशा तो अपनी ही पड़ी रहती है.<a class="nolink"></a></p>
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/yashodaDigvijayAgrawal">यशोदा दिग्विजय अग्रवाल</a> जी, बहुत बढ़िया सवाल उठाया है आपने. पर इसका एक दूसरा पहलू भी है कि इस दिन हम एक दूसरे की माँ से भी मिल लेते हैं. वरना हमेशा तो अपनी ही पड़ी रहती है.<a class="nolink"></a></p> मां के सम्मोहक व्यक्तित्व से…tag:openbooksonline.com,2013-05-06:5170231:Comment:3585712013-05-06T11:58:47.609ZVISHAAL CHARCHCHIThttp://openbooksonline.com/profile/VISHAALCHARCHCHIT
<p>मां के सम्मोहक व्यक्तित्व से जुडे अनगिनत पहलुओं में से एक को छूती सराहनीय रचना.........!!!!</p>
<p>मां के सम्मोहक व्यक्तित्व से जुडे अनगिनत पहलुओं में से एक को छूती सराहनीय रचना.........!!!!</p> बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचन…tag:openbooksonline.com,2013-05-06:5170231:Comment:3587442013-05-06T10:40:28.718ZShyam Narain Vermahttp://openbooksonline.com/profile/ShyamNarainVerma
<table cellspacing="0" width="462" border="0">
<colgroup><col width="462"></col></colgroup><tbody><tr><td align="left" width="462" height="20">बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए ……………..</td>
</tr>
</tbody>
</table>
<table cellspacing="0" width="462" border="0">
<colgroup><col width="462"></col></colgroup><tbody><tr><td align="left" width="462" height="20">बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए ……………..</td>
</tr>
</tbody>
</table> आप सभी स्नेही मित्रों का हृदय…tag:openbooksonline.com,2013-05-06:5170231:Comment:3586722013-05-06T09:43:04.979Zयशोदा दिग्विजय अग्रवालhttp://openbooksonline.com/profile/yashodaDigvijayAgrawal
<p>आप सभी स्नेही मित्रों का हृदय से आभार</p>
<p>आप सभी स्नेही मित्रों का हृदय से आभार</p> माँ के लिये एक दिन नही एक साल…tag:openbooksonline.com,2013-05-06:5170231:Comment:3587332013-05-06T09:23:48.754Zबसंत नेमाhttp://openbooksonline.com/profile/BasantNema
<p>माँ के लिये एक दिन नही एक साल नही एक जन्म नही बल्कि जन्म दर जन्म माँ का गुणगान करो तब भी कम है ....... बधाई हो </p>
<p>माँ के लिये एक दिन नही एक साल नही एक जन्म नही बल्कि जन्म दर जन्म माँ का गुणगान करो तब भी कम है ....... बधाई हो </p>