Comments - किसी के दिल को छू पाया - Open Books Online2024-03-29T06:13:34Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A509502&xn_auth=noआदरणीय नीरज भाई ..आज पहली बार…tag:openbooksonline.com,2014-08-08:5170231:Comment:5654212014-08-08T04:07:34.705ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooksonline.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय नीरज भाई ..आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ ..कई रचनाएँ पढी ..भाव बहुत अच्छे हैं रही बात शिल्प की तो तो उसपर बिद्व्त्जानो ने लिखा ही है ..बिद्व्त्जनो के साथ हम साझा प्रयास से सीख रहे हैं वाकई ये अद्भुत मंच है इस मंच से हम जुड़े हैं ..यह हम सबके लिए सुखद है ..आपकी रचना पर ढेर सारी बधाई के साथ ..सादर </p>
<p>आदरणीय नीरज भाई ..आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ ..कई रचनाएँ पढी ..भाव बहुत अच्छे हैं रही बात शिल्प की तो तो उसपर बिद्व्त्जानो ने लिखा ही है ..बिद्व्त्जनो के साथ हम साझा प्रयास से सीख रहे हैं वाकई ये अद्भुत मंच है इस मंच से हम जुड़े हैं ..यह हम सबके लिए सुखद है ..आपकी रचना पर ढेर सारी बधाई के साथ ..सादर </p> कई मिसरे बेबहर लग रहे हैं आ०…tag:openbooksonline.com,2014-02-11:5170231:Comment:5106722014-02-11T13:23:29.919ZDr.Prachi Singhhttp://openbooksonline.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>कई मिसरे बेबहर लग रहे हैं आ० नीरज मिश्रा जी </p>
<p></p>
<p>ग़ज़ल की कक्षा में तक्तीह के भी उन्नत पाठ हैं अन्य आलेख है, उन्हें अवश्य देखें</p>
<p>बहराल इस प्रयास पर बधाई लें </p>
<p>कई मिसरे बेबहर लग रहे हैं आ० नीरज मिश्रा जी </p>
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<p>ग़ज़ल की कक्षा में तक्तीह के भी उन्नत पाठ हैं अन्य आलेख है, उन्हें अवश्य देखें</p>
<p>बहराल इस प्रयास पर बधाई लें </p> प्रयास अच्छा है , गुणीजनो के…tag:openbooksonline.com,2014-02-10:5170231:Comment:5107442014-02-10T15:42:12.142Zरमेश कुमार चौहानhttp://openbooksonline.com/profile/Rameshkumarchauhan
<p> प्रयास अच्छा है , गुणीजनो के बातो पर अमल करने पर परिणाम यथेष्ठ होगा । शुभ शुभ</p>
<p> प्रयास अच्छा है , गुणीजनो के बातो पर अमल करने पर परिणाम यथेष्ठ होगा । शुभ शुभ</p> आदरणीय नीरज भाई , लाजवाब बाते…tag:openbooksonline.com,2014-02-10:5170231:Comment:5106182014-02-10T12:56:41.537Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय नीरज भाई , लाजवाब बातें नही है आपने हर शे र में , मगर आपने जो बह्र उपर मे दिया है उसमे सभी शे र नही कह पाये हैं ,</p>
<p>आपकी गज़ल ,1222 1222 1222 1222 के भी बहुत करीब है , चाहें तो इसी बह्र के अनुसार सुधार कर सकते हैं ॥</p>
<p>आदरणीय नीरज भाई , लाजवाब बातें नही है आपने हर शे र में , मगर आपने जो बह्र उपर मे दिया है उसमे सभी शे र नही कह पाये हैं ,</p>
<p>आपकी गज़ल ,1222 1222 1222 1222 के भी बहुत करीब है , चाहें तो इसी बह्र के अनुसार सुधार कर सकते हैं ॥</p> भाव बहुत सुन्दर है ग़ज़ल के हार…tag:openbooksonline.com,2014-02-10:5170231:Comment:5104572014-02-10T11:03:30.825Zram shiromani pathakhttp://openbooksonline.com/profile/ramshiromanipathak
<p>भाव बहुत सुन्दर है ग़ज़ल के हार्दिक भाई नीरज जी ....सादर</p>
<p>भाव बहुत सुन्दर है ग़ज़ल के हार्दिक भाई नीरज जी ....सादर</p> ढूँढ़ने ज़िन्दगी का राज मै जिस…tag:openbooksonline.com,2014-02-10:5170231:Comment:5105632014-02-10T10:14:57.840Zcoontee mukerjihttp://openbooksonline.com/profile/coonteemukerji
<p>ढूँढ़ने ज़िन्दगी का राज मै जिस रोज से निकला ,<br/> जहाँ के जर्रे जर्रे में नज़र मुझको गुरु आया ।....बहुत सुंदर...हार्दिक बधाई.</p>
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<p>ढूँढ़ने ज़िन्दगी का राज मै जिस रोज से निकला ,<br/> जहाँ के जर्रे जर्रे में नज़र मुझको गुरु आया ।....बहुत सुंदर...हार्दिक बधाई.</p>
<p></p> सुन्दर प्रयास हेतु बधाई tag:openbooksonline.com,2014-02-10:5170231:Comment:5105452014-02-10T09:04:53.236ZMeena Pathakhttp://openbooksonline.com/profile/MeenaPathak
<p>सुन्दर प्रयास हेतु बधाई </p>
<p>सुन्दर प्रयास हेतु बधाई </p> आदरणीय नीरज भाई आपके द्वारा ल…tag:openbooksonline.com,2014-02-10:5170231:Comment:5105362014-02-10T08:10:51.881Zअरुन 'अनन्त'http://openbooksonline.com/profile/ArunSharma
<p>आदरणीय नीरज भाई आपके द्वारा लिखे गए वज्न पर ग़ज़ल खरी नहीं उतरती, मतला ही बेबह्र हो गया अब आपको थोडा गंभीर होना पड़ेगा पोस्ट करने से पहले स्वयं ही जांच कर लें संतुष्ट हो जाएँ.</p>
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<p>2 1 2 2/ 1 2 2 2 / 1 2 2 2 / 1 2 2 2</p>
<p>राज की बा / त कहता हूँ/ समझ अब तक/ न तू पाया ।</p>
<p>1 2 2 2 /1 2 2 2 / 2 1 2 2 / 1 2 2 2 <br/> सुकूँ देकर /किसी को ही /आदमी ने / सुकूँ पाया ।</p>
<p>आदरणीय नीरज भाई आपके द्वारा लिखे गए वज्न पर ग़ज़ल खरी नहीं उतरती, मतला ही बेबह्र हो गया अब आपको थोडा गंभीर होना पड़ेगा पोस्ट करने से पहले स्वयं ही जांच कर लें संतुष्ट हो जाएँ.</p>
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<p>राज की बा / त कहता हूँ/ समझ अब तक/ न तू पाया ।</p>
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