Comments - कुछ माह पहले - Open Books Online2024-03-29T13:45:25Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A605736&xn_auth=noप्रतिभा जी
आपका आभारी हूँ itag:openbooksonline.com,2015-01-16:5170231:Comment:6067312015-01-16T09:52:08.650Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>प्रतिभा जी</p>
<p>आपका आभारी हूँ i</p>
<p>प्रतिभा जी</p>
<p>आपका आभारी हूँ i</p> अनुज भंडारी जी
अनुगृहीत हुआ i…tag:openbooksonline.com,2015-01-16:5170231:Comment:6068272015-01-16T09:51:30.087Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>अनुज भंडारी जी</p>
<p>अनुगृहीत हुआ i सादर i</p>
<p>अनुज भंडारी जी</p>
<p>अनुगृहीत हुआ i सादर i</p> आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , वर्…tag:openbooksonline.com,2015-01-15:5170231:Comment:6063082015-01-15T07:38:55.132Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , वर्तमान से असंतुष्टि , भविष्य का भय और अतीत का बखान , मानव की सहज मानसिकता को इस कविता मे आपने जीवंत कर दिया । बहुत सुन्दर कविता ! आपको हार्दिक बधाइयाँ ।</p>
<p>आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , वर्तमान से असंतुष्टि , भविष्य का भय और अतीत का बखान , मानव की सहज मानसिकता को इस कविता मे आपने जीवंत कर दिया । बहुत सुन्दर कविता ! आपको हार्दिक बधाइयाँ ।</p> आ० वामनकर जी
आपका स्नेह सदैव…tag:openbooksonline.com,2015-01-15:5170231:Comment:6060732015-01-15T07:10:49.554Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० वामनकर जी</p>
<p>आपका स्नेह सदैव मेरी कलम मांजता रहे i सादर i</p>
<p>आ० वामनकर जी</p>
<p>आपका स्नेह सदैव मेरी कलम मांजता रहे i सादर i</p> हरि प्रकाश जी
आपकी साहित्यिक…tag:openbooksonline.com,2015-01-15:5170231:Comment:6062092015-01-15T07:09:18.972Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>हरि प्रकाश जी</p>
<p>आपकी साहित्यिक पकड़ का मैं कायल हूँ i सादर i</p>
<p>हरि प्रकाश जी</p>
<p>आपकी साहित्यिक पकड़ का मैं कायल हूँ i सादर i</p> विजय सर !
मेरे गीतों के संग आ…tag:openbooksonline.com,2015-01-15:5170231:Comment:6061262015-01-15T07:08:27.848Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>विजय सर !</p>
<p>मेरे गीतों के संग आप भी गुनगुनाये i इससे अच्छा और क्या हो सकता है i सादर i</p>
<p>विजय सर !</p>
<p>मेरे गीतों के संग आप भी गुनगुनाये i इससे अच्छा और क्या हो सकता है i सादर i</p> सोमेश जी
आपकी साहित्यिक अभिरु…tag:openbooksonline.com,2015-01-15:5170231:Comment:6061252015-01-15T07:06:35.780Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>सोमेश जी</p>
<p>आपकी साहित्यिक अभिरुचि की मैं कद्र करता हूँ i सस्नेह i</p>
<p>सोमेश जी</p>
<p>आपकी साहित्यिक अभिरुचि की मैं कद्र करता हूँ i सस्नेह i</p> खुर्शीद भाई
आपका प्रोत्साहन इ…tag:openbooksonline.com,2015-01-15:5170231:Comment:6060712015-01-15T07:05:36.016Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>खुर्शीद भाई</p>
<p>आपका प्रोत्साहन इसी प्रकार मिकता रहे i सादर i</p>
<p>खुर्शीद भाई</p>
<p>आपका प्रोत्साहन इसी प्रकार मिकता रहे i सादर i</p> आदरणीय डॉo गोपाल नारायण सर इ…tag:openbooksonline.com,2015-01-14:5170231:Comment:6059642015-01-14T16:36:07.003Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooksonline.com/profile/mw
<p><span> आदरणीय डॉo गोपाल नारायण सर इस सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई....नमन </span></p>
<p><span> आदरणीय डॉo गोपाल नारायण सर इस सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई....नमन </span></p> ऋतुओं के माध्यम से आपने मानव…tag:openbooksonline.com,2015-01-14:5170231:Comment:6059522015-01-14T14:22:25.490ZHari Prakash Dubeyhttp://openbooksonline.com/profile/HariPrakashDubey
<p>ऋतुओं के माध्यम से आपने मानव जीवन के वर्तमान मनोभावों ,उसकी स्थिति का सजीव वर्णन कर दिया . <br/> आवरण में लिपटा भविष्य है डराता<br/>
आह कितना कष्ट है आज और अब<br/>
जो कुछ व्यतीत हुआ कितना था भव्य<br/>
कुछ माह पहले !....... सुन्दर रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर ! सादर !</p>
<p>ऋतुओं के माध्यम से आपने मानव जीवन के वर्तमान मनोभावों ,उसकी स्थिति का सजीव वर्णन कर दिया . <br/> आवरण में लिपटा भविष्य है डराता<br/>
आह कितना कष्ट है आज और अब<br/>
जो कुछ व्यतीत हुआ कितना था भव्य<br/>
कुछ माह पहले !....... सुन्दर रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर ! सादर !</p>