Comments - ग़ज़ल :मीआ़दे उल्फ़त देखिये - Open Books Online2024-03-29T13:53:06Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A671885&xn_auth=noग़ज़ल पे आपकी उपस्थिति हर्षित…tag:openbooksonline.com,2015-07-21:5170231:Comment:6795472015-07-21T19:30:26.048Zshree suneelhttp://openbooksonline.com/profile/shreesuneel
ग़ज़ल पे आपकी उपस्थिति हर्षित कर रही है आदरणीय सौरभ सर जी. सादर धन्यवाद.
ग़ज़ल पे आपकी उपस्थिति हर्षित कर रही है आदरणीय सौरभ सर जी. सादर धन्यवाद. इतनी सी तब तो बात अब उतनी हुई…tag:openbooksonline.com,2015-07-16:5170231:Comment:6775572015-07-16T14:55:13.341ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p><em>इतनी सी तब तो बात अब उतनी हुई</em> = <strong>इतनी सी तब थी बात, अब उतनी हुई.</strong><br/><br/>बाकी अश’आर पर जैसी बहस हुई है वह आपकी ग़ज़ल की थाती है. हार्दिक शुभकामनाएँ आदरणीय.<br/><br/></p>
<p><em>इतनी सी तब तो बात अब उतनी हुई</em> = <strong>इतनी सी तब थी बात, अब उतनी हुई.</strong><br/><br/>बाकी अश’आर पर जैसी बहस हुई है वह आपकी ग़ज़ल की थाती है. हार्दिक शुभकामनाएँ आदरणीय.<br/><br/></p> सराहना के लिए बहुत-बहुत धन्यव…tag:openbooksonline.com,2015-07-08:5170231:Comment:6741912015-07-08T19:37:26.491Zshree suneelhttp://openbooksonline.com/profile/shreesuneel
सराहना के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय विजय निकोर सर जी.
सराहना के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय विजय निकोर सर जी. बहुत खूब, बहुत खूब ! बधाई।tag:openbooksonline.com,2015-07-08:5170231:Comment:6743242015-07-08T12:48:06.278Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>बहुत खूब, बहुत खूब ! बधाई।</p>
<p>बहुत खूब, बहुत खूब ! बधाई।</p> आपको अशआर पसंद आए..जानकर खुशी…tag:openbooksonline.com,2015-07-08:5170231:Comment:6743172015-07-08T12:31:39.658Zshree suneelhttp://openbooksonline.com/profile/shreesuneel
आपको अशआर पसंद आए..जानकर खुशी हुई. सराहना के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया नीरज शर्मा जी. सादर.
आपको अशआर पसंद आए..जानकर खुशी हुई. सराहना के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया नीरज शर्मा जी. सादर. धन्यवाद आदरणीय गोपाल नारायण स…tag:openbooksonline.com,2015-07-08:5170231:Comment:6741442015-07-08T12:24:14.552Zshree suneelhttp://openbooksonline.com/profile/shreesuneel
धन्यवाद आदरणीय गोपाल नारायण सर जी.
धन्यवाद आदरणीय गोपाल नारायण सर जी. आदरणीय विनय कुमार सिंह जी, सर…tag:openbooksonline.com,2015-07-08:5170231:Comment:6742172015-07-08T12:23:26.449Zshree suneelhttp://openbooksonline.com/profile/shreesuneel
आदरणीय विनय कुमार सिंह जी, सराहना के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
आदरणीय विनय कुमार सिंह जी, सराहना के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल लिखी है आप…tag:openbooksonline.com,2015-07-08:5170231:Comment:6737782015-07-08T04:45:51.444ZDr. (Mrs) Niraj Sharmahttp://openbooksonline.com/profile/DrMrsNirajSharma
<p>बहुत खूबसूरत ग़ज़ल लिखी है आपने। बधाई श्री सुनील जी। </p>
<p><span>पाया है जो मेयार तेरे इश्क़ ने</span><br/><span>लो! ज़िन्दगी क्या! रूह भी तेरी हुई.</span></p>
<p></p>
<p><span><span>ऐ चाँद! मुझको खींच ले ख़ुद की तरफ़</span><br/><span>देखूं कि छत पे होगी वो आई हुई. वाह क्या सुन्दर शेर हैं।</span></span></p>
<p>बहुत खूबसूरत ग़ज़ल लिखी है आपने। बधाई श्री सुनील जी। </p>
<p><span>पाया है जो मेयार तेरे इश्क़ ने</span><br/><span>लो! ज़िन्दगी क्या! रूह भी तेरी हुई.</span></p>
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<p><span><span>ऐ चाँद! मुझको खींच ले ख़ुद की तरफ़</span><br/><span>देखूं कि छत पे होगी वो आई हुई. वाह क्या सुन्दर शेर हैं।</span></span></p> bahut behtareentag:openbooksonline.com,2015-07-08:5170231:Comment:6739512015-07-08T04:42:03.089Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>bahut behtareen</p>
<p>bahut behtareen</p> // पाया है जो मेयार तेरे इश्क…tag:openbooksonline.com,2015-07-07:5170231:Comment:6737462015-07-07T19:55:22.861Zविनय कुमारhttp://openbooksonline.com/profile/vinayakumarsingh
<p>// पाया है जो मेयार तेरे इश्क़ ने<br/>लो! ज़िन्दगी क्या! रूह भी तेरी हुई // , वाह , वाह , बेहद उम्दा शेर , बधाई क़ुबूल करें आदरणीय..</p>
<p>// पाया है जो मेयार तेरे इश्क़ ने<br/>लो! ज़िन्दगी क्या! रूह भी तेरी हुई // , वाह , वाह , बेहद उम्दा शेर , बधाई क़ुबूल करें आदरणीय..</p>