Comments - डूबा था पर बाहर आया.... - Open Books Online2024-03-29T06:13:40Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A681424&xn_auth=noजनाब समर कबीर साहब, आपने अपने…tag:openbooksonline.com,2015-08-06:5170231:Comment:6859022015-08-06T11:10:40.218Zइमरान खानhttp://openbooksonline.com/profile/IMRANKHAN
<p>जनाब समर कबीर साहब, आपने अपने इस्लाही कमेंट से नवाज़ा मैं आपका शुक्रगुज़ार हूँ. 'जाया' के बारे अपने जो जानकारी दी उसका इल्म अभी तक मुझे नहीं था.... आखिरी शेर को इस तरह कर रहा हूँ.... 'हमने यार मुहब्बत करके, जीवन को बेकार बनाया'....</p>
<p>नज़रे सानी कीजियेगा...</p>
<p>जनाब समर कबीर साहब, आपने अपने इस्लाही कमेंट से नवाज़ा मैं आपका शुक्रगुज़ार हूँ. 'जाया' के बारे अपने जो जानकारी दी उसका इल्म अभी तक मुझे नहीं था.... आखिरी शेर को इस तरह कर रहा हूँ.... 'हमने यार मुहब्बत करके, जीवन को बेकार बनाया'....</p>
<p>नज़रे सानी कीजियेगा...</p> गिरिराज जी आपको ग़ज़ल पसंद आई श…tag:openbooksonline.com,2015-08-06:5170231:Comment:6861702015-08-06T11:07:23.828Zइमरान खानhttp://openbooksonline.com/profile/IMRANKHAN
<p>गिरिराज जी आपको ग़ज़ल पसंद आई शुक्रगुज़ार हूँ में आपका</p>
<p>गिरिराज जी आपको ग़ज़ल पसंद आई शुक्रगुज़ार हूँ में आपका</p> आपका शुक्रिया जनाब मिथलेश साह…tag:openbooksonline.com,2015-08-06:5170231:Comment:6859012015-08-06T11:06:53.976Zइमरान खानhttp://openbooksonline.com/profile/IMRANKHAN
<p>आपका शुक्रिया जनाब मिथलेश साहब </p>
<p>आपका शुक्रिया जनाब मिथलेश साहब </p> बहुत बहुत शुक्रिया शिज्जू साह…tag:openbooksonline.com,2015-08-06:5170231:Comment:6861682015-08-06T11:06:37.193Zइमरान खानhttp://openbooksonline.com/profile/IMRANKHAN
<p><span>बहुत बहुत शुक्रिया शिज्जू साहब </span></p>
<p><span>बहुत बहुत शुक्रिया शिज्जू साहब </span></p> बेहतरीन जनाब इमरान साहब हर शे…tag:openbooksonline.com,2015-07-27:5170231:Comment:6817612015-07-27T15:36:31.501Zशिज्जु "शकूर"http://openbooksonline.com/profile/ShijjuS
<p>बेहतरीन जनाब इमरान साहब हर शेर के लिये दाद हाज़िर है</p>
<p>बेहतरीन जनाब इमरान साहब हर शेर के लिये दाद हाज़िर है</p> छोटी बहर की इस शानदार गज़ल के…tag:openbooksonline.com,2015-07-27:5170231:Comment:6816742015-07-27T10:57:46.117Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooksonline.com/profile/mw
<p><span>छोटी बहर की इस शानदार गज़ल के लिए शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं आदरणीय इमरान जी .....</span></p>
<p><span>छोटी बहर की इस शानदार गज़ल के लिए शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं आदरणीय इमरान जी .....</span></p> आदरणीय इमरान भाई , छोटी बहर म…tag:openbooksonline.com,2015-07-27:5170231:Comment:6817142015-07-27T07:23:30.880Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय इमरान भाई , छोटी बहर मे क्य खूब गज़ल कही है , आपको हार्दिक बधाइयाँ गज़ल के लिये ॥</p>
<p>आदरणीय इमरान भाई , छोटी बहर मे क्य खूब गज़ल कही है , आपको हार्दिक बधाइयाँ गज़ल के लिये ॥</p> जनाब इमरान ख़ान जी,आदाब,बहुत अ…tag:openbooksonline.com,2015-07-27:5170231:Comment:6814992015-07-27T05:46:49.152ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब इमरान ख़ान जी,आदाब,बहुत अच्छी ग़ज़ल से नवाज़ा है आपने मंच को,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।<br />
<br />
"कर बैठे हैं जीवन ज़ाया"<br />
<br />
इस मिसरे में जो आपने क़ाफ़िया लिया है "ज़ाया" वो सही नहीं है,इस क़ाफ़िये के संभंद में बहना राजेश कुमारी जी की ग़ज़ल "हवा में यूँ तोते उड़ाया न कर" पर विस्तृत चर्चा कर चुका हूँ,कृपया उनकी ग़ज़ल और उसकी टिप्पणियाँ एक बार पढ़ लें।
जनाब इमरान ख़ान जी,आदाब,बहुत अच्छी ग़ज़ल से नवाज़ा है आपने मंच को,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।<br />
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"कर बैठे हैं जीवन ज़ाया"<br />
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इस मिसरे में जो आपने क़ाफ़िया लिया है "ज़ाया" वो सही नहीं है,इस क़ाफ़िये के संभंद में बहना राजेश कुमारी जी की ग़ज़ल "हवा में यूँ तोते उड़ाया न कर" पर विस्तृत चर्चा कर चुका हूँ,कृपया उनकी ग़ज़ल और उसकी टिप्पणियाँ एक बार पढ़ लें।