Comments - कायर ( कहानी ) - Open Books Online2024-03-28T17:51:39Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A685761&xn_auth=noआदरणीय JAWAHAR LAL SINGH जी…tag:openbooksonline.com,2015-08-17:5170231:Comment:6897642015-08-17T04:24:37.745ZPRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHAhttp://openbooksonline.com/profile/PRADEEPKUMARSINGHKUSHWAHA
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/JAWAHARLALSINGH" class="fn url">JAWAHAR LAL SINGH</a> जी सादर अभिवादन </p>
<p>इतने बड़े मंच पर २ जवान समर्थन में आये , आभार सामाजिक कार्य को प्रोत्साहित करने हेतु. </p>
<p>जय हो मंगलमय हो </p>
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/JAWAHARLALSINGH" class="fn url">JAWAHAR LAL SINGH</a> जी सादर अभिवादन </p>
<p>इतने बड़े मंच पर २ जवान समर्थन में आये , आभार सामाजिक कार्य को प्रोत्साहित करने हेतु. </p>
<p>जय हो मंगलमय हो </p> प्रेरणादायक कहानी ... मुझे भी…tag:openbooksonline.com,2015-08-09:5170231:Comment:6874682015-08-09T06:58:26.301ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>प्रेरणादायक कहानी ... मुझे भी रक्तदान के महत्व का भान उसी समय हुआ था, जब मेरे परिजन को रक्त की जरूरत थी और मुझे मेरे विभाग के सौजन्य से तुरंत उपलब्ध हो गयी थी. हमलोग का विभाग बीच बीच में रक्तदान शिविर का आयोजन करता है और काफी लोग स्वेच्छा से रक्तदान करते हैं. मेरी पत्नी, मेरे बच्चे भी बीच बीच में रक्तदान करते हैं. और यह सत्य है रक्तदान महादान क्योंकि इसे अभीतक प्रयोगशाला में नहीं बनाया जा सका है.</p>
<p>प्रेरणादायक कहानी ... मुझे भी रक्तदान के महत्व का भान उसी समय हुआ था, जब मेरे परिजन को रक्त की जरूरत थी और मुझे मेरे विभाग के सौजन्य से तुरंत उपलब्ध हो गयी थी. हमलोग का विभाग बीच बीच में रक्तदान शिविर का आयोजन करता है और काफी लोग स्वेच्छा से रक्तदान करते हैं. मेरी पत्नी, मेरे बच्चे भी बीच बीच में रक्तदान करते हैं. और यह सत्य है रक्तदान महादान क्योंकि इसे अभीतक प्रयोगशाला में नहीं बनाया जा सका है.</p> आदरणीय Sulabh Agnihotri
साद…tag:openbooksonline.com,2015-08-06:5170231:Comment:6861482015-08-06T07:19:37.599ZPRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHAhttp://openbooksonline.com/profile/PRADEEPKUMARSINGHKUSHWAHA
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SulabhAgnihotri" class="fn url">Sulabh Agnihotri</a><span> </span></p>
<p>सादर अभिवादन </p>
<p>आभार प्रोत्साहन हेतु . </p>
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SulabhAgnihotri" class="fn url">Sulabh Agnihotri</a><span> </span></p>
<p>सादर अभिवादन </p>
<p>आभार प्रोत्साहन हेतु . </p> सुन्दर है !tag:openbooksonline.com,2015-08-06:5170231:Comment:6860482015-08-06T05:43:51.980ZSulabh Agnihotrihttp://openbooksonline.com/profile/SulabhAgnihotri
<p>सुन्दर है !</p>
<p>सुन्दर है !</p>