Comments - पुष्प अधखिले : हरि प्रकाश दुबे - Open Books Online2024-03-29T00:02:04Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A667553&xn_auth=noआदरणीय हरि प्रकाश भाई जी, इस…tag:openbooksonline.com,2015-06-27:5170231:Comment:6690922015-06-27T22:46:20.874Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooksonline.com/profile/mw
<p><span>आदरणीय हरि प्रकाश भाई जी, इस सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई आपको</span></p>
<p><span>आदरणीय हरि प्रकाश भाई जी, इस सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई आपको</span></p> पुष्प अधखिले.... अच्छी रचना आ…tag:openbooksonline.com,2015-06-25:5170231:Comment:6678932015-06-25T12:53:57.174Zshree suneelhttp://openbooksonline.com/profile/shreesuneel
पुष्प अधखिले.... अच्छी रचना आदरणीय हरि प्रकाश जी. हार्दिक बधाई आपको.
पुष्प अधखिले.... अच्छी रचना आदरणीय हरि प्रकाश जी. हार्दिक बधाई आपको. प्रिय को समर्पण की चाह में
कि…tag:openbooksonline.com,2015-06-25:5170231:Comment:6681122015-06-25T07:28:50.697Zkanta royhttp://openbooksonline.com/profile/kantaroy
प्रिय को समर्पण की चाह में<br />
किताबों में रख दिए जाते है<br />
प्रेम के इज़हार और इंतज़ार में<br />
सूख कर भी मुस्कराते हैं, पुष्प अधखिले .....हर शब्द हर पंक्ति में वर्णित अधखिले पुष्प की गरिमा कायम की है आपने आदरणीय हरि प्रकाश दुबे जी ....वाह देखिए तो क्या बात कही कही है यह भी गजब की .......!!!
प्रिय को समर्पण की चाह में<br />
किताबों में रख दिए जाते है<br />
प्रेम के इज़हार और इंतज़ार में<br />
सूख कर भी मुस्कराते हैं, पुष्प अधखिले .....हर शब्द हर पंक्ति में वर्णित अधखिले पुष्प की गरिमा कायम की है आपने आदरणीय हरि प्रकाश दुबे जी ....वाह देखिए तो क्या बात कही कही है यह भी गजब की .......!!! आदरणीय Dr. Vijai Shanker सर…tag:openbooksonline.com,2015-06-24:5170231:Comment:6675822015-06-24T15:23:26.996ZHari Prakash Dubeyhttp://openbooksonline.com/profile/HariPrakashDubey
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker" class="fn url">Dr. Vijai Shanker</a> सर , बहुत बहुत धन्यवाद आपका ! सादर </p>
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker" class="fn url">Dr. Vijai Shanker</a> सर , बहुत बहुत धन्यवाद आपका ! सादर </p> // सुख की सेज या मृतशय्या हो…tag:openbooksonline.com,2015-06-24:5170231:Comment:6678212015-06-24T15:19:38.805Zविनय कुमारhttp://openbooksonline.com/profile/vinayakumarsingh
<p>// सुख की सेज या मृतशय्या हो <br/>हरदम साथ निभाते हैं, पुष्प अधखिले // , बहुत सुन्दर रचना , बधाई आदरणीय.</p>
<p>// सुख की सेज या मृतशय्या हो <br/>हरदम साथ निभाते हैं, पुष्प अधखिले // , बहुत सुन्दर रचना , बधाई आदरणीय.</p> सूख कर भी मुस्कराते हैं, पुष्…tag:openbooksonline.com,2015-06-24:5170231:Comment:6677442015-06-24T15:11:20.147ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
सूख कर भी मुस्कराते हैं, पुष्प अधखिले !<br />
बहुत खूब , आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी, बधाई , सादर।
सूख कर भी मुस्कराते हैं, पुष्प अधखिले !<br />
बहुत खूब , आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी, बधाई , सादर। आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्री…tag:openbooksonline.com,2015-06-24:5170231:Comment:6677392015-06-24T14:36:48.881ZHari Prakash Dubeyhttp://openbooksonline.com/profile/HariPrakashDubey
<p><span> आदरणीय </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA" class="fn url">डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव</a> सर अभी ठीक करता हूँ , आभार आपका ! सादर </p>
<p><span> आदरणीय </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA" class="fn url">डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव</a> सर अभी ठीक करता हूँ , आभार आपका ! सादर </p> मित्र 'शृंगार' लिखें . खिले…tag:openbooksonline.com,2015-06-24:5170231:Comment:6677352015-06-24T14:27:12.168Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>मित्र 'शृंगार' लिखें . खिले पुष्प की चर्चा भी हो . सादर . </p>
<p>मित्र 'शृंगार' लिखें . खिले पुष्प की चर्चा भी हो . सादर . </p>