Comments - आशियाने दिल में आख़िर आजकल ठहरा है कौन - Open Books Online2024-03-28T16:35:45Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A468230&xn_auth=noआ रहे होंगे इलेक्शन मुझको लगत…tag:openbooksonline.com,2016-06-08:5170231:Comment:7741822016-06-08T09:37:07.712ZMadan Mohan saxenahttp://openbooksonline.com/profile/MadanMohansaxena
<p>आ रहे होंगे इलेक्शन मुझको लगता है क़रीब,</p>
<p>वरना इतनी सादगी से आजकल मिलता है कौन॥</p>
<p>सब यहीं रह जाता है अच्छा बुरा ऐ दोस्तों,</p>
<p>ज़र ज़मीं जागीर लेकर साथ में जाता है कौन॥</p>
<p>आ रहे होंगे इलेक्शन मुझको लगता है क़रीब,</p>
<p>वरना इतनी सादगी से आजकल मिलता है कौन॥</p>
<p>सब यहीं रह जाता है अच्छा बुरा ऐ दोस्तों,</p>
<p>ज़र ज़मीं जागीर लेकर साथ में जाता है कौन॥</p> ये हुई न बात भाईजी ! सीधे साद…tag:openbooksonline.com,2013-11-13:5170231:Comment:4705582013-11-13T17:42:32.198ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>ये हुई न बात भाईजी ! सीधे सादे शब्दों में क्या नहीं कह दिया ! <br/>दिल से दाद कुबूल कीजिये. <br/><br/>और इन अश’आर पर दादपर दाद लीजिये.. .<br/><br/>है यकीं उसको यहाँ पे आने वाली है बहार,<br/>वरना वीराने चमन में बेसबब आता है कौन॥<br/><br/>झूठ के पत्थर से जो टकराया सच का आईना,<br/>है ज़रा मुश्किल समझना दोनों में टूटा है कौन॥<br/><br/>उसको भी होगी जरूरत रौशनी की धूप की,<br/>वरना इतनी देर तक “सूरज” को सह पाता है कौन॥<br/><br/>दिल खुश कर दिया आपने. <br/>बधाई बधाई बधाई <br/><br/></p>
<p>ये हुई न बात भाईजी ! सीधे सादे शब्दों में क्या नहीं कह दिया ! <br/>दिल से दाद कुबूल कीजिये. <br/><br/>और इन अश’आर पर दादपर दाद लीजिये.. .<br/><br/>है यकीं उसको यहाँ पे आने वाली है बहार,<br/>वरना वीराने चमन में बेसबब आता है कौन॥<br/><br/>झूठ के पत्थर से जो टकराया सच का आईना,<br/>है ज़रा मुश्किल समझना दोनों में टूटा है कौन॥<br/><br/>उसको भी होगी जरूरत रौशनी की धूप की,<br/>वरना इतनी देर तक “सूरज” को सह पाता है कौन॥<br/><br/>दिल खुश कर दिया आपने. <br/>बधाई बधाई बधाई <br/><br/></p> आ रहे होंगे इलेक्शन मुझको लगत…tag:openbooksonline.com,2013-11-11:5170231:Comment:4693062013-11-11T06:58:28.368Zबसंत नेमाhttp://openbooksonline.com/profile/BasantNema
<p>आ रहे होंगे इलेक्शन मुझको लगता है क़रीब,</p>
<p>वरना इतनी सादगी से आजकल मिलता है कौन॥</p>
<p></p>
<p>उसको भी होगी जरूरत रौशनी की धूप की,</p>
<p>वरना इतनी देर तक “सूरज” को सह पाता है कौन॥</p>
<p></p>
<p></p>
<p>आँखो से दिल मे उतर जाये जो ..ऐसी गजल आज कल कहता है कौन .... आ . सूरज जी बहुत खूब बधाई शुभकामनाये </p>
<p>आ रहे होंगे इलेक्शन मुझको लगता है क़रीब,</p>
<p>वरना इतनी सादगी से आजकल मिलता है कौन॥</p>
<p></p>
<p>उसको भी होगी जरूरत रौशनी की धूप की,</p>
<p>वरना इतनी देर तक “सूरज” को सह पाता है कौन॥</p>
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<p>आँखो से दिल मे उतर जाये जो ..ऐसी गजल आज कल कहता है कौन .... आ . सूरज जी बहुत खूब बधाई शुभकामनाये </p> मुश्किलों के दौर तो रहते हैं…tag:openbooksonline.com,2013-11-11:5170231:Comment:4694632013-11-11T06:19:29.343ZParveen Malikhttp://openbooksonline.com/profile/ParveenMalik
मुश्किलों के दौर तो रहते हैं मौसम की तरह,<br />
शर्त है इन मौसमों में देर तक टिकता है कौन॥<br />
<br />
झूठ के पत्थर से जो टकराया सच का आईना,<br />
है ज़रा मुश्किल समझना दोनों में टूटा है कौन॥<br />
<br />
<br />
बेहद उम्दा लाजवाब गजल हमेशा की तरह ... बधाई डॉ साहब !
मुश्किलों के दौर तो रहते हैं मौसम की तरह,<br />
शर्त है इन मौसमों में देर तक टिकता है कौन॥<br />
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झूठ के पत्थर से जो टकराया सच का आईना,<br />
है ज़रा मुश्किल समझना दोनों में टूटा है कौन॥<br />
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बेहद उम्दा लाजवाब गजल हमेशा की तरह ... बधाई डॉ साहब ! बहुत ख़ूब .
झूठ के पत्थर से जो…tag:openbooksonline.com,2013-11-10:5170231:Comment:4693462013-11-10T16:13:19.184ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooksonline.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>बहुत ख़ूब <br/>.</p>
<p>झूठ के पत्थर से जो टकराया सच का आईना,</p>
<p>है ज़रा मुश्किल समझना दोनों में टूटा है कौन..... वाह वाह और वाह </p>
<p></p>
<p>बहुत ख़ूब <br/>.</p>
<p>झूठ के पत्थर से जो टकराया सच का आईना,</p>
<p>है ज़रा मुश्किल समझना दोनों में टूटा है कौन..... वाह वाह और वाह </p>
<p></p> किसके आने से हुई गुलज़ार दिल क…tag:openbooksonline.com,2013-11-10:5170231:Comment:4693242013-11-10T14:34:23.370Zram shiromani pathakhttp://openbooksonline.com/profile/ramshiromanipathak
<p>किसके आने से हुई गुलज़ार दिल की वादियाँ,</p>
<p>हर तरफ मंज़र बहारों का लिए बैठा है कौन॥</p>
<p> </p>
<p>चेहरे पे चेहरा लगाए फिर रहा है आदमी,</p>
<p>है बहुत मुश्किल बताना सच्चा है झूठा है कौन॥/////////////वाह वाह बहुत खूब </p>
<p></p>
<p>बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल हुई है आदरणीय सूरज भाई जी…बहुत बहुत बधाई आपको। ..सादर </p>
<p>किसके आने से हुई गुलज़ार दिल की वादियाँ,</p>
<p>हर तरफ मंज़र बहारों का लिए बैठा है कौन॥</p>
<p> </p>
<p>चेहरे पे चेहरा लगाए फिर रहा है आदमी,</p>
<p>है बहुत मुश्किल बताना सच्चा है झूठा है कौन॥/////////////वाह वाह बहुत खूब </p>
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<p>बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल हुई है आदरणीय सूरज भाई जी…बहुत बहुत बधाई आपको। ..सादर </p> आदरणीय सूरज भाईजी, वाह...वाह.…tag:openbooksonline.com,2013-11-10:5170231:Comment:4689982013-11-10T07:30:47.954Zकेवल प्रसाद 'सत्यम'http://openbooksonline.com/profile/kewalprasad
<p>आदरणीय सूरज भाईजी, वाह...वाह...क्या कहने!...</p>
<p>---------------------------//झूठ के पत्थर से जो टकराया सच का आईना,</p>
<p>है ज़रा मुश्किल समझना दोनों में टूटा है कौन॥//</p>
<p>...... -----------------------सुन्दर गजल प्रस्तुति। हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,</p>
<p>आदरणीय सूरज भाईजी, वाह...वाह...क्या कहने!...</p>
<p>---------------------------//झूठ के पत्थर से जो टकराया सच का आईना,</p>
<p>है ज़रा मुश्किल समझना दोनों में टूटा है कौन॥//</p>
<p>...... -----------------------सुन्दर गजल प्रस्तुति। हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,</p> आदरणीय बाली जी ..पूरी ग़ज़ल बेह…tag:openbooksonline.com,2013-11-10:5170231:Comment:4689892013-11-10T06:20:07.437ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooksonline.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय बाली जी ..पूरी ग़ज़ल बेहतरीन है ...पर इन दो शेरो के लिए बिशेष रूप से बधाई कबूलें ..</p>
<p>कुछ न कुछ तो ख़ामियाँ मुझमें भी हैं तुझमें में भी हैं,</p>
<p>सबकी नज़रों में यहाँ तुम ही कहो अच्छा है कौन॥</p>
<p> </p>
<p>है यकीं उसको यहाँ पे आने वाली है बहार,</p>
<p>वरना वीराने चमन में बेसबब आता है कौन॥</p>
<p> सादर बधाई के साथ </p>
<p>आदरणीय बाली जी ..पूरी ग़ज़ल बेहतरीन है ...पर इन दो शेरो के लिए बिशेष रूप से बधाई कबूलें ..</p>
<p>कुछ न कुछ तो ख़ामियाँ मुझमें भी हैं तुझमें में भी हैं,</p>
<p>सबकी नज़रों में यहाँ तुम ही कहो अच्छा है कौन॥</p>
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<p>है यकीं उसको यहाँ पे आने वाली है बहार,</p>
<p>वरना वीराने चमन में बेसबब आता है कौन॥</p>
<p> सादर बधाई के साथ </p> वाह !!! आदरणीय सूर्याबाली जी,…tag:openbooksonline.com,2013-11-10:5170231:Comment:4689772013-11-10T04:11:17.744Zअरुण कुमार निगमhttp://openbooksonline.com/profile/arunkumarnigam
<p>वाह !!! आदरणीय सूर्याबाली जी, बेहतरीन ग़ज़ल सुनने को मिली. </p>
<p></p>
<p>कुछ न कुछ तो ख़ामियाँ मुझमें भी हैं तुझमें में भी हैं,</p>
<p>सबकी नज़रों में यहाँ तुम ही कहो अच्छा है कौन॥</p>
<p> </p>
<p>हम इस अश'आर पर फ़िदा हो गए ........................ </p>
<p>वाह !!! आदरणीय सूर्याबाली जी, बेहतरीन ग़ज़ल सुनने को मिली. </p>
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<p>कुछ न कुछ तो ख़ामियाँ मुझमें भी हैं तुझमें में भी हैं,</p>
<p>सबकी नज़रों में यहाँ तुम ही कहो अच्छा है कौन॥</p>
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<p>हम इस अश'आर पर फ़िदा हो गए ........................ </p> वाह वाह.... इस शानदार प्रस्तु…tag:openbooksonline.com,2013-11-09:5170231:Comment:4688392013-11-09T15:09:22.887ZSushil.Joshihttp://openbooksonline.com/profile/SushilJoshi
<p>वाह वाह.... इस शानदार प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई आ0 बाली जी.....</p>
<p>वाह वाह.... इस शानदार प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई आ0 बाली जी.....</p>