Comments - नतीज़ा_____मनोज कुमार अहसास - Open Books Online2024-03-28T20:53:44Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A656755&xn_auth=noतेरे बिन जीत ज़माने की भला क्य…tag:openbooksonline.com,2015-05-24:5170231:Comment:6579832015-05-24T01:02:22.595ZMukesh Kumar Saxenahttp://openbooksonline.com/profile/MukeshKumarSaxena
<p>तेरे बिन जीत ज़माने की भला क्या चाहूँ । सच है ।सुंदर अभिव्यक्ति ।</p>
<p>तेरे बिन जीत ज़माने की भला क्या चाहूँ । सच है ।सुंदर अभिव्यक्ति ।</p> बहुत अच्छा प्रयास .tag:openbooksonline.com,2015-05-21:5170231:Comment:6569532015-05-21T05:46:20.463Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>बहुत अच्छा प्रयास .</p>
<p>बहुत अच्छा प्रयास .</p> जनाब मनोज कुमार अहसास जी,आदाब…tag:openbooksonline.com,2015-05-21:5170231:Comment:6567822015-05-21T05:17:21.010ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब मनोज कुमार अहसास जी,आदाब,आपका प्रयास सफ़लता की ओर अग्रसर है लेकिन मेरे भाई आपने इस ग़ज़ल के अरकान नहीं लिखे इससे ग़ज़ल को समझने में दुश्वारी का सामना है ।
जनाब मनोज कुमार अहसास जी,आदाब,आपका प्रयास सफ़लता की ओर अग्रसर है लेकिन मेरे भाई आपने इस ग़ज़ल के अरकान नहीं लिखे इससे ग़ज़ल को समझने में दुश्वारी का सामना है ।