Comments - ग़ज़ल १२२२-१२२२\१२२२ १२२२ ..करें कोशिश सभी मिलकर हसीं दुनिया बना दें फिर - Open Books Online2024-03-28T14:21:42Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A629086&xn_auth=noआ० भाई खुर्शीद जी एक और खूबसू…tag:openbooksonline.com,2015-03-12:5170231:Comment:6297712015-03-12T06:38:21.438Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ० भाई खुर्शीद जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से परिचय करने हेतु हार्दिक बधाई .</p>
<p>आ० भाई खुर्शीद जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से परिचय करने हेतु हार्दिक बधाई .</p> छन्न पकैया छन्न पकैया , नशा ग…tag:openbooksonline.com,2015-03-12:5170231:Comment:6296552015-03-12T06:33:42.627Zkhursheed khairadihttp://openbooksonline.com/profile/khursheedkhairadi
<p>छन्न पकैया छन्न पकैया , नशा गज़ब फागुन का </p>
<p>छन्न पकैया छन्न पकैया, धमाल आयोजन का </p>
<p></p>
<p>छन्न पकैया छन्न पकैया , सजे हमेशा महफ़िल </p>
<p>देख शरारत मस्तानों , खिला हमारा भी दिल </p>
<p>सादर |</p>
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<p>छन्न पकैया छन्न पकैया , नशा गज़ब फागुन का </p>
<p>छन्न पकैया छन्न पकैया, धमाल आयोजन का </p>
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<p>छन्न पकैया छन्न पकैया , सजे हमेशा महफ़िल </p>
<p>देख शरारत मस्तानों , खिला हमारा भी दिल </p>
<p>सादर |</p>
<p></p> भाईजी, अब भी कुछ कहाँ गया है…tag:openbooksonline.com,2015-03-12:5170231:Comment:6298332015-03-12T06:17:09.871ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>भाईजी, अब भी कुछ कहाँ गया है ? <br/>आपके पास जब भी समय हो, उस आयोजन को पन्ने दर पन्ने पढ़ जायें. मेरी मानिये एक मजेदार-चटखदार अनुभव होगा.<br/>:-))<br/><br/></p>
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<p>भाईजी, अब भी कुछ कहाँ गया है ? <br/>आपके पास जब भी समय हो, उस आयोजन को पन्ने दर पन्ने पढ़ जायें. मेरी मानिये एक मजेदार-चटखदार अनुभव होगा.<br/>:-))<br/><br/></p>
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<div style="display: none;" id="__hggasdgjhsagd_once"></div> आदरणीय सौरभ सर ,इस महा आयोजन…tag:openbooksonline.com,2015-03-12:5170231:Comment:6295812015-03-12T06:12:24.005Zkhursheed khairadihttp://openbooksonline.com/profile/khursheedkhairadi
<p>आदरणीय सौरभ सर ,इस महा आयोजन में भागीदारी नहीं कर पाने का और <span>आदरणीय योगराजभाईसाहब तथा आदरणीय गिरिराजभाईसाहब की ’बाल-सुलभ’ चुहलबाजियों से वंचित रह जाने की उम्र भर अफ़सोस रहेगा |सादर </span></p>
<p>आदरणीय सौरभ सर ,इस महा आयोजन में भागीदारी नहीं कर पाने का और <span>आदरणीय योगराजभाईसाहब तथा आदरणीय गिरिराजभाईसाहब की ’बाल-सुलभ’ चुहलबाजियों से वंचित रह जाने की उम्र भर अफ़सोस रहेगा |सादर </span></p> आदरणीय खुर्शीदभाई,इस होली के…tag:openbooksonline.com,2015-03-12:5170231:Comment:6295782015-03-12T06:03:44.946ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय खुर्शीदभाई,<br></br>इस होली के अवसर पर जो काव्य-समारोह हुआ वह सदा याद रहने वाला समारोह है. हालाँकि आदरणीय मिथिलेशजी भी अपनी बीमारी के कारण अपनी रौ में नहीं दिखे. लेकिन सारी कमी अन्य सदस्यों ने पूरी की. लेकिन दिल जीत लिया आदरणीय योगराजभाईसाहब तथा आदरणीय गिरिराजभाईसाहब ने जिनकी ’बाल-सुलभ’ चुहलबाजियों में हम हुरियार डूबते-उतराते रहे.<br></br>इस ग़ज़ल के लिए पुनः शुभकामनाएँ …<br></br><br></br></p>
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<p>आदरणीय खुर्शीदभाई,<br/>इस होली के अवसर पर जो काव्य-समारोह हुआ वह सदा याद रहने वाला समारोह है. हालाँकि आदरणीय मिथिलेशजी भी अपनी बीमारी के कारण अपनी रौ में नहीं दिखे. लेकिन सारी कमी अन्य सदस्यों ने पूरी की. लेकिन दिल जीत लिया आदरणीय योगराजभाईसाहब तथा आदरणीय गिरिराजभाईसाहब ने जिनकी ’बाल-सुलभ’ चुहलबाजियों में हम हुरियार डूबते-उतराते रहे.<br/>इस ग़ज़ल के लिए पुनः शुभकामनाएँ <br/><br/></p>
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<div style="display: none;" id="__hggasdgjhsagd_once"></div> आदरणीय जान साहब ,आदरणीय महर्ष…tag:openbooksonline.com,2015-03-12:5170231:Comment:6298262015-03-12T05:57:56.765Zkhursheed khairadihttp://openbooksonline.com/profile/khursheedkhairadi
<p>आदरणीय जान साहब ,आदरणीय महर्षि साहब...ज़र्रानवाज़ी का बहुत बहुत शुक्रिया |हृदयतल से आभार |सादर </p>
<p>आदरणीय जान साहब ,आदरणीय महर्षि साहब...ज़र्रानवाज़ी का बहुत बहुत शुक्रिया |हृदयतल से आभार |सादर </p> आदरणीय गोपालनारायण सर ,आदरणीय…tag:openbooksonline.com,2015-03-12:5170231:Comment:6295772015-03-12T05:56:21.752Zkhursheed khairadihttp://openbooksonline.com/profile/khursheedkhairadi
<p>आदरणीय गोपालनारायण सर ,आदरणीय धर्मेन्द्र जी ...ग़ज़ल पर मुहब्बत बरसाने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ...सादर आभार |</p>
<p>आदरणीय गोपालनारायण सर ,आदरणीय धर्मेन्द्र जी ...ग़ज़ल पर मुहब्बत बरसाने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ...सादर आभार |</p> आदरणीय हरिप्रकाश जी , आदरणीय…tag:openbooksonline.com,2015-03-12:5170231:Comment:6297612015-03-12T05:55:04.260Zkhursheed khairadihttp://openbooksonline.com/profile/khursheedkhairadi
<p>आदरणीय हरिप्रकाश जी , आदरणीय विजयशंकर सर ,,आपका स्नेह अनमोल है |हार्दिक आभार |</p>
<p>आदरणीय हरिप्रकाश जी , आदरणीय विजयशंकर सर ,,आपका स्नेह अनमोल है |हार्दिक आभार |</p> आदरणीय सौरभ सर ,आशीर्वाद बनाय…tag:openbooksonline.com,2015-03-12:5170231:Comment:6298252015-03-12T05:53:45.084Zkhursheed khairadihttp://openbooksonline.com/profile/khursheedkhairadi
<p>आदरणीय सौरभ सर ,आशीर्वाद बनाये रखियेगा ...'होली का हुडदंग 'आयोजन के समय होली मनाने गाँव चला गया था ,आयोजन में अनुपस्थित रहने हेतु क्षमाप्रार्थी हूं .......आयोजन से पूर्व पोस्टेड 'ग़ज़ल.....उस बस्ती में तथा ग़ज़ल...इस होली पर रंग लगाने आ जाये ..पर आपका आशीर्वाद चाहूँगा ...अवश्य अनुगृहित करें |सादर आभार |</p>
<p>आदरणीय सौरभ सर ,आशीर्वाद बनाये रखियेगा ...'होली का हुडदंग 'आयोजन के समय होली मनाने गाँव चला गया था ,आयोजन में अनुपस्थित रहने हेतु क्षमाप्रार्थी हूं .......आयोजन से पूर्व पोस्टेड 'ग़ज़ल.....उस बस्ती में तथा ग़ज़ल...इस होली पर रंग लगाने आ जाये ..पर आपका आशीर्वाद चाहूँगा ...अवश्य अनुगृहित करें |सादर आभार |</p> आदरणीय मिथिलेश जी , ग़ज़ल पर शे…tag:openbooksonline.com,2015-03-12:5170231:Comment:6295742015-03-12T05:49:21.653Zkhursheed khairadihttp://openbooksonline.com/profile/khursheedkhairadi
<p>आदरणीय मिथिलेश जी , ग़ज़ल पर शेर दर शेर स्नेह का सावन बरसाने के लिए आपका हृदय से आभारी हूं |</p>
<p><em>लगाकर रेत में पौधे पसीने से चलो सींचें </em></p>
<p><em>ये सहरा सब्ज़ था पहले यहाँ दरिया बना दें फिर...इस शेर में बगिया की जगह दरिया टाइप हो गया था |मंच से निवेदन है कि इस शेर को बगिया काफ़िये के साथ रखकर आशीर्वाद प्रदान करने की कृपा करें |आदरनिये मिथिलेश जी मेरी ग़ज़ले आपको पसंद आ रही हैं ,यह मेरा सौभाग्य है |सादर आभार |</em></p>
<p>आदरणीय मिथिलेश जी , ग़ज़ल पर शेर दर शेर स्नेह का सावन बरसाने के लिए आपका हृदय से आभारी हूं |</p>
<p><em>लगाकर रेत में पौधे पसीने से चलो सींचें </em></p>
<p><em>ये सहरा सब्ज़ था पहले यहाँ दरिया बना दें फिर...इस शेर में बगिया की जगह दरिया टाइप हो गया था |मंच से निवेदन है कि इस शेर को बगिया काफ़िये के साथ रखकर आशीर्वाद प्रदान करने की कृपा करें |आदरनिये मिथिलेश जी मेरी ग़ज़ले आपको पसंद आ रही हैं ,यह मेरा सौभाग्य है |सादर आभार |</em></p>