Comments - लघुकथा- नफरत - Open Books Online2024-03-29T14:32:46Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A713821&xn_auth=noआदरणीय मोहन बेगोवाल जी आप ने…tag:openbooksonline.com,2015-11-09:5170231:Comment:7139482015-11-09T00:31:16.038ZOmprakash Kshatriyahttp://openbooksonline.com/profile/OmprakashKshatriya
आदरणीय मोहन बेगोवाल जी आप ने बिलकुल सत्य बात कही है । जो गरीब से ऊपर उठ जाते हैं वे ही गरीबों से नफरत करते हैं । इस हेतु आप का हार्दिक आभार ।
आदरणीय मोहन बेगोवाल जी आप ने बिलकुल सत्य बात कही है । जो गरीब से ऊपर उठ जाते हैं वे ही गरीबों से नफरत करते हैं । इस हेतु आप का हार्दिक आभार । आदरणीय शेख उस्मानी जी आप ने म…tag:openbooksonline.com,2015-11-09:5170231:Comment:7139472015-11-09T00:28:08.751ZOmprakash Kshatriyahttp://openbooksonline.com/profile/OmprakashKshatriya
आदरणीय शेख उस्मानी जी आप ने मेरी लघुकथा की पुरी समीक्षा कर दी । इस के मूल भावों को खूबसूरती से पेश किया है । इस समीक्षात्मक सहृदयता के लिए आप का हार्दिक आभार । शुक्रिया ।
आदरणीय शेख उस्मानी जी आप ने मेरी लघुकथा की पुरी समीक्षा कर दी । इस के मूल भावों को खूबसूरती से पेश किया है । इस समीक्षात्मक सहृदयता के लिए आप का हार्दिक आभार । शुक्रिया । अति सुंदर रचना , यहाँ भी गर…tag:openbooksonline.com,2015-11-08:5170231:Comment:7140512015-11-08T17:21:44.216Zमोहन बेगोवालhttp://openbooksonline.com/profile/DrMohanlal
<p> अति सुंदर रचना , यहाँ भी गरीब घर के बच्चे जब किसी मुकाम पे पहुँच जाते है, उनके बच्चे भी ऐसे ही नफरत करते है </p>
<p> अति सुंदर रचना , यहाँ भी गरीब घर के बच्चे जब किसी मुकाम पे पहुँच जाते है, उनके बच्चे भी ऐसे ही नफरत करते है </p> बहुत सुंदर कटाक्ष न सिर्फ विद…tag:openbooksonline.com,2015-11-08:5170231:Comment:7140472015-11-08T14:53:53.466ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
बहुत सुंदर कटाक्ष न सिर्फ विदेशी सोच बल्कि विदेशी संस्कृति का अंधानुकरण करने वाले देशी लोगों पर। पूर्वाग्रह कितनी बुरी चीज है, बिना सदगुण समझे ,परखे नफरत के भाव मन में पालने की कुप्रवृित्ति पर रोशनी डालती रचना के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय ओम प्रकाश क्षत्रिय प्रकाश जी।
बहुत सुंदर कटाक्ष न सिर्फ विदेशी सोच बल्कि विदेशी संस्कृति का अंधानुकरण करने वाले देशी लोगों पर। पूर्वाग्रह कितनी बुरी चीज है, बिना सदगुण समझे ,परखे नफरत के भाव मन में पालने की कुप्रवृित्ति पर रोशनी डालती रचना के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय ओम प्रकाश क्षत्रिय प्रकाश जी। आदरणीय सतविंदर जी आप को लघुकथ…tag:openbooksonline.com,2015-11-08:5170231:Comment:7137452015-11-08T10:28:18.829ZOmprakash Kshatriyahttp://openbooksonline.com/profile/OmprakashKshatriya
आदरणीय सतविंदर जी आप को लघुकथा सुंदर लगी । आभार आप का मेरी लघुकथा पर उपस्थिति होने तथा टिप्पणी देने के लिए ।
आदरणीय सतविंदर जी आप को लघुकथा सुंदर लगी । आभार आप का मेरी लघुकथा पर उपस्थिति होने तथा टिप्पणी देने के लिए । बहुत सुंदर आदरणीय ओमप्रकाश जी…tag:openbooksonline.com,2015-11-08:5170231:Comment:7140282015-11-08T08:58:26.288Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
बहुत सुंदर आदरणीय ओमप्रकाश जी।हार्दिक बधाई
बहुत सुंदर आदरणीय ओमप्रकाश जी।हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर जी आप को लघुकथा…tag:openbooksonline.com,2015-11-08:5170231:Comment:7139252015-11-08T06:53:10.500ZOmprakash Kshatriyahttp://openbooksonline.com/profile/OmprakashKshatriya
आदरणीय तेजवीर जी आप को लघुकथा पसंद आई और उस मेहनतकश मनुष्य की मेहनत सफल हो गई । उन समस्त मेहनतकश इंसान को मेरा सलाम और आप का आभार ।
आदरणीय तेजवीर जी आप को लघुकथा पसंद आई और उस मेहनतकश मनुष्य की मेहनत सफल हो गई । उन समस्त मेहनतकश इंसान को मेरा सलाम और आप का आभार । हार्दिक बधाई आदरणीय ओमप्रकाश …tag:openbooksonline.com,2015-11-08:5170231:Comment:7140222015-11-08T04:48:40.879ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय ओमप्रकाश जी!आपकी लघुकथा में इतनी गहनता से एक मेहनतकश मनुष्य का चित्रण बहुत मार्मिक बन पडा है!बहुत शानदार लघुकथा!</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय ओमप्रकाश जी!आपकी लघुकथा में इतनी गहनता से एक मेहनतकश मनुष्य का चित्रण बहुत मार्मिक बन पडा है!बहुत शानदार लघुकथा!</p> आदरणीय राहिला जी आप का कहना ए…tag:openbooksonline.com,2015-11-08:5170231:Comment:7140182015-11-08T04:39:33.419ZOmprakash Kshatriyahttp://openbooksonline.com/profile/OmprakashKshatriya
आदरणीय राहिला जी आप का कहना एकदम दुरुस्त है । सभी लोगों की करनी व कथनी में अंतर होता है । अंदर कुछ और बाहर कुछ । यह आजकल का फैशन है । आभार आप का इन अमूल्य व अतुलनीय विचारों के लिए ।
आदरणीय राहिला जी आप का कहना एकदम दुरुस्त है । सभी लोगों की करनी व कथनी में अंतर होता है । अंदर कुछ और बाहर कुछ । यह आजकल का फैशन है । आभार आप का इन अमूल्य व अतुलनीय विचारों के लिए । बहुत बेहतरीन रचना आदरणीय ओम प…tag:openbooksonline.com,2015-11-08:5170231:Comment:7140132015-11-08T03:25:03.740ZRahilahttp://openbooksonline.com/profile/Rahila
बहुत बेहतरीन रचना आदरणीय ओम प्रकाश जी! ये तो विदेशियों के विचार है।यहांतोस्वदेशी लोग भी ऐसी ही धारणा रखते है । गरीबों से हमदर्दी रखने वालों के भी अंदर कुछ और, बाहर कुछ और की स्थिति बहुत करीब का अनुभव है । बहुत बधाई आपको इस सार्थक लेखन हेतु ।
बहुत बेहतरीन रचना आदरणीय ओम प्रकाश जी! ये तो विदेशियों के विचार है।यहांतोस्वदेशी लोग भी ऐसी ही धारणा रखते है । गरीबों से हमदर्दी रखने वालों के भी अंदर कुछ और, बाहर कुछ और की स्थिति बहुत करीब का अनुभव है । बहुत बधाई आपको इस सार्थक लेखन हेतु ।