Comments - सब हमामों के चरित्तर (ग़ज़ल ) - Open Books Online2024-03-29T13:24:49Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A489390&xn_auth=noआ0 लक्ष्मण जी गजल के भाव तो अ…tag:openbooksonline.com,2013-12-23:5170231:Comment:4910732013-12-23T12:57:25.727Zannapurna bajpaihttp://openbooksonline.com/profile/annapurnabajpai
<p>आ0 लक्ष्मण जी गजल के भाव तो अच्छे हैं , परंतु आ0 अरुण जी बात पर भी गौर करना जरूरी हो जाता है , क्योंकि आपकी गजल मे काफिया नहीं दिखता । आप स्वयम भी एक बार देख लें । </p>
<p>आ0 लक्ष्मण जी गजल के भाव तो अच्छे हैं , परंतु आ0 अरुण जी बात पर भी गौर करना जरूरी हो जाता है , क्योंकि आपकी गजल मे काफिया नहीं दिखता । आप स्वयम भी एक बार देख लें । </p> आदरणीय लक्ष्मण जी मेरे हिसाब…tag:openbooksonline.com,2013-12-23:5170231:Comment:4909632013-12-23T07:54:18.075Zअरुन 'अनन्त'http://openbooksonline.com/profile/ArunSharma
<p>आदरणीय लक्ष्मण जी मेरे हिसाब आपकी ग़ज़ल में काफिया ही नहीं है इस लिहाज से आपकी ग़ज़ल ख़ारिज हो जाती है. एक बार आप भी गौर फरमाएं.</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण जी मेरे हिसाब आपकी ग़ज़ल में काफिया ही नहीं है इस लिहाज से आपकी ग़ज़ल ख़ारिज हो जाती है. एक बार आप भी गौर फरमाएं.</p> अच्छी गज़ल, बधाई लक्ष्मण भाई॥tag:openbooksonline.com,2013-12-20:5170231:Comment:4899272013-12-20T17:04:26.052Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>अच्छी गज़ल, बधाई लक्ष्मण भाई॥</p>
<p>अच्छी गज़ल, बधाई लक्ष्मण भाई॥</p> दाग चंदा को लगे हैं, su…tag:openbooksonline.com,2013-12-20:5170231:Comment:4900112013-12-20T16:49:23.182Zajay sharmahttp://openbooksonline.com/profile/ajaysharma234
<p><span>दाग चंदा को लगे हैं, surya का par क्या गया </span><br/><span>ढूँढ लेगा रात को वो, फिर से कोई घर नया</span></p>
<p><span>baaki sher behad khas huye hain.</span></p>
<p><span>दाग चंदा को लगे हैं, surya का par क्या गया </span><br/><span>ढूँढ लेगा रात को वो, फिर से कोई घर नया</span></p>
<p><span>baaki sher behad khas huye hain.</span></p> आदरणीय लक्ष्मण भाई , गज़ल के भ…tag:openbooksonline.com,2013-12-20:5170231:Comment:4897862013-12-20T16:00:13.464Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय लक्ष्मण भाई , गज़ल के भाव और विचार बहुत अच्छे लगे , आपको बधाइयाँ ॥ बह्र मे गड़्बड़ी लग रही है , एक बात और तक्तीअ कर देखें ॥ जैसे - दाग चंदा / को लगे हैं,/ सूरज का /क्या गया</p>
<p> 2122 या 2121 / 2112 / 222 / 112 ---- एक बात तक्तीअ बाक़ी मिसरों का भी कर के देख लें ॥</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण भाई , गज़ल के भाव और विचार बहुत अच्छे लगे , आपको बधाइयाँ ॥ बह्र मे गड़्बड़ी लग रही है , एक बात और तक्तीअ कर देखें ॥ जैसे - दाग चंदा / को लगे हैं,/ सूरज का /क्या गया</p>
<p> 2122 या 2121 / 2112 / 222 / 112 ---- एक बात तक्तीअ बाक़ी मिसरों का भी कर के देख लें ॥</p> कौन बोले, किसको बोले, इस सिया…tag:openbooksonline.com,2013-12-20:5170231:Comment:4897702013-12-20T14:34:45.043Zनादिर ख़ानhttp://openbooksonline.com/profile/Nadir
<p><span>कौन बोले, किसको बोले, इस सियासत में बुरा</span><br/><span>सब हमामों के चरित्तर, शेष किसमें है हया</span></p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत खूब ..........उम्दा गज़ल के लिए बधाई</p>
<p><span>कौन बोले, किसको बोले, इस सियासत में बुरा</span><br/><span>सब हमामों के चरित्तर, शेष किसमें है हया</span></p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत खूब ..........उम्दा गज़ल के लिए बधाई</p> धामी जी
बहुत सुन्दर ग़ज़ल i ब…tag:openbooksonline.com,2013-12-20:5170231:Comment:4896762013-12-20T13:28:07.526Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>धामी जी</p>
<p>बहुत सुन्दर ग़ज़ल i बधाई हो i</p>
<p>धामी जी</p>
<p>बहुत सुन्दर ग़ज़ल i बधाई हो i</p> बादलों को थी मनाही , कैसे…tag:openbooksonline.com,2013-12-20:5170231:Comment:4895012013-12-20T13:22:17.828ZAVINASH S BAGDEhttp://openbooksonline.com/profile/AVINASHSBAGDE
<p><span>बादलों को थी मनाही , कैसे करते बारिसें</span><br/><span>उसके सूखे दामनों पर, आँसुओं ने की दया..wah!..wah!</span></p>
<p><span><span>सब हमामों के चरित्तर, शेष किसमें है हया..bebak bayani..<a href="http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami">laxman dhami</a><a class="nolink"> ji..</a></span></span></p>
<p><span>बादलों को थी मनाही , कैसे करते बारिसें</span><br/><span>उसके सूखे दामनों पर, आँसुओं ने की दया..wah!..wah!</span></p>
<p><span><span>सब हमामों के चरित्तर, शेष किसमें है हया..bebak bayani..<a href="http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami">laxman dhami</a><a class="nolink"> ji..</a></span></span></p>