Comments - दुख देने को आये जो हालात, सुनो-- (ग़ज़ल) -- मिथिलेश वामनकर - Open Books Online2024-03-29T05:17:33Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A717279&xn_auth=noआदरणीय सुनील जी, ग़ज़ल की सराहन…tag:openbooksonline.com,2015-12-24:5170231:Comment:7257912015-12-24T22:29:58.416Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooksonline.com/profile/mw
<p><span>आदरणीय सुनील जी, </span><span>ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद. </span></p>
<p><span>आदरणीय सुनील जी, </span><span>ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद. </span></p> सोचो तो ये कितना मुश्किल लगता…tag:openbooksonline.com,2015-12-05:5170231:Comment:7217302015-12-05T14:12:35.051Zshree suneelhttp://openbooksonline.com/profile/shreesuneel
सोचो तो ये कितना मुश्किल लगता है<br />
खुद के सीने पर सिर रख जज्बात सुनो...<br />
यूँ तो पूरी ग़ज़ल हीं ख़ूबसूरत है लेकिन इस शानदार शे'र के लिये विशेष बधाई आपको आदरणीय. सादर.
सोचो तो ये कितना मुश्किल लगता है<br />
खुद के सीने पर सिर रख जज्बात सुनो...<br />
यूँ तो पूरी ग़ज़ल हीं ख़ूबसूरत है लेकिन इस शानदार शे'र के लिये विशेष बधाई आपको आदरणीय. सादर. आदरणीय सौरभ सर, आपको यह प्रया…tag:openbooksonline.com,2015-11-26:5170231:Comment:7175032015-11-26T21:10:58.306Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीय सौरभ सर, आपको यह प्रयास पसंद आया जानकार आश्वस्त हुआ हूँ. आपका अनुमोदन मेरे लिए बहुत मायने रखता है. आपने बड़ी बारीक़ बात पकड़ी है. <strong>सदी</strong> को <strong>उम्र</strong> करना श्रेयकर है. पूरा चौकल बनाने का मोह भी 2-1 के स्थान पर 1-2 वज्न के लिए प्रेरित करता है. <strong>सदी</strong> उसी सम्मोहन का भी परिणाम है. इस प्रयास<span> की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद. सादर नमन </span></p>
<p>आदरणीय सौरभ सर, आपको यह प्रयास पसंद आया जानकार आश्वस्त हुआ हूँ. आपका अनुमोदन मेरे लिए बहुत मायने रखता है. आपने बड़ी बारीक़ बात पकड़ी है. <strong>सदी</strong> को <strong>उम्र</strong> करना श्रेयकर है. पूरा चौकल बनाने का मोह भी 2-1 के स्थान पर 1-2 वज्न के लिए प्रेरित करता है. <strong>सदी</strong> उसी सम्मोहन का भी परिणाम है. इस प्रयास<span> की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद. सादर नमन </span></p> आदरणीय रवि जी, इस प्रयास पर आ…tag:openbooksonline.com,2015-11-26:5170231:Comment:7175022015-11-26T21:05:28.209Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीय रवि जी, इस प्रयास पर आपका अनुमोदन आश्वस्त करता हुआ सा है. आपका स्नेह पाकर सदैव प्रेरित होता हूँ. <span>ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद. </span></p>
<p>आदरणीय रवि जी, इस प्रयास पर आपका अनुमोदन आश्वस्त करता हुआ सा है. आपका स्नेह पाकर सदैव प्रेरित होता हूँ. <span>ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद. </span></p> आदरणीया राजेश दीदी ग़ज़ल आपको प…tag:openbooksonline.com,2015-11-26:5170231:Comment:7177642015-11-26T21:04:12.440Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीया राजेश दीदी ग़ज़ल आपको पसंद आई, मेरा कहना सार्थक हुआ. <span>ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद. सादर नमन </span></p>
<p>आदरणीया राजेश दीदी ग़ज़ल आपको पसंद आई, मेरा कहना सार्थक हुआ. <span>ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद. सादर नमन </span></p> आदरणीय तेजवीर सिंह जी, ग़ज़ल के…tag:openbooksonline.com,2015-11-26:5170231:Comment:7176892015-11-26T21:03:29.910Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीय तेजवीर सिंह जी, ग़ज़ल के मुखर अनुमोदन, <span> सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद. </span></p>
<p>आदरणीय तेजवीर सिंह जी, ग़ज़ल के मुखर अनुमोदन, <span> सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद. </span></p> आदरणीय अजय जी ग़ज़ल की सराहना औ…tag:openbooksonline.com,2015-11-26:5170231:Comment:7177632015-11-26T21:02:48.800Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooksonline.com/profile/mw
<p><span>आदरणीय अजय जी ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद. </span></p>
<p><span>आदरणीय अजय जी ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद. </span></p> आदरणीय नादिर सर, आपकी दाद पाक…tag:openbooksonline.com,2015-11-26:5170231:Comment:7175012015-11-26T21:02:34.903Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीय नादिर सर, आपकी दाद पाकर दिल खुश हो गया. <span>ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद. </span></p>
<p>आदरणीय नादिर सर, आपकी दाद पाकर दिल खुश हो गया. <span>ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद. </span></p> आदरणीय आमोद जी, ग़ज़ल की सराहना…tag:openbooksonline.com,2015-11-26:5170231:Comment:7176882015-11-26T21:02:00.445Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीय आमोद जी, <span>ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद. </span></p>
<p>आदरणीय आमोद जी, <span>ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद. </span></p> आदरणीय मनोज भाई जी, ग़ज़ल की सर…tag:openbooksonline.com,2015-11-26:5170231:Comment:7176062015-11-26T21:01:44.087Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooksonline.com/profile/mw
<p><span>आदरणीय मनोज भाई जी, ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद. </span></p>
<p><span>आदरणीय मनोज भाई जी, ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद. </span></p>