Comments - मेरा ब्लड ग्रुप?... याद नहीं है! (लघुकथा) - Open Books Online2024-03-29T00:47:36Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A546623&xn_auth=noआजकल बुजुर्गों की व्यथा ....घ…tag:openbooksonline.com,2016-06-07:5170231:Comment:7738462016-06-07T17:33:07.216Zdeepti arorahttp://openbooksonline.com/profile/deeptiarora
आजकल बुजुर्गों की व्यथा ....घर घर की कहानी
आजकल बुजुर्गों की व्यथा ....घर घर की कहानी आदरणीय श्री सौरभ पाण्डेय साहब…tag:openbooksonline.com,2014-06-19:5170231:Comment:5501842014-06-19T10:25:45.935ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>आदरणीय श्री सौरभ पाण्डेय साहब, सादर अभिवादन!</p>
<p>आपने आशीर्वाद दिया आपका आभार ..मैंने जो लिखा है वह आँखों के सामने गुज़री है बस मैंने इसे सार्वजनिक करना चाहा ..आखिर हम कहाँ जा रहे हैं. ..सादर!</p>
<p>आदरणीय श्री सौरभ पाण्डेय साहब, सादर अभिवादन!</p>
<p>आपने आशीर्वाद दिया आपका आभार ..मैंने जो लिखा है वह आँखों के सामने गुज़री है बस मैंने इसे सार्वजनिक करना चाहा ..आखिर हम कहाँ जा रहे हैं. ..सादर!</p> भाई जवाहरजी, आपकी लघुकथा ने न…tag:openbooksonline.com,2014-06-17:5170231:Comment:5496712014-06-17T19:56:51.792ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>भाई जवाहरजी, आपकी लघुकथा ने नम कर दिया.. <br/>ये बुज़ुर्ग़ अपने परिचितों, आपसी सम्बन्धों को कितना बचा कर रखना चाहते हैं. उन्हें मालूम ही नहीं कि आजकी पीढ़ी फटीचर हो चुकी है, उसे किसी चीज की परवाह नहीं.. .सम्बन्ध निभाना और उसे सम्भालना तक नहीं आता..</p>
<p><br/>बधाई आपको इस मार्मिक लघुकथा के लिए <br/><br/></p>
<p>भाई जवाहरजी, आपकी लघुकथा ने नम कर दिया.. <br/>ये बुज़ुर्ग़ अपने परिचितों, आपसी सम्बन्धों को कितना बचा कर रखना चाहते हैं. उन्हें मालूम ही नहीं कि आजकी पीढ़ी फटीचर हो चुकी है, उसे किसी चीज की परवाह नहीं.. .सम्बन्ध निभाना और उसे सम्भालना तक नहीं आता..</p>
<p><br/>बधाई आपको इस मार्मिक लघुकथा के लिए <br/><br/></p> समर्थन के लिए हार्दिक आभार आद…tag:openbooksonline.com,2014-06-17:5170231:Comment:5496602014-06-17T15:56:57.681ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>समर्थन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय भ्रमर जी,</p>
<p>समर्थन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय भ्रमर जी,</p> पारिवारिक स्नेह घटा जा रहा है…tag:openbooksonline.com,2014-06-08:5170231:Comment:5469322014-06-08T14:40:59.767ZSURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMARhttp://openbooksonline.com/profile/SURENDRAKUMARSHUKLABHRAMAR
<p>पारिवारिक स्नेह घटा जा रहा है विघटन हो रहा दूरियां बढ़ी जा रहीं प्यारी लघु कथा बड़ी बात दर्शा गयी <br/>आभार <br/>भ्रमर ५</p>
<p>पारिवारिक स्नेह घटा जा रहा है विघटन हो रहा दूरियां बढ़ी जा रहीं प्यारी लघु कथा बड़ी बात दर्शा गयी <br/>आभार <br/>भ्रमर ५</p> आदरणीया कुंती मुखर्जी जी, साद…tag:openbooksonline.com,2014-06-08:5170231:Comment:5468732014-06-08T12:40:04.052ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p><span>आदरणीया कुंती मुखर्जी जी, सादर अभिवादन! आपने कथा के मर्म को समझा और अपनी सार्थक प्रतिक्रिया दी ..यह सोचने वाली बात है ... हम सब इसी समाज का हिस्सा हैं. चिंतन-मनन की गंभीर आवश्यकता है. उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार!</span></p>
<p><span>आदरणीया कुंती मुखर्जी जी, सादर अभिवादन! आपने कथा के मर्म को समझा और अपनी सार्थक प्रतिक्रिया दी ..यह सोचने वाली बात है ... हम सब इसी समाज का हिस्सा हैं. चिंतन-मनन की गंभीर आवश्यकता है. उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार!</span></p> आदरणीय विजय निकोरे साहब, सादर…tag:openbooksonline.com,2014-06-08:5170231:Comment:5469302014-06-08T12:35:46.491ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p><span>आदरणीय विजय निकोरे साहब, सादर अभिवादन! उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार!</span></p>
<p><span>आदरणीय विजय निकोरे साहब, सादर अभिवादन! उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार!</span></p> आदरणीया राजेश कुमारी जी, सादर…tag:openbooksonline.com,2014-06-08:5170231:Comment:5470382014-06-08T12:34:11.965ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p><span>आदरणीया राजेश कुमारी जी, सादर अभिवादन! उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार!</span></p>
<p><span>आदरणीया राजेश कुमारी जी, सादर अभिवादन! उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार!</span></p> आदरणीया मीना पाठक जी, सादर अभ…tag:openbooksonline.com,2014-06-08:5170231:Comment:5471072014-06-08T12:31:23.908ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p><span>आदरणीया मीना पाठक जी, सादर अभिवादन! उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार! ...मेरा उद्देश्य यही था कि समाज की वास्तविकता आज क्या रह गयी है. उस सुपुत्र का शिष्टाचार वश भी कुछ देर न रुकना इलाज करने वाले डॉ. से कोई बात न करना मुझे बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा लेकिन बेचारे बुजुर्ग अपने बेटे के पद का बखान करते थक नहीं रहे थे...सादर!</span></p>
<p><span>आदरणीया मीना पाठक जी, सादर अभिवादन! उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार! ...मेरा उद्देश्य यही था कि समाज की वास्तविकता आज क्या रह गयी है. उस सुपुत्र का शिष्टाचार वश भी कुछ देर न रुकना इलाज करने वाले डॉ. से कोई बात न करना मुझे बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा लेकिन बेचारे बुजुर्ग अपने बेटे के पद का बखान करते थक नहीं रहे थे...सादर!</span></p> आदरणीया अन्नपूर्णा बाजपेयी ज…tag:openbooksonline.com,2014-06-08:5170231:Comment:5467062014-06-08T12:25:59.826ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>आदरणीया अन्नपूर्णा बाजपेयी जी, सादर अभिवादन! उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार!</p>
<p>आदरणीया अन्नपूर्णा बाजपेयी जी, सादर अभिवादन! उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार!</p>