Comments - सीख....(लघुकथा) - Open Books Online2024-03-28T14:52:12Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A676359&xn_auth=noभाई जितेन्द्र जी आप का कथानक…tag:openbooksonline.com,2015-07-13:5170231:Comment:6767232015-07-13T14:20:27.029ZOmprakash Kshatriyahttp://openbooksonline.com/profile/OmprakashKshatriya
<p>भाई जितेन्द्र जी आप का कथानक बहुत प्रभावशाली है . बस थोड़े से संशोधन की जरुरत है . बधाई इस रचना हेतु .</p>
<p>भाई जितेन्द्र जी आप का कथानक बहुत प्रभावशाली है . बस थोड़े से संशोधन की जरुरत है . बधाई इस रचना हेतु .</p> आदरणीय जितेन्द्र जी बहुत बढ़िय…tag:openbooksonline.com,2015-07-13:5170231:Comment:6765222015-07-13T12:10:38.354Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीय जितेन्द्र जी बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है. कथानक बहुत प्रभावशाली है. आदरणीया राजेश दीदी ने बहुत बढ़िया सुझाव साझा किये है. सादर </p>
<p>आदरणीय जितेन्द्र जी बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है. कथानक बहुत प्रभावशाली है. आदरणीया राजेश दीदी ने बहुत बढ़िया सुझाव साझा किये है. सादर </p> जो बात आप इस लघुकथा के माध्यम…tag:openbooksonline.com,2015-07-13:5170231:Comment:6762042015-07-13T07:59:59.660Zविनय कुमारhttp://openbooksonline.com/profile/vinayakumarsingh
<p>जो बात आप इस लघुकथा के माध्यम से कहना चाह रहे थे वो स्पष्ट हो रही है | हाँ क्रम सुधारने की जरुरत है जैसा की आदरणीया राजेश कुमारी जी ने लिखा है | बधाई इस रचना के लिए आदरणीय जीतेन्द्र जी , काफी दिनों बाद दिखी आपकी रचना..</p>
<p>जो बात आप इस लघुकथा के माध्यम से कहना चाह रहे थे वो स्पष्ट हो रही है | हाँ क्रम सुधारने की जरुरत है जैसा की आदरणीया राजेश कुमारी जी ने लिखा है | बधाई इस रचना के लिए आदरणीय जीतेन्द्र जी , काफी दिनों बाद दिखी आपकी रचना..</p> स्नेही जीतेन्द्र जी . सादर
श…tag:openbooksonline.com,2015-07-13:5170231:Comment:6763622015-07-13T06:54:01.550ZPRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHAhttp://openbooksonline.com/profile/PRADEEPKUMARSINGHKUSHWAHA
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<p>स्नेही जीतेन्द्र जी . सादर</p>
<p>शिक्षा प्रद कथा .</p>
<p>बधाई </p>
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<p>स्नेही जीतेन्द्र जी . सादर</p>
<p>शिक्षा प्रद कथा .</p>
<p>बधाई </p>
<p></p> "पिताजी ,छोटू के खाते में कुछ…tag:openbooksonline.com,2015-07-13:5170231:Comment:6761892015-07-13T06:37:40.864Zrajesh kumarihttp://openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p><span>"पिताजी ,छोटू के खाते में कुछ पैसे जमा कर आना. कल उसका फोन आया था. वहां शहर में गर्मी बहुत है पंखे से काम नहीं चलता, तो कूलर का कह रहा था"</span></p>
<p><span><span>“सुन बेटा!! बारिश तो ठीक हुई और खेतों में नमी पर्याप्त है, बस बीज को सही नमी और शुष्कता के बीच में ही बोना, अंकुरण का प्रतिशत अच्छा रहेगा. ज्यादा गहरी नमी में मत उतार देना, वरना सड जायगा..इसी तरह चंद दिनों पहले गए बेटे को अभी से सब सुख सुविधा जूटा देगा तो बढ़ नहीं पायेगा "</span></span></p>
<p>यदि इस लघु कथा को इस तरह…</p>
<p><span>"पिताजी ,छोटू के खाते में कुछ पैसे जमा कर आना. कल उसका फोन आया था. वहां शहर में गर्मी बहुत है पंखे से काम नहीं चलता, तो कूलर का कह रहा था"</span></p>
<p><span><span>“सुन बेटा!! बारिश तो ठीक हुई और खेतों में नमी पर्याप्त है, बस बीज को सही नमी और शुष्कता के बीच में ही बोना, अंकुरण का प्रतिशत अच्छा रहेगा. ज्यादा गहरी नमी में मत उतार देना, वरना सड जायगा..इसी तरह चंद दिनों पहले गए बेटे को अभी से सब सुख सुविधा जूटा देगा तो बढ़ नहीं पायेगा "</span></span></p>
<p>यदि इस लघु कथा को इस तरह लिखें भैया तो ?</p>
<p>विसे ये मेरा निजी ख़याल है </p>
<p>बहुत सुन्दर सीख देती हुई लघु कथा ..हार्दिक बधाई जितेन्द्र भैया </p>
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