Comments - न जाने किये कौन से रतजगे हैं /// हिंदी गजल (प्रयास जारी} - Open Books Online2024-03-29T15:26:53Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A639485&xn_auth=noआ० सौरभ जी
इतना सीखने को मिल…tag:openbooksonline.com,2015-04-10:5170231:Comment:6405472015-04-10T13:15:40.150Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० सौरभ जी</p>
<p>इतना सीखने को मिल रहा है . इतने सिखाने वाले है . आपका स्नेह है . यह सचमुच सौभाग्य है . सादर .</p>
<p>आ० सौरभ जी</p>
<p>इतना सीखने को मिल रहा है . इतने सिखाने वाले है . आपका स्नेह है . यह सचमुच सौभाग्य है . सादर .</p> प्रिय महर्षि
मैं सीख रहा हूँ…tag:openbooksonline.com,2015-04-10:5170231:Comment:6404612015-04-10T13:13:41.240Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>प्रिय महर्षि</p>
<p>मैं सीख रहा हूँ . मेरे साथ आप भी सीखो . स्नेह .</p>
<p>प्रिय महर्षि</p>
<p>मैं सीख रहा हूँ . मेरे साथ आप भी सीखो . स्नेह .</p> आ० कबीर सर मेरे हिसाब से तो म…tag:openbooksonline.com,2015-04-10:5170231:Comment:6405462015-04-10T13:12:29.497Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० कबीर सर मेरे हिसाब से तो मिश्रा बहर में है देखिये-</p>
<p> </p>
<p>यही सो च कर प्रिय भ्र मर सब भ गे हैं</p>
<p>1 2 2 1 2 2 1 2 2 1 2 2</p>
<p>पुनः मार्ग दर्शन चाहूँगा i सादर .</p>
<p>आ० कबीर सर मेरे हिसाब से तो मिश्रा बहर में है देखिये-</p>
<p> </p>
<p>यही सो च कर प्रिय भ्र मर सब भ गे हैं</p>
<p>1 2 2 1 2 2 1 2 2 1 2 2</p>
<p>पुनः मार्ग दर्शन चाहूँगा i सादर .</p> नजील भाई
मैं तो अभी सीख रहा…tag:openbooksonline.com,2015-04-10:5170231:Comment:6404592015-04-10T13:07:01.054Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>नजील भाई</p>
<p>मैं तो अभी सीख रहा हूँ . स्नेह .</p>
<p>नजील भाई</p>
<p>मैं तो अभी सीख रहा हूँ . स्नेह .</p> आ० विजय सर !
धन्य हुआ . सादर…tag:openbooksonline.com,2015-04-10:5170231:Comment:6405452015-04-10T13:06:11.876Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० विजय सर !</p>
<p>धन्य हुआ . सादर .</p>
<p>आ० विजय सर !</p>
<p>धन्य हुआ . सादर .</p> आ० अनुज
आपने एक अच्छे सलाह दी…tag:openbooksonline.com,2015-04-10:5170231:Comment:6403922015-04-10T13:05:27.751Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० अनुज</p>
<p>आपने एक अच्छे सलाह दी बहर मिलाने का प्रयास नहीं दिखना चाहिए i बहुत बढ़िया i आपके सभीसुझाव उत्तम हैं . सादर .</p>
<p>आ० अनुज</p>
<p>आपने एक अच्छे सलाह दी बहर मिलाने का प्रयास नहीं दिखना चाहिए i बहुत बढ़िया i आपके सभीसुझाव उत्तम हैं . सादर .</p> आ० श्याम नारायण वर्मा जी \
आप…tag:openbooksonline.com,2015-04-10:5170231:Comment:6402962015-04-10T13:03:35.161Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० श्याम नारायण वर्मा जी \</p>
<p>आपका बहुत बहुत आभार</p>
<p>आ० श्याम नारायण वर्मा जी \</p>
<p>आपका बहुत बहुत आभार</p> आ० मिथिलेश जी
आपने मेरी प्रथ…tag:openbooksonline.com,2015-04-10:5170231:Comment:6404572015-04-10T13:02:32.280Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० मिथिलेश जी</p>
<p>आपने मेरी प्रथम रचना की तक्तीअ की है यह मुझे आजीवन याद रहेगा. आपसे मार्ग दर्शन मिलता रहे . बस . सादर .</p>
<p>आ० मिथिलेश जी</p>
<p>आपने मेरी प्रथम रचना की तक्तीअ की है यह मुझे आजीवन याद रहेगा. आपसे मार्ग दर्शन मिलता रहे . बस . सादर .</p> आदरणीय गोपाल नारायनजी, बढिया…tag:openbooksonline.com,2015-04-09:5170231:Comment:6399422015-04-09T12:37:14.183ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय गोपाल नारायनजी, बढिया अभ्यास चल रहा है. यह क्रम निरंतर बना रहे. <br/>मदमाती भावनाओं से लबरेज़ इस ग़ज़ल पर खूब चर्चा हो रही है. मिसरों के गठन पर बेहतर सुझाव आ रहे हैं. यह एक शुभ संकेत है, आदरणीय. आप भाग्यशाली हैं. :-))<br/>सादर<br/><br/></p>
<p>आदरणीय गोपाल नारायनजी, बढिया अभ्यास चल रहा है. यह क्रम निरंतर बना रहे. <br/>मदमाती भावनाओं से लबरेज़ इस ग़ज़ल पर खूब चर्चा हो रही है. मिसरों के गठन पर बेहतर सुझाव आ रहे हैं. यह एक शुभ संकेत है, आदरणीय. आप भाग्यशाली हैं. :-))<br/>सादर<br/><br/></p> आ. डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव…tag:openbooksonline.com,2015-04-09:5170231:Comment:6397732015-04-09T11:41:48.461Zmaharshi tripathihttp://openbooksonline.com/profile/maharshitripathi815
<p>आ.<a class="nolink"> </a><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA">डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव</a><a class="nolink"> सर जी ,,,आप हिंदी गजल को लेकर कितने गंभीर हैं ,,,आपकी रचना में साफ़ झलक रहा है |</a></p>
<p>हुआ है अभी यह नया नेह बंधन</p>
<p>कि लगते मुझे वे सगों से सगे हैं</p>
<p> ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,बहुत सुन्दर ,,बधाई आपको |</p>
<p>आ.<a class="nolink"> </a><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA">डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव</a><a class="nolink"> सर जी ,,,आप हिंदी गजल को लेकर कितने गंभीर हैं ,,,आपकी रचना में साफ़ झलक रहा है |</a></p>
<p>हुआ है अभी यह नया नेह बंधन</p>
<p>कि लगते मुझे वे सगों से सगे हैं</p>
<p> ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,बहुत सुन्दर ,,बधाई आपको |</p>