Comments - तुम और मैं - Open Books Online2024-03-28T08:47:08Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A545442&xn_auth=noनैसर्गिक सत्ता इकाइयों के अनु…tag:openbooksonline.com,2014-06-08:5170231:Comment:5469382014-06-08T15:53:43.984ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>नैसर्गिक सत्ता इकाइयों के अनुरूप चलती हुई भी सार्वभौमिक स्वरूप को जीती है. जड़-चेतन से रुपायित मानवीय व्यवहार संवेदना के स्तर पर कितना सर्वसमाही हुआ करता है !<br></br>आपकी कविता अपने बिम्बों के माध्यम से शाश्वत समृद्धियों को संजोती है. और प्रेम का कोमल स्वरूप दृढ़वत उत्साह के साथ साझा होता है. <br></br><br></br>समझा कौन, किसने समझाया<br></br>लम्बी कहानी बस इतनी सी.<br></br>वाह . क्या कहा है आपने ! <br></br>आपकी प्रस्तुत कविता की दशा को हर जीनेवाला जीता है. और ऊर्जस्वी होता जाता है. आपकी अभिव्यक्ति का समर्थन सभी…</p>
<p>नैसर्गिक सत्ता इकाइयों के अनुरूप चलती हुई भी सार्वभौमिक स्वरूप को जीती है. जड़-चेतन से रुपायित मानवीय व्यवहार संवेदना के स्तर पर कितना सर्वसमाही हुआ करता है !<br/>आपकी कविता अपने बिम्बों के माध्यम से शाश्वत समृद्धियों को संजोती है. और प्रेम का कोमल स्वरूप दृढ़वत उत्साह के साथ साझा होता है. <br/><br/>समझा कौन, किसने समझाया<br/>लम्बी कहानी बस इतनी सी.<br/>वाह . क्या कहा है आपने ! <br/>आपकी प्रस्तुत कविता की दशा को हर जीनेवाला जीता है. और ऊर्जस्वी होता जाता है. आपकी अभिव्यक्ति का समर्थन सभी प्रेमियों को मिले. <br/> <br/>हार्दिक शुभकामनाएँ, आदरणीया. <br/><br/></p> आदरणीया कुंती जी ..अध्य्त्मिक…tag:openbooksonline.com,2014-06-04:5170231:Comment:5461372014-06-04T07:25:29.915ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooksonline.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीया कुंती जी ..अध्य्त्मिकता का पु ट लिए हुए इस शसक्त और गंभीर रचना के लिए आपको तहे दिल बधाई सादर </p>
<p>आदरणीया कुंती जी ..अध्य्त्मिकता का पु ट लिए हुए इस शसक्त और गंभीर रचना के लिए आपको तहे दिल बधाई सादर </p> बहुत ही बढ़िया रचना !! आ0 कुंत…tag:openbooksonline.com,2014-06-04:5170231:Comment:5461112014-06-04T02:16:07.200Zannapurna bajpaihttp://openbooksonline.com/profile/annapurnabajpai
<p>बहुत ही बढ़िया रचना !! आ0 कुंती दीदी बधाई स्वीकारिए । </p>
<p>बहुत ही बढ़िया रचना !! आ0 कुंती दीदी बधाई स्वीकारिए । </p> कवियों की कही सबने मानीएक सच्…tag:openbooksonline.com,2014-06-03:5170231:Comment:5459512014-06-03T16:36:46.219ZMeena Pathakhttp://openbooksonline.com/profile/MeenaPathak
<p><span>कवियों की कही सबने मानी</span><br/><span>एक सच्चाई थी थोड़ी सी,</span><br/><span>समझा कौन, किसने समझाया</span><br/><span>लम्बी कहानी बस इतनी सी............................बहुत सुन्दर .. नमन आप को दी | सादर </span></p>
<p><span>कवियों की कही सबने मानी</span><br/><span>एक सच्चाई थी थोड़ी सी,</span><br/><span>समझा कौन, किसने समझाया</span><br/><span>लम्बी कहानी बस इतनी सी............................बहुत सुन्दर .. नमन आप को दी | सादर </span></p> बहुत खूबसूरत कमाल की रचना है…tag:openbooksonline.com,2014-06-02:5170231:Comment:5457412014-06-02T11:07:41.782Zशिज्जु "शकूर"http://openbooksonline.com/profile/ShijjuS
<p>बहुत खूबसूरत कमाल की रचना है बहुत बहुत बधाई आपको</p>
<p>बहुत खूबसूरत कमाल की रचना है बहुत बहुत बधाई आपको</p> कुछ कहानियां कभी खत्म नही होत…tag:openbooksonline.com,2014-06-02:5170231:Comment:5458112014-06-02T06:29:51.690ZArun Srihttp://openbooksonline.com/profile/ArunSrivastava
<p>कुछ कहानियां कभी खत्म नही होतीं ! अच्छा भी है कि जीवन हमेशा कहानियों सा सरल और प्रवाह मय बना रहे ! :-)))))))</p>
<p>कुछ कहानियां कभी खत्म नही होतीं ! अच्छा भी है कि जीवन हमेशा कहानियों सा सरल और प्रवाह मय बना रहे ! :-)))))))</p> एक एहसास था मन के कोने मेंवह…tag:openbooksonline.com,2014-06-01:5170231:Comment:5456522014-06-01T18:29:02.179Zजितेन्द्र पस्टारियाhttp://openbooksonline.com/profile/JitendraPastariya
<p><span>एक एहसास था मन के कोने में</span><br/><span>वह ढूँढ़ रहा था एक ठाँव,</span><br/><span>कितने बसेरे मिले थे पहचाने से</span><br/><span>पर तुम बिन था कहाँ ठहराव..........................सुंदर,मन को छू जाते हुए भाव. हार्दिक बधाई आदरणीया कुंती जी</span></p>
<p><span>एक एहसास था मन के कोने में</span><br/><span>वह ढूँढ़ रहा था एक ठाँव,</span><br/><span>कितने बसेरे मिले थे पहचाने से</span><br/><span>पर तुम बिन था कहाँ ठहराव..........................सुंदर,मन को छू जाते हुए भाव. हार्दिक बधाई आदरणीया कुंती जी</span></p> किसका सफ़र था जो हवा बन केगुज़र…tag:openbooksonline.com,2014-06-01:5170231:Comment:5456462014-06-01T17:16:46.166Zrajesh kumarihttp://openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>किसका सफ़र था जो हवा बन के<br/>गुज़र रहा था पात पात <br/>एक गुलाब खिला था वन में<br/>कुछ महक थी बसी मकरंद में.</p>
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<p>एक एहसास था मन के कोने में<br/>वह ढूँढ़ रहा था एक ठाँव,<br/>कितने बसेरे मिले थे पहचाने से<br/>पर तुम बिन था कहाँ ठहराव.---वाह वाह बहुत सुन्दर प्रभाव शाली पंक्तिया ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...हार्दिक बधाई आपको आ० कुंती जी </p>
<p>किसका सफ़र था जो हवा बन के<br/>गुज़र रहा था पात पात <br/>एक गुलाब खिला था वन में<br/>कुछ महक थी बसी मकरंद में.</p>
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<p>एक एहसास था मन के कोने में<br/>वह ढूँढ़ रहा था एक ठाँव,<br/>कितने बसेरे मिले थे पहचाने से<br/>पर तुम बिन था कहाँ ठहराव.---वाह वाह बहुत सुन्दर प्रभाव शाली पंक्तिया ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...हार्दिक बधाई आपको आ० कुंती जी </p> तुम और मै के जन्म जन्मान्तर स…tag:openbooksonline.com,2014-06-01:5170231:Comment:5454012014-06-01T07:08:41.799Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>तुम और मै के जन्म जन्मान्तर सम्बन्ध के प्रति निश्चित आश्वस्ति और भरोसे को इस कामना के साथ प्रणाम कि यही सच हो iआदरणीया i </p>
<p>तुम और मै के जन्म जन्मान्तर सम्बन्ध के प्रति निश्चित आश्वस्ति और भरोसे को इस कामना के साथ प्रणाम कि यही सच हो iआदरणीया i </p>