Comments - भारत की कुण्डली में तीन अमंगल ग्रह ( आल्हा छंद ) अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव - Open Books Online2024-03-29T11:22:27Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A578849&xn_auth=noआदरणीय एडमिनजी / गणेश भाईजी
त…tag:openbooksonline.com,2014-10-05:5170231:Comment:5795392014-10-05T07:52:30.297Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p><span>आदरणीय एडमिनजी / गणेश भाईजी</span></p>
<p>त्वरित संशोधन हेतु . आभार </p>
<p><span>आदरणीय एडमिनजी / गणेश भाईजी</span></p>
<p>त्वरित संशोधन हेतु . आभार </p> यथा संशोधित।tag:openbooksonline.com,2014-10-05:5170231:Comment:5796242014-10-05T07:36:45.690ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>यथा संशोधित।</p>
<p>यथा संशोधित।</p> आदरणीया राजेशजी
रचना की प्रश…tag:openbooksonline.com,2014-10-05:5170231:Comment:5797112014-10-05T07:28:10.807Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>आदरणीया राजेशजी </p>
<p><span>रचना की प्रशंसा और सुझाव के लिए हार्दिक धन्यवाद, आभार</span></p>
<p><span>आवश्यक संशोधन हेतु एडमिंनजी से अनुरोध किया हूँ </span></p>
<p><span>शत्रु देश में घुस नहि पाय ..... मात्रा कम हो रही है </span></p>
<p>सादर </p>
<p>आदरणीया राजेशजी </p>
<p><span>रचना की प्रशंसा और सुझाव के लिए हार्दिक धन्यवाद, आभार</span></p>
<p><span>आवश्यक संशोधन हेतु एडमिंनजी से अनुरोध किया हूँ </span></p>
<p><span>शत्रु देश में घुस नहि पाय ..... मात्रा कम हो रही है </span></p>
<p>सादर </p> आदरणीय एडमिनजी
एक अनुरोध....…tag:openbooksonline.com,2014-10-05:5170231:Comment:5796232014-10-05T07:23:37.981Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>आदरणीय एडमिनजी </p>
<p>एक अनुरोध.......... निम्न संशोधन करने की कृपा करें ......... धन्यवाद </p>
<p><strong>3 सरी की दूसरी पंक्ति </strong></p>
<p><strong>संशोधित.</strong>...........राम - राम कहता अमरीका, छुरी बगल में लिया दबाय॥ </p>
<p></p>
<p><strong>9 वीं की दूसरी पंक्ति</strong> ............<span> </span></p>
<p><strong>संशोधित</strong> ........................ कोई बस ना चले हमारा , खिसियाकर बस हम रह जांय।। </p>
<p>सादर </p>
<p></p>
<p></p>
<p>आदरणीय एडमिनजी </p>
<p>एक अनुरोध.......... निम्न संशोधन करने की कृपा करें ......... धन्यवाद </p>
<p><strong>3 सरी की दूसरी पंक्ति </strong></p>
<p><strong>संशोधित.</strong>...........राम - राम कहता अमरीका, छुरी बगल में लिया दबाय॥ </p>
<p></p>
<p><strong>9 वीं की दूसरी पंक्ति</strong> ............<span> </span></p>
<p><strong>संशोधित</strong> ........................ कोई बस ना चले हमारा , खिसियाकर बस हम रह जांय।। </p>
<p>सादर </p>
<p></p>
<p></p> आदरणीय रमेश भाई,
रचना की प्र…tag:openbooksonline.com,2014-10-04:5170231:Comment:5794432014-10-04T06:22:52.272Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p><span>आदरणीय रमेश भाई, </span></p>
<p>रचना की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद </p>
<p><span>आदरणीय रमेश भाई, </span></p>
<p>रचना की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद </p> आल्हा छंद पर बहुत सुन्दर प्रय…tag:openbooksonline.com,2014-10-04:5170231:Comment:5792032014-10-04T06:19:39.646Zrajesh kumarihttp://openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p><span>आल्हा छंद पर बहुत सुन्दर प्रयास .....बगल में छुरी लिया दबाय----छुरी बगल में लिया दबाय करने से प्रवाह सही होगा </span></p>
<p><span><span>दुश्मन देश में घुस न पाय----शत्रु देश में घुस नहि पाय </span></span></p>
<p>बहुत- बहुत बधाई आपको आ० अखिलेश जी. </p>
<p><span>आल्हा छंद पर बहुत सुन्दर प्रयास .....बगल में छुरी लिया दबाय----छुरी बगल में लिया दबाय करने से प्रवाह सही होगा </span></p>
<p><span><span>दुश्मन देश में घुस न पाय----शत्रु देश में घुस नहि पाय </span></span></p>
<p>बहुत- बहुत बधाई आपको आ० अखिलेश जी. </p> मनभावन प्रस्तुति आदरणीय बधाईtag:openbooksonline.com,2014-10-03:5170231:Comment:5794152014-10-03T14:39:00.306Zरमेश कुमार चौहानhttp://openbooksonline.com/profile/Rameshkumarchauhan
<p>मनभावन प्रस्तुति आदरणीय बधाई</p>
<p>मनभावन प्रस्तुति आदरणीय बधाई</p> आदरणीय गणेश भाईजी,
आल्हा छंद…tag:openbooksonline.com,2014-10-03:5170231:Comment:5793162014-10-03T08:07:33.875Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p><span>आदरणीय गणेश भाईजी,</span></p>
<p>आल्हा छंद पर आपकी टिप्पणी उत्साहवर्धक है, <span> रचना आपको पसंद आई , हृदय से धन्यवाद आभार । </span></p>
<p><span>आदरणीय गणेश भाईजी,</span></p>
<p>आल्हा छंद पर आपकी टिप्पणी उत्साहवर्धक है, <span> रचना आपको पसंद आई , हृदय से धन्यवाद आभार । </span></p> आल्हा उर्फ़ वीर छन्द हेतु बहुत…tag:openbooksonline.com,2014-10-03:5170231:Comment:5789992014-10-03T03:16:27.039ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>आल्हा उर्फ़ वीर छन्द हेतु बहुत ही ओजपूर्ण विषय का चुनाव किया है आदरणीय, रचना अच्छी लगी, बहुत बहुत बधाई प्रेषित है, स्वीकार करें।</p>
<p>आल्हा उर्फ़ वीर छन्द हेतु बहुत ही ओजपूर्ण विषय का चुनाव किया है आदरणीय, रचना अच्छी लगी, बहुत बहुत बधाई प्रेषित है, स्वीकार करें।</p> सादर .tag:openbooksonline.com,2014-10-02:5170231:Comment:5789692014-10-02T11:14:24.178ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
सादर .
सादर .