Comments - ग़ज़ल: हवा का शौक जब पर कुतरना हो गया है - Open Books Online2024-03-29T15:14:14Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A555776&xn_auth=noआदरणीय सौरभ पाण्डेय साहब बेहद…tag:openbooksonline.com,2014-09-17:5170231:Comment:5756612014-09-17T14:37:31.043Zभुवन निस्तेजhttp://openbooksonline.com/profile/BHUWANNISTEJ
<p>आदरणीय सौरभ पाण्डेय साहब बेहद शुक्रिया... मई कोशिस करूँगा की क्रिया परिवर्तित करूँ,,,</p>
<p>आदरणीय सौरभ पाण्डेय साहब बेहद शुक्रिया... मई कोशिस करूँगा की क्रिया परिवर्तित करूँ,,,</p> एक सार्थक प्रयास के लिए हार्द…tag:openbooksonline.com,2014-07-14:5170231:Comment:5591692014-07-14T21:01:45.327ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>एक सार्थक प्रयास के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय भुवन भाईजी. <br/>बहुत अच्छी ग़ज़ल से आपने प्रसन्न किया है. </p>
<p>अलबत्ता, वो छींका और खबर में धमाका हो गया है .. जैसे मिसरे ग़ज़ल के लिहाज से सधे नहीं कहे जा सकते. ऐसा मेरा मानना है. छींकना जैसी क्रिया आपकी ग़ज़ल में जाने क्यों अटपटी लगी.<br/>अन्यथा अन्य शेर बेहतर हुए हैं <br/>दिल से दाद कुबूल कीजिये</p>
<p>एक सार्थक प्रयास के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय भुवन भाईजी. <br/>बहुत अच्छी ग़ज़ल से आपने प्रसन्न किया है. </p>
<p>अलबत्ता, वो छींका और खबर में धमाका हो गया है .. जैसे मिसरे ग़ज़ल के लिहाज से सधे नहीं कहे जा सकते. ऐसा मेरा मानना है. छींकना जैसी क्रिया आपकी ग़ज़ल में जाने क्यों अटपटी लगी.<br/>अन्यथा अन्य शेर बेहतर हुए हैं <br/>दिल से दाद कुबूल कीजिये</p> आदरणीय गुमनाम पिथोरागढ़ी भाई ध…tag:openbooksonline.com,2014-07-10:5170231:Comment:5573032014-07-10T12:37:29.636Zभुवन निस्तेजhttp://openbooksonline.com/profile/BHUWANNISTEJ
<p>आदरणीय गुमनाम पिथोरागढ़ी भाई धन्यवाद....</p>
<p>आदरणीय गुमनाम पिथोरागढ़ी भाई धन्यवाद....</p> आदरणीय शिज्जु शकूर साहब हार्द…tag:openbooksonline.com,2014-07-10:5170231:Comment:5575302014-07-10T12:36:36.344Zभुवन निस्तेजhttp://openbooksonline.com/profile/BHUWANNISTEJ
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/ShijjuS" class="fn url">शिज्जु शकूर</a> साहब हार्दिक धन्यवाद....</p>
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/ShijjuS" class="fn url">शिज्जु शकूर</a> साहब हार्दिक धन्यवाद....</p> आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब ध…tag:openbooksonline.com,2014-07-10:5170231:Comment:5573022014-07-10T12:35:59.710Zभुवन निस्तेजhttp://openbooksonline.com/profile/BHUWANNISTEJ
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/girirajbhandari" class="fn url">गिरिराज भंडारी</a> साहब धन्यवाद. इस पर मैंने<strong> १२२ २१२२ १२२ २१२२(</strong><strong><br/></strong></p>
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/girirajbhandari" class="fn url">गिरिराज भंडारी</a> साहब धन्यवाद. इस पर मैंने<strong> १२२ २१२२ १२२ २१२२(</strong><strong><br/></strong></p> आदरणीय Ravi Prabhakar भाई, आ…tag:openbooksonline.com,2014-07-10:5170231:Comment:5573012014-07-10T12:32:02.026Zभुवन निस्तेजhttp://openbooksonline.com/profile/BHUWANNISTEJ
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/RaviPrabhakar" class="fn url">Ravi Prabhakar</a> भाई, आपको मजा आ गया तो समझिये हमारी कोशिश कामयाब रही,कृपया स्नेह बनाये रक्खे...सादर..</p>
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/RaviPrabhakar" class="fn url">Ravi Prabhakar</a> भाई, आपको मजा आ गया तो समझिये हमारी कोशिश कामयाब रही,कृपया स्नेह बनाये रक्खे...सादर..</p> आदरणीय Dr Ashutosh Mishra सा…tag:openbooksonline.com,2014-07-10:5170231:Comment:5573002014-07-10T12:30:40.326Zभुवन निस्तेजhttp://openbooksonline.com/profile/BHUWANNISTEJ
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/DrAshutoshMishra" class="fn url">Dr Ashutosh Mishra</a> साहब आपकी नज़र पड़ते ही पत्थर पारस बन गया.....सादर..</p>
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/DrAshutoshMishra" class="fn url">Dr Ashutosh Mishra</a> साहब आपकी नज़र पड़ते ही पत्थर पारस बन गया.....सादर..</p> आदरणीय अरुन शर्मा 'अनन्त भाई…tag:openbooksonline.com,2014-07-10:5170231:Comment:5576412014-07-10T12:29:17.496Zभुवन निस्तेजhttp://openbooksonline.com/profile/BHUWANNISTEJ
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/ArunSharma" class="fn url">अरुन शर्मा 'अनन्त</a> भाई आपको ढेरों धन्यवाद, यह एहसास मुझे भी हो रहा था की ग़ज़ल पक नहीं रही, जब प्रयास कर हारा तो इसे मंच के हवाले कर दिया ताकि इस पर यहीं चर्चा हो पाए, पर दुर्भाग्य देखिये की कई दिनों से ऑफलाइन था....सादर</p>
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<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/ArunSharma" class="fn url">अरुन शर्मा 'अनन्त</a> भाई आपको ढेरों धन्यवाद, यह एहसास मुझे भी हो रहा था की ग़ज़ल पक नहीं रही, जब प्रयास कर हारा तो इसे मंच के हवाले कर दिया ताकि इस पर यहीं चर्चा हो पाए, पर दुर्भाग्य देखिये की कई दिनों से ऑफलाइन था....सादर</p>
<p></p> आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीव…tag:openbooksonline.com,2014-07-10:5170231:Comment:5572982014-07-10T12:25:27.589Zभुवन निस्तेजhttp://openbooksonline.com/profile/BHUWANNISTEJ
<p><span>आदरणीय </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA" class="fn url">डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव</a> साहब, हौसला आफज़ाई के लिए शुक्रिया...</p>
<p><span>आदरणीय </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA" class="fn url">डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव</a> साहब, हौसला आफज़ाई के लिए शुक्रिया...</p> सुदर गजल हुई है बधाई ।....…tag:openbooksonline.com,2014-07-09:5170231:Comment:5570562014-07-09T01:55:10.789Zgumnaam pithoragarhihttp://openbooksonline.com/profile/gumnaampithoragarhi
<p>सुदर गजल हुई है बधाई ।...........................i</p>
<p>सुदर गजल हुई है बधाई ।...........................i</p>