Comments - है हरा पीपल अभी जो.... - Open Books Online2024-03-29T00:19:27Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A712124&xn_auth=noआदरणीय आमाेद जी बहुत सुन्दर…tag:openbooksonline.com,2015-11-02:5170231:Comment:7120872015-11-02T09:48:44.739ZRavi Shuklahttp://openbooksonline.com/profile/RaviShukla
<p>आदरणीय आमाेद जी बहुत सुन्दर प्रस्तुति हुई है बधाई स्वीकार करें मेरी विनम्र राय के अनुसार इस ग़ज़ल में <em>ई</em> का काफिया और <em>है आप की</em> रदीफ हो रही है इस लिहाज से मतले के उला में <em>जिंदगी है</em> एक वचन और सानी मे <em>लिखी हैं</em> बहुवचन हो रहा है इसी प्रकार आगे के शेर में कुछ जगह ऐसा है । इनको और टंकण की कुछ त्रुटियों को और सुधार ले तो क्या खूब बयान हो जाएगा ये रुक्न है ही ऐसा</p>
<p>वो दुपट्टे का झटकना वो सदाये प्यार की<br></br> लफ्ज का ठिठकाव् न्यारा सादगी है आप की ... इस…</p>
<p>आदरणीय आमाेद जी बहुत सुन्दर प्रस्तुति हुई है बधाई स्वीकार करें मेरी विनम्र राय के अनुसार इस ग़ज़ल में <em>ई</em> का काफिया और <em>है आप की</em> रदीफ हो रही है इस लिहाज से मतले के उला में <em>जिंदगी है</em> एक वचन और सानी मे <em>लिखी हैं</em> बहुवचन हो रहा है इसी प्रकार आगे के शेर में कुछ जगह ऐसा है । इनको और टंकण की कुछ त्रुटियों को और सुधार ले तो क्या खूब बयान हो जाएगा ये रुक्न है ही ऐसा</p>
<p>वो दुपट्टे का झटकना वो सदाये प्यार की<br/> लफ्ज का ठिठकाव् न्यारा सादगी है आप की ... इस शेर के भाव को महसूस ही किया जा सकता है क्या बात है आमोद जी बढि़या ।</p>
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<p></p> मैंने इस गजल पर दो रदीफ़ दिए थ…tag:openbooksonline.com,2015-11-02:5170231:Comment:7123122015-11-02T05:03:41.571Zamod shrivastav (bindouri)http://openbooksonline.com/profile/amodbindouri
मैंने इस गजल पर दो रदीफ़ दिए थे<br />
अभी तक इंतजार में हु कौन सा ठीक है।<br />
आप की===या==प्यार की
मैंने इस गजल पर दो रदीफ़ दिए थे<br />
अभी तक इंतजार में हु कौन सा ठीक है।<br />
आप की===या==प्यार की आ मिथलेश जी । आ शिज्ज्जू सर।।…tag:openbooksonline.com,2015-11-02:5170231:Comment:7121942015-11-02T05:01:37.047Zamod shrivastav (bindouri)http://openbooksonline.com/profile/amodbindouri
आ मिथलेश जी । आ शिज्ज्जू सर।। आ अजय सर्मा सर।। आप सभी को नमन<br />
आभार
आ मिथलेश जी । आ शिज्ज्जू सर।। आ अजय सर्मा सर।। आप सभी को नमन<br />
आभार बहुत सुन्दर प्रस्तुति हुई है…tag:openbooksonline.com,2015-11-01:5170231:Comment:7119002015-11-01T16:12:36.708Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooksonline.com/profile/mw
<p>बहुत सुन्दर प्रस्तुति हुई है आदरणीय <span>आमोदजी हार्दिक बधाई. आदरणीय शिज्जु जी कि बात पर गौर कीजियेगा.</span></p>
<p>बहुत सुन्दर प्रस्तुति हुई है आदरणीय <span>आमोदजी हार्दिक बधाई. आदरणीय शिज्जु जी कि बात पर गौर कीजियेगा.</span></p> बहुत बढ़िया आदरणीय आमोदजी कुछ…tag:openbooksonline.com,2015-11-01:5170231:Comment:7120422015-11-01T13:58:27.079Zशिज्जु "शकूर"http://openbooksonline.com/profile/ShijjuS
बहुत बढ़िया आदरणीय आमोदजी कुछ जगहों पर टंकण त्रुटि है सही कर लें, पुन: ग़ज़ल हेतु बधाई
बहुत बढ़िया आदरणीय आमोदजी कुछ जगहों पर टंकण त्रुटि है सही कर लें, पुन: ग़ज़ल हेतु बधाई लाजवाब ।।। आमोद जी मनमोहक रचन…tag:openbooksonline.com,2015-11-01:5170231:Comment:7120342015-11-01T09:13:06.070ZAjay Kumar Sharmahttp://openbooksonline.com/profile/AjayKumarSharma805
<p>लाजवाब ।।। आमोद जी मनमोहक रचना है।</p>
<p>कुछ पुरानी गर्त लिपटी ........चिट्ठी छिपी है आपकी। बेहतरीन पंक्तियां । बधाई।</p>
<p>लाजवाब ।।। आमोद जी मनमोहक रचना है।</p>
<p>कुछ पुरानी गर्त लिपटी ........चिट्ठी छिपी है आपकी। बेहतरीन पंक्तियां । बधाई।</p> कांता दीदी उत्साह वर्धन के लि…tag:openbooksonline.com,2015-11-01:5170231:Comment:7121342015-11-01T07:00:50.610Zamod shrivastav (bindouri)http://openbooksonline.com/profile/amodbindouri
कांता दीदी उत्साह वर्धन के लिए आप को सादर नमन आभार
कांता दीदी उत्साह वर्धन के लिए आप को सादर नमन आभार है हरा पीपल अभी जो जिंदगी है…tag:openbooksonline.com,2015-11-01:5170231:Comment:7118832015-11-01T06:39:07.315Zkanta royhttp://openbooksonline.com/profile/kantaroy
<p>है हरा पीपल अभी जो जिंदगी है आप की<br/>कुछ कही कुछ अनकही बातें लिखी है आप की----वाह !!! बहुत ही गहरी शेर बनी है। लाज़वाब !!</p>
<p>प्रेम की तब छांव लेने को जहा थे बैठते<br/>वो तसब्बुर वो अदाये कीमती है आप की------ क्या कहने है ,बेहतरीन !!!! <br/>ढेरों बधाई आपको आदरणीय अमोद जी।</p>
<p>है हरा पीपल अभी जो जिंदगी है आप की<br/>कुछ कही कुछ अनकही बातें लिखी है आप की----वाह !!! बहुत ही गहरी शेर बनी है। लाज़वाब !!</p>
<p>प्रेम की तब छांव लेने को जहा थे बैठते<br/>वो तसब्बुर वो अदाये कीमती है आप की------ क्या कहने है ,बेहतरीन !!!! <br/>ढेरों बधाई आपको आदरणीय अमोद जी।</p> रदीफ प्यार की अथवा आप की जो प…tag:openbooksonline.com,2015-11-01:5170231:Comment:7118792015-11-01T06:10:06.046Zamod shrivastav (bindouri)http://openbooksonline.com/profile/amodbindouri
रदीफ प्यार की अथवा आप की जो पाठक को अछि लगे नमन
रदीफ प्यार की अथवा आप की जो पाठक को अछि लगे नमन