Comments - बेवफ़ा सुन ले तुझे प्यार किया है मैंने - Open Books Online2024-03-28T20:00:28Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A779313&xn_auth=noमहेंद्र जी, धर्मेंद्र जी, गिर…tag:openbooksonline.com,2016-06-27:5170231:Comment:7797102016-06-27T18:09:06.932Zडॉ. सूर्या बाली "सूरज"http://openbooksonline.com/profile/02eamj4esk9aa
<p>महेंद्र जी, धर्मेंद्र जी, गिरिराज जी और आशुतोष जी आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया । आप सभी ममनून हूँ </p>
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<p>महेंद्र जी, धर्मेंद्र जी, गिरिराज जी और आशुतोष जी आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया । आप सभी ममनून हूँ </p>
<p></p> शानदार गजल के लिए हार्दिक बधा…tag:openbooksonline.com,2016-06-27:5170231:Comment:7797082016-06-27T16:53:47.776ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooksonline.com/profile/DrAshutoshMishra
शानदार गजल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय बालीजी साद
शानदार गजल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय बालीजी साद दिल की दहलीज़4 पे रख के तेरी य…tag:openbooksonline.com,2016-06-27:5170231:Comment:7793822016-06-27T08:58:46.373Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>दिल की दहलीज़<sup>4</sup> पे रख के तेरी यादों के चिराग</p>
<p>हर शब-ए-हिज़्र<sup>5</sup> को गुलज़ार किया है मैंने</p>
<p></p>
<p>उसकी रुसवाई न हो बज़्म की ग़ैरत भी रहे</p>
<p>चश्म ए पुरनम से ही गुफ़्तार किया है मैंने -- क्या बात है !</p>
<p>आदरणीय सूर्याबाली भाई , बहुत नाज़ुक खयाल के शेर हुये हैं , पूरी गज़ल लाजवाब है , आपको दिली मुबारकबाद इस ग़ज़ल के लिये</p>
<p>दिल की दहलीज़<sup>4</sup> पे रख के तेरी यादों के चिराग</p>
<p>हर शब-ए-हिज़्र<sup>5</sup> को गुलज़ार किया है मैंने</p>
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<p>उसकी रुसवाई न हो बज़्म की ग़ैरत भी रहे</p>
<p>चश्म ए पुरनम से ही गुफ़्तार किया है मैंने -- क्या बात है !</p>
<p>आदरणीय सूर्याबाली भाई , बहुत नाज़ुक खयाल के शेर हुये हैं , पूरी गज़ल लाजवाब है , आपको दिली मुबारकबाद इस ग़ज़ल के लिये</p> अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय सूर्य…tag:openbooksonline.com,2016-06-27:5170231:Comment:7793632016-06-27T04:43:03.545Zधर्मेन्द्र कुमार सिंहhttp://openbooksonline.com/profile/249pje3yd1r3m
<p>अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय सूर्या जी, दाद कुबूल कीजिए</p>
<p>अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय सूर्या जी, दाद कुबूल कीजिए</p> टूटी कश्ती में मुहब्बत का सफ़र…tag:openbooksonline.com,2016-06-27:5170231:Comment:7796272016-06-27T03:44:57.326ZMahendra Kumarhttp://openbooksonline.com/profile/Mahendra
टूटी कश्ती में मुहब्बत का सफ़र है 'सूरज'<br />
चाहतों को तिरी पतवार किया है मैंने<br />
...वाह! बहुत खूब आदरणीय सूरज जी!
टूटी कश्ती में मुहब्बत का सफ़र है 'सूरज'<br />
चाहतों को तिरी पतवार किया है मैंने<br />
...वाह! बहुत खूब आदरणीय सूरज जी!