Comments - मेरा देश महान/तीन कुण्डलिया छंद/कल्पना रामानी - Open Books Online2024-03-29T09:19:31Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A535805&xn_auth=noआपका सादर धन्यवाद आदरणीय सत्य…tag:openbooksonline.com,2014-05-23:5170231:Comment:5432712014-05-23T14:40:12.825Zकल्पना रामानीhttp://openbooksonline.com/profile/0qbqxqnenfmpi
<p>आपका सादर धन्यवाद आदरणीय सत्यनारायन जी</p>
<p>आपका सादर धन्यवाद आदरणीय सत्यनारायन जी</p> इस शानदार प्रस्तुति हेतु हार्…tag:openbooksonline.com,2014-05-22:5170231:Comment:5431492014-05-22T16:55:49.090ZSatyanarayan Singhhttp://openbooksonline.com/profile/satyanarayanShivramSingh
<p>इस शानदार प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया कल्पना रामानी जी </p>
<p>इस शानदार प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया कल्पना रामानी जी </p> आदरणीय सौरभ जी, आपकी उपस्थिति…tag:openbooksonline.com,2014-05-22:5170231:Comment:5429032014-05-22T14:23:16.619Zकल्पना रामानीhttp://openbooksonline.com/profile/0qbqxqnenfmpi
<p>आदरणीय सौरभ जी, आपकी उपस्थिति से रचना का मान बढ़ जाता है। आपका सादर धन्यवाद</p>
<p>आदरणीय सौरभ जी, आपकी उपस्थिति से रचना का मान बढ़ जाता है। आपका सादर धन्यवाद</p> आदरणीया प्राची जी, आपका कहना…tag:openbooksonline.com,2014-05-22:5170231:Comment:5431422014-05-22T14:21:44.804Zकल्पना रामानीhttp://openbooksonline.com/profile/0qbqxqnenfmpi
<p>आदरणीया प्राची जी, आपका कहना बिलकुल सही है, कभी कभी ध्यान चूक जाता है। इंगित करने के लिए बहुत धन्यवाद आपका, सही शब्द मिलते ही संशोधित कर दूँगी।</p>
<p>आदरणीया प्राची जी, आपका कहना बिलकुल सही है, कभी कभी ध्यान चूक जाता है। इंगित करने के लिए बहुत धन्यवाद आपका, सही शब्द मिलते ही संशोधित कर दूँगी।</p> सार्थक काव्य रचना के लिए बधाई…tag:openbooksonline.com,2014-05-14:5170231:Comment:5414262014-05-14T11:08:20.788ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>सार्थक काव्य रचना के लिए बधाई आदरणीया. <br/>सादर<br/><br/></p>
<p>सार्थक काव्य रचना के लिए बधाई आदरणीया. <br/>सादर<br/><br/></p> आदरणीया कल्पना जी
भारत देश…tag:openbooksonline.com,2014-05-06:5170231:Comment:5376122014-05-06T02:55:16.390ZDr.Prachi Singhhttp://openbooksonline.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>आदरणीया कल्पना जी </p>
<p></p>
<p>भारत देश जो कभी सोने की चिड़िया कहलाता था, किस तरह लोभियों नें इसे लूट डाला ....साथ ही पावन नदियाँ , दूध दही की सम्पन्नता, आज सब लुप्त से हो गए हैं, कोयल के माध्यम से भी आपने वन संरक्षण की बहुत ख़ूबसूरत बात कही है </p>
<p>इस सार्थक प्रस्तुति पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये </p>
<p></p>
<p>देश और ऐश की तुकांतता पर आपका ध्यान अवश्य ही चाहूंगी \</p>
<p>सादर </p>
<p>आदरणीया कल्पना जी </p>
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<p>भारत देश जो कभी सोने की चिड़िया कहलाता था, किस तरह लोभियों नें इसे लूट डाला ....साथ ही पावन नदियाँ , दूध दही की सम्पन्नता, आज सब लुप्त से हो गए हैं, कोयल के माध्यम से भी आपने वन संरक्षण की बहुत ख़ूबसूरत बात कही है </p>
<p>इस सार्थक प्रस्तुति पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये </p>
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<p>देश और ऐश की तुकांतता पर आपका ध्यान अवश्य ही चाहूंगी \</p>
<p>सादर </p> आ॰ गिरिराज जी, आशुतोष जी, अखि…tag:openbooksonline.com,2014-05-03:5170231:Comment:5369872014-05-03T15:33:26.061Zकल्पना रामानीhttp://openbooksonline.com/profile/0qbqxqnenfmpi
<p>आ॰ गिरिराज जी, आशुतोष जी, अखिलेश जी, आशीष जी,आदरणीया राजेश जी, कुंती जी, प्रिय अन्नपूर्णाजी, कल्पना जी,आप सबका प्रोत्साहित करती हुई टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार</p>
<p>आ॰ गिरिराज जी, आशुतोष जी, अखिलेश जी, आशीष जी,आदरणीया राजेश जी, कुंती जी, प्रिय अन्नपूर्णाजी, कल्पना जी,आप सबका प्रोत्साहित करती हुई टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार</p> बहुत सुंदर कुण्डलिया छंद बधाई…tag:openbooksonline.com,2014-05-02:5170231:Comment:5368252014-05-02T08:23:00.086Zannapurna bajpaihttp://openbooksonline.com/profile/annapurnabajpai
<p>बहुत सुंदर कुण्डलिया छंद बधाई आपको आ0 कल्पना दी । </p>
<p>बहुत सुंदर कुण्डलिया छंद बधाई आपको आ0 कल्पना दी । </p> बहुत सुंदर एवं मधुर रचना. कलप…tag:openbooksonline.com,2014-05-01:5170231:Comment:5363912014-05-01T21:41:56.245Zcoontee mukerjihttp://openbooksonline.com/profile/coonteemukerji
<p>बहुत सुंदर एवं मधुर रचना. कलपनाजी. हार्दिक बधाई.</p>
<p>बहुत सुंदर एवं मधुर रचना. कलपनाजी. हार्दिक बधाई.</p> आदरणीया कलपना जी , तीनो कुंडल…tag:openbooksonline.com,2014-05-01:5170231:Comment:5364332014-05-01T11:45:12.279Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीया कलपना जी , तीनो कुंडलिया बहुत अच्छी रचीं है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥</p>
<p>आदरणीया कलपना जी , तीनो कुंडलिया बहुत अच्छी रचीं है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥</p>