Comments - कोकिला क्यों मुझे जगाती है, - Open Books Online2024-03-29T14:58:36Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A644068&xn_auth=noजी आदरणीय भ्रमर जी कोशिश जारी…tag:openbooksonline.com,2015-06-28:5170231:Comment:6693892015-06-28T20:30:45.401ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>जी आदरणीय भ्रमर जी कोशिश जारी रहेगी </p>
<p>जी आदरणीय भ्रमर जी कोशिश जारी रहेगी </p> बहुत सुन्दर भाव। .सुन्दर गजल।…tag:openbooksonline.com,2015-04-30:5170231:Comment:6483182015-04-30T05:12:42.042ZSURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMARhttp://openbooksonline.com/profile/SURENDRAKUMARSHUKLABHRAMAR
<p>बहुत सुन्दर भाव। .सुन्दर गजल। लोगों के सुझाव पर गौर फरमाइयेगा <br/> भ्रमर ५</p>
<p>बहुत सुन्दर भाव। .सुन्दर गजल। लोगों के सुझाव पर गौर फरमाइयेगा <br/> भ्रमर ५</p> हार्दिक आभार आदरणीय शिज्जू शक…tag:openbooksonline.com,2015-04-28:5170231:Comment:6465092015-04-28T04:59:52.775ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>हार्दिक आभार आदरणीय शिज्जू शकूर साहब!</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय शिज्जू शकूर साहब!</p> आदरणीय जवाहरलाल जी अच्छा प्रय…tag:openbooksonline.com,2015-04-26:5170231:Comment:6458452015-04-26T04:24:58.219Zशिज्जु "शकूर"http://openbooksonline.com/profile/ShijjuS
<p>आदरणीय जवाहरलाल जी अच्छा प्रयास है शेष तो चर्चा हो ही चुकी है प्रयासरत रहें शुभकामनायें</p>
<p>आदरणीय जवाहरलाल जी अच्छा प्रयास है शेष तो चर्चा हो ही चुकी है प्रयासरत रहें शुभकामनायें</p> आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब, स…tag:openbooksonline.com,2015-04-24:5170231:Comment:6450542015-04-24T15:21:56.679ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब, सादर अभिवादन! अब मैं अवश्य सीख जाऊंगा आपलोगों का अतिशय आभार </p>
<p>आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब, सादर अभिवादन! अब मैं अवश्य सीख जाऊंगा आपलोगों का अतिशय आभार </p> आदरणीय जवाहर भाई जी , प्रयास…tag:openbooksonline.com,2015-04-23:5170231:Comment:6446912015-04-23T17:54:40.913Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय जवाहर भाई जी , प्रयास पहले से बहुत अच्छा है , आपको हार्दिक बधाइयाँ । आ. बागी जी की बात सही है - </p>
<p>2122 1212 22 /112 बह्र मे गज़ल के मिसरे सुधारे जा सलते हैं ,</p>
<p></p>
<p>कोकिला क्यों/ मुझे जगा/ ती है, <br></br> तोड़ कर ख्वा/ ब क्यों रुला/ ती है. -- ये शे र सही है</p>
<p><br></br> नींद भर के मैं कभी न सोया था, -- नींद भर मैं/ कभी नहीं / सोया ( के हटा दीजिये ) <br></br> बेवजह तान क्यों सुनाती है. - बेवजह ता/ न क्यों सुना/ ती है.</p>
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<p>अन्य दो को…</p>
<p>आदरणीय जवाहर भाई जी , प्रयास पहले से बहुत अच्छा है , आपको हार्दिक बधाइयाँ । आ. बागी जी की बात सही है - </p>
<p>2122 1212 22 /112 बह्र मे गज़ल के मिसरे सुधारे जा सलते हैं ,</p>
<p></p>
<p>कोकिला क्यों/ मुझे जगा/ ती है, <br/> तोड़ कर ख्वा/ ब क्यों रुला/ ती है. -- ये शे र सही है</p>
<p><br/> नींद भर के मैं कभी न सोया था, -- नींद भर मैं/ कभी नहीं / सोया ( के हटा दीजिये ) <br/> बेवजह तान क्यों सुनाती है. - बेवजह ता/ न क्यों सुना/ ती है.</p>
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<p>अन्य दो को आप सुधारने का प्रयास कीजियेगा ॥</p>
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<p></p> आदरनीय डॉ गोपाल नारायण साहब,…tag:openbooksonline.com,2015-04-23:5170231:Comment:6447242015-04-23T14:08:48.296ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>आदरनीय डॉ गोपाल नारायण साहब, पिछली बार आदरणीय गिरिराज भंडारी ने काफिया और रदीफ़ के बारे में बताया था इस बार मैंने उसे ही ठीक करने का प्रयास किया... बाकी कोशिश जारी रहेगी आपलोग मार्ग दर्शन करते रहें, यानी त्रुटियों की तरफ इशारा करते रहें ...सादर!</p>
<p>आदरनीय डॉ गोपाल नारायण साहब, पिछली बार आदरणीय गिरिराज भंडारी ने काफिया और रदीफ़ के बारे में बताया था इस बार मैंने उसे ही ठीक करने का प्रयास किया... बाकी कोशिश जारी रहेगी आपलोग मार्ग दर्शन करते रहें, यानी त्रुटियों की तरफ इशारा करते रहें ...सादर!</p> जवाहर जी
गजल कई जगह मीटर में…tag:openbooksonline.com,2015-04-23:5170231:Comment:6446302015-04-23T08:39:09.323Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>जवाहर जी</p>
<p> गजल कई जगह मीटर में नहीं है i आप आख़री शेर देंखे -</p>
<p>बेबस जहाँ में सारे बन्दे हैं</p>
<p>2 1 2 2 1 22 22 2</p>
<p>फिर भी तू बाज नहीं आती है</p>
<p> 2 2 2 2 1 1 2 2 2 2</p>
<p></p>
<p>जवाहर जी हिन्दी के मात्रिक छंदों के हिसाब से रचना करे , सादर .</p>
<p>जवाहर जी</p>
<p> गजल कई जगह मीटर में नहीं है i आप आख़री शेर देंखे -</p>
<p>बेबस जहाँ में सारे बन्दे हैं</p>
<p>2 1 2 2 1 22 22 2</p>
<p>फिर भी तू बाज नहीं आती है</p>
<p> 2 2 2 2 1 1 2 2 2 2</p>
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<p>जवाहर जी हिन्दी के मात्रिक छंदों के हिसाब से रचना करे , सादर .</p> परम आदरणीय बागी साहब, आपने सु…tag:openbooksonline.com,2015-04-23:5170231:Comment:6444412015-04-23T05:18:49.333ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>परम आदरणीय बागी साहब, आपने सुझाव के साथ मेरा उत्साह वर्धन किया है, मेरा प्रयास जारी रहेगा ...सादर!</p>
<p>परम आदरणीय बागी साहब, आपने सुझाव के साथ मेरा उत्साह वर्धन किया है, मेरा प्रयास जारी रहेगा ...सादर!</p> आदरणीय डॉ. विजय शकर साहब, साद…tag:openbooksonline.com,2015-04-23:5170231:Comment:6446122015-04-23T05:16:57.115ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>आदरणीय डॉ. विजय शकर साहब, सादर अभिवादन! मेरा हौसला आफजाई का शुक्रिया</p>
<p>आदरणीय डॉ. विजय शकर साहब, सादर अभिवादन! मेरा हौसला आफजाई का शुक्रिया</p>