Comments - नवगीत:चलता सूरज रहा अकेला - Open Books Online2024-03-29T12:57:49Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A577549&xn_auth=noआदरणीय Santilal Karun जी आपकी…tag:openbooksonline.com,2014-09-29:5170231:Comment:5787392014-09-29T19:13:36.313Zharivallabh sharmahttp://openbooksonline.com/profile/harivallabhsharma
<p>आदरणीय Santilal Karun जी आपकी मधुर प्रतिक्रिया पाकर मन पुलकित हुआ, आपका हार्दिक आभार,कृपया स्नेह बनाये रखें,सादर.</p>
<p>आदरणीय Santilal Karun जी आपकी मधुर प्रतिक्रिया पाकर मन पुलकित हुआ, आपका हार्दिक आभार,कृपया स्नेह बनाये रखें,सादर.</p> आदरणीय हरिवल्लभ शर्मा जी,
पूर…tag:openbooksonline.com,2014-09-27:5170231:Comment:5783372014-09-27T14:47:46.445ZSantlal Karunhttp://openbooksonline.com/profile/SantlalKarun
<p>आदरणीय हरिवल्लभ शर्मा जी,</p>
<p>पूरा गीत सुमधुर और अर्थवान है , अति सुन्दर , सहृदय साधुवान एवं सद्भावनाएँ --</p>
<p>पीपल के थर्राते पात,</p>
<p>"छुईमुई के सकुचाते गात.</p>
<p>ऊषा की ज्यो छाती लाली,</p>
<p>पुलकित हो जाती हरियाली.</p>
<p>सभी चाहते भोजन पानी,</p>
<p>जल थल पर है मचा बबेला.</p>
<p>चलता सूरज रहा अकेला."</p>
<p>आदरणीय हरिवल्लभ शर्मा जी,</p>
<p>पूरा गीत सुमधुर और अर्थवान है , अति सुन्दर , सहृदय साधुवान एवं सद्भावनाएँ --</p>
<p>पीपल के थर्राते पात,</p>
<p>"छुईमुई के सकुचाते गात.</p>
<p>ऊषा की ज्यो छाती लाली,</p>
<p>पुलकित हो जाती हरियाली.</p>
<p>सभी चाहते भोजन पानी,</p>
<p>जल थल पर है मचा बबेला.</p>
<p>चलता सूरज रहा अकेला."</p> आदरणीया rajesh kumari जी रचना…tag:openbooksonline.com,2014-09-25:5170231:Comment:5778462014-09-25T17:49:51.379Zharivallabh sharmahttp://openbooksonline.com/profile/harivallabhsharma
<p>आदरणीया rajesh kumari जी रचना पर आपका स्नेह मिश्रित हुआ ..बहुत प्रोत्साहन दिया आपने आपका सादर आभार...स्नेह बनाये रखें.</p>
<p>आदरणीया rajesh kumari जी रचना पर आपका स्नेह मिश्रित हुआ ..बहुत प्रोत्साहन दिया आपने आपका सादर आभार...स्नेह बनाये रखें.</p> आदरणीय khursheed khairadi साह…tag:openbooksonline.com,2014-09-25:5170231:Comment:5778452014-09-25T17:47:44.512Zharivallabh sharmahttp://openbooksonline.com/profile/harivallabhsharma
<p>आदरणीय khursheed khairadi साहब आपने रचना पर जो स्नेह दिया निश्चित ही हौसला बढ़ा है....आपका हार्दिक आभार ..स्नेह बनाये रखें सादर.</p>
<p>आदरणीय khursheed khairadi साहब आपने रचना पर जो स्नेह दिया निश्चित ही हौसला बढ़ा है....आपका हार्दिक आभार ..स्नेह बनाये रखें सादर.</p> ऐसा प्रवाहमान ,लय प्रधान नव ग…tag:openbooksonline.com,2014-09-25:5170231:Comment:5777762014-09-25T13:24:37.670Zrajesh kumarihttp://openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>ऐसा प्रवाहमान ,लय प्रधान नव गीत पढने को मिलेगा तो किसका मन झूम नहीं उठेगा ,वाह वाह और सिर्फ वाह ...बहुत बहुत बधाई आ० हरिवल्लभ शर्मा जी |</p>
<p>ऐसा प्रवाहमान ,लय प्रधान नव गीत पढने को मिलेगा तो किसका मन झूम नहीं उठेगा ,वाह वाह और सिर्फ वाह ...बहुत बहुत बधाई आ० हरिवल्लभ शर्मा जी |</p> उड़ते उड़ते थके पखेरू,
कूद रहे…tag:openbooksonline.com,2014-09-25:5170231:Comment:5777392014-09-25T03:58:09.335Zkhursheed khairadihttp://openbooksonline.com/profile/khursheedkhairadi
<p><span>उड़ते उड़ते थके पखेरू,</span></p>
<p>कूद रहे घर बंधे बछेरू.</p>
<p>कलरव कोलाहल की धूम.</p>
<p>कुछ तरुओं पर मचा हुजूम.</p>
<p>एक तरफ थी भोर सिंदूरी,</p>
<p>एक तरफ है सुरमई बेला.</p>
<p>आदरणीय हरिवल्लभ जी बहुत सुन्दर गीत है ,सभी बंध सरस है |हार्दिक अभिनन्दन </p>
<p><span>उड़ते उड़ते थके पखेरू,</span></p>
<p>कूद रहे घर बंधे बछेरू.</p>
<p>कलरव कोलाहल की धूम.</p>
<p>कुछ तरुओं पर मचा हुजूम.</p>
<p>एक तरफ थी भोर सिंदूरी,</p>
<p>एक तरफ है सुरमई बेला.</p>
<p>आदरणीय हरिवल्लभ जी बहुत सुन्दर गीत है ,सभी बंध सरस है |हार्दिक अभिनन्दन </p> आदरणीया savitamishra जी हार्द…tag:openbooksonline.com,2014-09-24:5170231:Comment:5774782014-09-24T17:37:14.298Zharivallabh sharmahttp://openbooksonline.com/profile/harivallabhsharma
<p>आदरणीया savitamishra जी हार्दिक आभार आपने रचना को मान दिया...</p>
<p>आदरणीया savitamishra जी हार्दिक आभार आपने रचना को मान दिया...</p> बहुत सुन्दरtag:openbooksonline.com,2014-09-24:5170231:Comment:5777302014-09-24T16:44:15.610Zsavitamishrahttp://openbooksonline.com/profile/savitamisra
<p>बहुत सुन्दर</p>
<p>बहुत सुन्दर</p>