Comments - लघुकथा : सुकून (गणेश जी बागी) - Open Books Online2024-03-29T01:12:35Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A592276&xn_auth=noलाजवाब लघुकथा है ये आपकी…tag:openbooksonline.com,2016-06-02:5170231:Comment:7727752016-06-02T17:18:48.564Zkanta royhttp://openbooksonline.com/profile/kantaroy
<p>लाजवाब लघुकथा है ये आपकी आदरणीय गणेश जी 'बागी ' जी , बहुत -बहुत बधाई आपको . </p>
<p>लाजवाब लघुकथा है ये आपकी आदरणीय गणेश जी 'बागी ' जी , बहुत -बहुत बधाई आपको . </p> बहुत कमाल की लघुकथा हुई है भा…tag:openbooksonline.com,2014-12-09:5170231:Comment:5934612014-12-09T09:21:30.362Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
<p>बहुत कमाल की लघुकथा हुई है भाई गणेश बागी जी, बधाई प्रेषित है।</p>
<p>बहुत कमाल की लघुकथा हुई है भाई गणेश बागी जी, बधाई प्रेषित है।</p> सादर नमन ,सर
दरअसल सर, १८ नबम…tag:openbooksonline.com,2014-12-08:5170231:Comment:5932212014-12-08T06:40:54.633Zजितेन्द्र पस्टारियाhttp://openbooksonline.com/profile/JitendraPastariya
<p>सादर नमन ,सर</p>
<p>दरअसल सर, १८ नबम्बर को एक सड़क दुर्घटना में मेरे दायें हाथ व् पैर में काफी चोट आई. हाथ की सर्जरी के कारण मुझे १० दिनों तक हॉस्पिटल में एडमिट रखा गया. हाथ पूरा कवर्ड किया हुआ है जो फरवरी तक रहेगा. बाएं हाथ से टाइपिंग में परेशानी होती है. अत कमेन्ट नही लिख पाटा.</p>
<p>लघुकथा पर आपको पुन: बधाई ,सर . आपके स्नेह हेतु हमेशा आपका आभारी हूँ</p>
<p>सादर</p>
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<p>सादर नमन ,सर</p>
<p>दरअसल सर, १८ नबम्बर को एक सड़क दुर्घटना में मेरे दायें हाथ व् पैर में काफी चोट आई. हाथ की सर्जरी के कारण मुझे १० दिनों तक हॉस्पिटल में एडमिट रखा गया. हाथ पूरा कवर्ड किया हुआ है जो फरवरी तक रहेगा. बाएं हाथ से टाइपिंग में परेशानी होती है. अत कमेन्ट नही लिख पाटा.</p>
<p>लघुकथा पर आपको पुन: बधाई ,सर . आपके स्नेह हेतु हमेशा आपका आभारी हूँ</p>
<p>सादर</p>
<p></p> क्या महीनी है ! वाह-वाह !! इस…tag:openbooksonline.com,2014-12-07:5170231:Comment:5932162014-12-07T17:26:49.125ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>क्या महीनी है ! वाह-वाह !! इस लघुकथा का अंदाज़.. सुबहानअल्लाह !!!</p>
<p><br/>गणेशभाई, कहना न होगा, आजकल लघुकथाओं पर आपकी पकड़ इतनी सशक्त होती जा रही है कि बस मुग्ध हुआ जा सकता है. इधर की कई लघुकथाएँ विशेष रूप से उल्लेखनीय हुई हैं. इन संग्रहणीय ही नहीं, अनुकरणीय प्रयासों पर हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें. <br/>शुभेच्छाएँ</p>
<p></p>
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<p>क्या महीनी है ! वाह-वाह !! इस लघुकथा का अंदाज़.. सुबहानअल्लाह !!!</p>
<p><br/>गणेशभाई, कहना न होगा, आजकल लघुकथाओं पर आपकी पकड़ इतनी सशक्त होती जा रही है कि बस मुग्ध हुआ जा सकता है. इधर की कई लघुकथाएँ विशेष रूप से उल्लेखनीय हुई हैं. इन संग्रहणीय ही नहीं, अनुकरणीय प्रयासों पर हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें. <br/>शुभेच्छाएँ</p>
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<div style="display: none;" id="__hggasdgjhsagd_once"></div> आदरणीय बागी जी अत्यधिक प्रभाव…tag:openbooksonline.com,2014-12-07:5170231:Comment:5932132014-12-07T15:17:14.084Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooksonline.com/profile/mw
आदरणीय बागी जी अत्यधिक प्रभावशील और सीधे दिमाग को झंकझोर देने वाली कहानी । सब कुछ समझ में आने के बाद भी उस सत्य का प्रश्न दिमाग में लगातार चलने लगा है। बेहतरीन लघुकथा।
आदरणीय बागी जी अत्यधिक प्रभावशील और सीधे दिमाग को झंकझोर देने वाली कहानी । सब कुछ समझ में आने के बाद भी उस सत्य का प्रश्न दिमाग में लगातार चलने लगा है। बेहतरीन लघुकथा। प्रिय सोमेश जी, आपकी सराहना न…tag:openbooksonline.com,2014-12-07:5170231:Comment:5930682014-12-07T13:40:06.254ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>प्रिय सोमेश जी, आपकी सराहना निश्चित ही और अच्छा लिखने हेतु प्रेरित करती है, बहुत बहुत आभार.</p>
<p>प्रिय सोमेश जी, आपकी सराहना निश्चित ही और अच्छा लिखने हेतु प्रेरित करती है, बहुत बहुत आभार.</p> आदरणीय अखिलेश भाई साहब, दो पक…tag:openbooksonline.com,2014-12-07:5170231:Comment:5930672014-12-07T13:39:45.769ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>आदरणीय अखिलेश भाई साहब, दो पक्तियों मे आपने लघुकथा को समेट दिया है, बहुत बहुत आभार .</p>
<p>आदरणीय अखिलेश भाई साहब, दो पक्तियों मे आपने लघुकथा को समेट दिया है, बहुत बहुत आभार .</p> आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपकी…tag:openbooksonline.com,2014-12-07:5170231:Comment:5932072014-12-07T13:35:36.018ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपकी टिप्पणी सदैव उत्साहवर्धन करती है, बहुत बहुत आभार . </p>
<p>आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपकी टिप्पणी सदैव उत्साहवर्धन करती है, बहुत बहुत आभार . </p> इस आशीष हेतु आभार आदरणीय विजय…tag:openbooksonline.com,2014-12-07:5170231:Comment:5931172014-12-07T13:35:17.625ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>इस आशीष हेतु आभार आदरणीय विजय निकोर जी .</p>
<p>इस आशीष हेतु आभार आदरणीय विजय निकोर जी .</p> बहुत बहुत आभार आदरणीय जितेन्द…tag:openbooksonline.com,2014-12-07:5170231:Comment:5928062014-12-07T13:34:56.960ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>बहुत बहुत आभार आदरणीय जितेन्द्र पास्तारिया जी, आजकल आपकी उपस्थिति कम हो रही है .</p>
<p>बहुत बहुत आभार आदरणीय जितेन्द्र पास्तारिया जी, आजकल आपकी उपस्थिति कम हो रही है .</p>