Comments - प्रीतम की गली......... - Open Books Online2024-03-29T14:23:05Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A56094&xn_auth=no"वन्दना जी, और, गनेश जी,
आप द…tag:openbooksonline.com,2011-02-27:5170231:Comment:564472011-02-27T15:09:58.068ZSanjay Rajendraprasad Yadavhttp://openbooksonline.com/profile/SanjayRajendraprasadYadav
<div>"वन्दना जी, और, गनेश जी,</div>
<div>आप दोनों जन को हमारी तरफ से स्नेह,अदब भरा नमस्कार....................</div>
<div> कोई भूल हो तो छमा के पात्र समझना,गनेश जी मै मानता हूँ की मै जो भी लिखता हूँ उसमे बहुत कुछ शेष रह जाता है, मै कवी की हैसियत से कभी कुछ लिखा नहीं और ना लिख पाऊँगा, </div>
<div>मेरे दिल के भावनाओं को वक्त के कुछ छड,और कुछ शब्द छू जाते है तो मै ऊपर-निचे कर के कुछ लिख देता हूँ !</div>
<div>"वन्दना जी, और, गनेश जी,</div>
<div>आप दोनों जन को हमारी तरफ से स्नेह,अदब भरा नमस्कार....................</div>
<div> कोई भूल हो तो छमा के पात्र समझना,गनेश जी मै मानता हूँ की मै जो भी लिखता हूँ उसमे बहुत कुछ शेष रह जाता है, मै कवी की हैसियत से कभी कुछ लिखा नहीं और ना लिख पाऊँगा, </div>
<div>मेरे दिल के भावनाओं को वक्त के कुछ छड,और कुछ शब्द छू जाते है तो मै ऊपर-निचे कर के कुछ लिख देता हूँ !</div> जहां नेह प्रीत की पाकर पनपे अ…tag:openbooksonline.com,2011-02-26:5170231:Comment:560982011-02-26T16:19:42.092ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>जहां नेह प्रीत की पाकर पनपे अरमानो का जहां,</p>
<p>उस राह के कांटे भी जब पैरो में चुभे तो फूल लगे,</p>
<p> </p>
<p>यह रचना भी खुबसूरत है , बेहतरी की सम्भावना शेष , बधाई इस प्रस्तुति पर</p>
<p>जहां नेह प्रीत की पाकर पनपे अरमानो का जहां,</p>
<p>उस राह के कांटे भी जब पैरो में चुभे तो फूल लगे,</p>
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<p>यह रचना भी खुबसूरत है , बेहतरी की सम्भावना शेष , बधाई इस प्रस्तुति पर</p>