Comments - मुझे अच्छा लगा ....इंतज़ार - Open Books Online2024-03-29T05:14:51Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A656230&xn_auth=noसच कहूँ तो मुझे ये जीने का बह…tag:openbooksonline.com,2015-05-28:5170231:Comment:6591632015-05-28T04:11:42.486ZKrish mishra 'jaan' gorakhpurihttp://openbooksonline.com/profile/krishnamishrajaangorakhpuri
<p>सच कहूँ तो मुझे ये जीने का बहाना अच्छा लगा !! वाह..बहुत सुन्दर!!</p>
<p>इस बीच में obo पर कम आ सका इस बीच कई रचनाए छूट गयी!आपकी कमेन्ट के माध्यम से रचना पर आ सका!</p>
<p>मुहब्बत का रंग लिए अल्हड़ सी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय 'इंतजार' सर!</p>
<p>सच कहूँ तो मुझे ये जीने का बहाना अच्छा लगा !! वाह..बहुत सुन्दर!!</p>
<p>इस बीच में obo पर कम आ सका इस बीच कई रचनाए छूट गयी!आपकी कमेन्ट के माध्यम से रचना पर आ सका!</p>
<p>मुहब्बत का रंग लिए अल्हड़ सी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय 'इंतजार' सर!</p> आ : ...आप सब का बहुत आभारी हू…tag:openbooksonline.com,2015-05-28:5170231:Comment:6591582015-05-28T03:31:27.777ZMohan Sethi 'इंतज़ार'http://openbooksonline.com/profile/MohanSethi
<p>आ : ...आप सब का बहुत आभारी हूँ आप की उपस्तिथि और प्रसंशा के लिये ...बहुत दिन के बाद आ पाया हूँ मंच पर इसलिए काफी देर से आप का धन्यवाद कर रहा हूँ .......सादर </p>
<p>आ : ...आप सब का बहुत आभारी हूँ आप की उपस्तिथि और प्रसंशा के लिये ...बहुत दिन के बाद आ पाया हूँ मंच पर इसलिए काफी देर से आप का धन्यवाद कर रहा हूँ .......सादर </p> तेरी चाहत में सारी उम्र गलाना…tag:openbooksonline.com,2015-05-20:5170231:Comment:6567532015-05-20T09:14:06.798ZMadan Mohan saxenahttp://openbooksonline.com/profile/MadanMohansaxena
<p>तेरी चाहत में<br/> सारी उम्र गलाना अच्छा लगा !<br/>
ना पा कर भी<br/>
तुझे चाहना अच्छा लगा ! <br/>
लिख लिख के अशआर<br/>
तुझे सुनाना अच्छा लगा !<br/>
सच कहूँ तो मुझे<br/>
ये जीने का बहाना अच्छा लगा !!</p>
<p>अति सुन्दर भाव। हार्दिक बधाई।</p>
<p>तेरी चाहत में<br/> सारी उम्र गलाना अच्छा लगा !<br/>
ना पा कर भी<br/>
तुझे चाहना अच्छा लगा ! <br/>
लिख लिख के अशआर<br/>
तुझे सुनाना अच्छा लगा !<br/>
सच कहूँ तो मुझे<br/>
ये जीने का बहाना अच्छा लगा !!</p>
<p>अति सुन्दर भाव। हार्दिक बधाई।</p> अति सुन्दर भाव। हार्दिक बधाई।tag:openbooksonline.com,2015-05-19:5170231:Comment:6568222015-05-19T22:41:54.691Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p> अति सुन्दर भाव। हार्दिक बधाई।</p>
<p> अति सुन्दर भाव। हार्दिक बधाई।</p> वाह! आदरणीय मोहन जी, बहुत सुं…tag:openbooksonline.com,2015-05-19:5170231:Comment:6568152015-05-19T18:33:41.285Zजितेन्द्र पस्टारियाhttp://openbooksonline.com/profile/JitendraPastariya
<p>वाह! आदरणीय मोहन जी, बहुत सुंदर प्रस्तुति. हार्दिक बधाई</p>
<p>वाह! आदरणीय मोहन जी, बहुत सुंदर प्रस्तुति. हार्दिक बधाई</p> .. और आपका ये सब बेलौस कह जान…tag:openbooksonline.com,2015-05-19:5170231:Comment:6568132015-05-19T17:38:29.928Zshree suneelhttp://openbooksonline.com/profile/shreesuneel
.. और आपका ये सब बेलौस कह जाना मुझे अच्छा लगा.<br />
आपको आपकी इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाईयाँ आदरणीय.
.. और आपका ये सब बेलौस कह जाना मुझे अच्छा लगा.<br />
आपको आपकी इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाईयाँ आदरणीय. सांसारिक प्रेम की अपनी एक अलग…tag:openbooksonline.com,2015-05-19:5170231:Comment:6566492015-05-19T17:14:14.428ZDr.Prachi Singhhttp://openbooksonline.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>सांसारिक प्रेम की अपनी एक अलग ही दुनिया होती है.... </p>
<p>मनभावन भाव पिरोती अभिव्यक्ति पर बधाई आ० मोहन सेठी जी </p>
<p>सांसारिक प्रेम की अपनी एक अलग ही दुनिया होती है.... </p>
<p>मनभावन भाव पिरोती अभिव्यक्ति पर बधाई आ० मोहन सेठी जी </p> आपका यूँ शरूर में आना अच्छा…tag:openbooksonline.com,2015-05-19:5170231:Comment:6563832015-05-19T10:44:28.458Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आपका यूँ शरूर में आना अच्छा लगा.</p>
<p>आपका यूँ शरूर में आना अच्छा लगा.</p> सुन्दर प्रस्तुति tag:openbooksonline.com,2015-05-19:5170231:Comment:6564432015-05-19T04:34:15.578ZTanuja Upretihttp://openbooksonline.com/profile/TanujaUpreti
<p>सुन्दर प्रस्तुति </p>
<p>सुन्दर प्रस्तुति </p> तनहा हूँ मगर मुझेइस तरहां दिल…tag:openbooksonline.com,2015-05-18:5170231:Comment:6563142015-05-18T16:59:56.495ZHari Prakash Dubeyhttp://openbooksonline.com/profile/HariPrakashDubey
<p>तनहा हूँ मगर मुझे<br/>इस तरहां दिल को जलाना अच्छा लगा !! ......बहुत सुन्दर रचना आ. मोहन सेठी जी ! बधाई ,सादर </p>
<p></p>
<p>तनहा हूँ मगर मुझे<br/>इस तरहां दिल को जलाना अच्छा लगा !! ......बहुत सुन्दर रचना आ. मोहन सेठी जी ! बधाई ,सादर </p>
<p></p>