Comments - इक दुआ ~ गज़ल - Open Books Online2024-03-29T06:39:40Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A621203&xn_auth=noपंछी नदियाँ जमीँ फलक तारे ,हम…tag:openbooksonline.com,2015-02-25:5170231:Comment:6217712015-02-25T05:00:14.277Zkhursheed khairadihttp://openbooksonline.com/profile/khursheedkhairadi
<p><span>पंछी नदियाँ जमीँ फलक तारे ,</span><br></br><span>हमने सबसे तेरी खबर माँगी ।</span></p>
<p><span><span>हर तरफ तू ही तू नजर आये ,</span><br></br><span>देने वाले से वो नजर माँगी ।</span></span></p>
<p><span><span>आदरणीय नीरज भाई बहुत खुबसूरत अहसास है इन अशआर में |आप शायद ''2-12 2 12 12 22 " पर ग़ज़ल कहना चाह रहे हैं |आप थोड़ा सा प्रयास करके इस ग़ज़ल को इसी बह्र पर करदें तो मज़ा आ जायेगा |इस बहर पर कुछ ग़ज़लें ---</span></span></p>
<p>१. फिर छिड़ी रात बात फूलों की \रात है या बरात फूलों…</p>
<p><span>पंछी नदियाँ जमीँ फलक तारे ,</span><br/><span>हमने सबसे तेरी खबर माँगी ।</span></p>
<p><span><span>हर तरफ तू ही तू नजर आये ,</span><br/><span>देने वाले से वो नजर माँगी ।</span></span></p>
<p><span><span>आदरणीय नीरज भाई बहुत खुबसूरत अहसास है इन अशआर में |आप शायद ''2-12 2 12 12 22 " पर ग़ज़ल कहना चाह रहे हैं |आप थोड़ा सा प्रयास करके इस ग़ज़ल को इसी बह्र पर करदें तो मज़ा आ जायेगा |इस बहर पर कुछ ग़ज़लें ---</span></span></p>
<p>१. फिर छिड़ी रात बात फूलों की \रात है या बरात फूलों की </p>
<p>२.आँख में शाम से नमी सी है \आज फिर आपकी कमी सी है </p>
<p>३.आप जिनके करीब होते हैं \वो बड़े खुश नसीब होते हैं </p>
<p>४ .ज़िन्दगी जब उड़ान भरती है \बाँहों में आसमान भरती है </p>
<p>और आपका मतला </p>
<p><span>इक दुआ हमने उम्र भर माँगी ।</span><br/><span>अपने दिल मेँ तेरी बसर माँगी ।</span></p>
<p>हार्दिक अभिनन्दन |सादर |</p>
<p></p> सुन्दर प्रस्तुति हेतु हार्दिक…tag:openbooksonline.com,2015-02-23:5170231:Comment:6213652015-02-23T19:21:29.298Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooksonline.com/profile/mw
<p>सुन्दर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई.</p>
<p>सुन्दर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई.</p> sundar rachna .....bahut khoo…tag:openbooksonline.com,2015-02-23:5170231:Comment:6215362015-02-23T19:01:26.129Zajay sharmahttp://openbooksonline.com/profile/ajaysharma234
<p>sundar rachna .....bahut khoob </p>
<p>sundar rachna .....bahut khoob </p> आदरणीय नीरज मिश्रा जी सुन्दर…tag:openbooksonline.com,2015-02-23:5170231:Comment:6216412015-02-23T17:36:23.793ZHari Prakash Dubeyhttp://openbooksonline.com/profile/HariPrakashDubey
<p>आदरणीय नीरज मिश्रा जी सुन्दर ग़ज़ल है हार्दिक बधाई आपको इस रचना पर !</p>
<p>आदरणीय नीरज मिश्रा जी सुन्दर ग़ज़ल है हार्दिक बधाई आपको इस रचना पर !</p> जनाब नीरज मिश्रा "प्रेम" जी ,…tag:openbooksonline.com,2015-02-23:5170231:Comment:6215242015-02-23T17:17:06.955ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब नीरज मिश्रा "प्रेम" जी ,आदाब,भाई क्या ही अच्छी ग़ज़ल कही आपने, सुनकर दिल बाग़ बाग़ हो गया,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं |
जनाब नीरज मिश्रा "प्रेम" जी ,आदाब,भाई क्या ही अच्छी ग़ज़ल कही आपने, सुनकर दिल बाग़ बाग़ हो गया,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं | आदरणीय प्रेम भाई , ग़ज़ल का बहु…tag:openbooksonline.com,2015-02-23:5170231:Comment:6213392015-02-23T15:46:53.101Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय प्रेम भाई , ग़ज़ल का बहुत अच्छा प्रयास हुआ है , लिखी हुई बह्र के अनुरूप आपके मिसरे नहीं लग रहे हैं, एक बार तक्तीअ कर के देख लीजियेगा ॥</p>
<p>आदरणीय प्रेम भाई , ग़ज़ल का बहुत अच्छा प्रयास हुआ है , लिखी हुई बह्र के अनुरूप आपके मिसरे नहीं लग रहे हैं, एक बार तक्तीअ कर के देख लीजियेगा ॥</p> इक दुआ/ हमने उम /र भर माँगी
२…tag:openbooksonline.com,2015-02-23:5170231:Comment:6213262015-02-23T13:32:17.533Zgumnaam pithoragarhihttp://openbooksonline.com/profile/gumnaampithoragarhi
<p>इक दुआ/ हमने उम /र भर माँगी</p>
<p>२१२/ २१२/ १२२ २ ........</p>
<p></p>
<p>क्या मैं सही हूँ बताईएगा ............</p>
<p>इक दुआ/ हमने उम /र भर माँगी</p>
<p>२१२/ २१२/ १२२ २ ........</p>
<p></p>
<p>क्या मैं सही हूँ बताईएगा ............</p> हर तरफ तू ही तू नजर आये ,
देन…tag:openbooksonline.com,2015-02-23:5170231:Comment:6216172015-02-23T13:10:44.432ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
हर तरफ तू ही तू नजर आये ,<br />
देने वाले से वो नजर माँगी ।<br />
बहुत खूब, नीरज मिश्रा ' प्रेम ' जी , बहुत बहुत बधाई इस ग़ज़ल पर , सादर।
हर तरफ तू ही तू नजर आये ,<br />
देने वाले से वो नजर माँगी ।<br />
बहुत खूब, नीरज मिश्रा ' प्रेम ' जी , बहुत बहुत बधाई इस ग़ज़ल पर , सादर। सुन्दर गजल पर आपको बधाई आ. नी…tag:openbooksonline.com,2015-02-23:5170231:Comment:6216072015-02-23T11:37:37.423Zmaharshi tripathihttp://openbooksonline.com/profile/maharshitripathi815
<p>सुन्दर गजल पर आपको बधाई आ. नीरज जी |</p>
<p>सुन्दर गजल पर आपको बधाई आ. नीरज जी |</p> नीरज जी
बहुत अच्छा प्रयास i …tag:openbooksonline.com,2015-02-23:5170231:Comment:6212972015-02-23T09:30:43.983Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>नीरज जी</p>
<p>बहुत अच्छा प्रयास i सुन्दर i</p>
<p>नीरज जी</p>
<p>बहुत अच्छा प्रयास i सुन्दर i</p>