Comments - दो शब्द चित्र (गणेश जी बागी) - Open Books Online2024-03-29T12:26:53Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A782494&xn_auth=noदो गंभीर मुद्दे। जाती के आधार…tag:openbooksonline.com,2016-08-11:5170231:Comment:7909752016-08-11T05:16:52.820ZASHISH KUMAAR TRIVEDIhttp://openbooksonline.com/profile/ASHISHKUMAARTRIVEDI
<p><span>दो गंभीर मुद्दे। जाती के आधार पर योग्यता का मूल्यांकन सर्वथा अनुचित। फिर</span><span> भी जाती के आधार आज भी प्रतिभा परखी जाती है। </span></p>
<div><p><font>प्रसव पीड़ा</font></p>
<p><font>कुछ भी न थी.</font></p>
<p><font>यह पंक्ति सब कुछ बयान कराती है। </font></p>
</div>
<p><span>दो गंभीर मुद्दे। जाती के आधार पर योग्यता का मूल्यांकन सर्वथा अनुचित। फिर</span><span> भी जाती के आधार आज भी प्रतिभा परखी जाती है। </span></p>
<div><p><font>प्रसव पीड़ा</font></p>
<p><font>कुछ भी न थी.</font></p>
<p><font>यह पंक्ति सब कुछ बयान कराती है। </font></p>
</div> आदरणीय बागी जी सादर नमस्कार,…tag:openbooksonline.com,2016-07-11:5170231:Comment:7831022016-07-11T08:19:37.098ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय बागी जी सादर नमस्कार, देश की दो गंभीर समस्याओं के बहुत सटीक शब्द चित्र खींचें हैं आपने. दोनों पर ही देश समाज को अपनी समझ बढाने एवं पुनर विचार की आवश्यकता है. सादर.</p>
<p>आदरणीय बागी जी सादर नमस्कार, देश की दो गंभीर समस्याओं के बहुत सटीक शब्द चित्र खींचें हैं आपने. दोनों पर ही देश समाज को अपनी समझ बढाने एवं पुनर विचार की आवश्यकता है. सादर.</p> आत्म-मंथन के शब्द चित्र पूरे…tag:openbooksonline.com,2016-07-11:5170231:Comment:7832662016-07-11T04:09:26.813Zकेवल प्रसाद 'सत्यम'http://openbooksonline.com/profile/kewalprasad
<p>आत्म-मंथन के शब्द चित्र पूरे समाज को झकझोर रहे हैं...हार्दिक बधाई आदरणीय गनेश जी बागीजी.....सादर</p>
<p>आत्म-मंथन के शब्द चित्र पूरे समाज को झकझोर रहे हैं...हार्दिक बधाई आदरणीय गनेश जी बागीजी.....सादर</p> हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश जी…tag:openbooksonline.com,2016-07-10:5170231:Comment:7831972016-07-10T16:05:26.983ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश जी बागी जी! बहुत शानदार रचनायें!</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश जी बागी जी! बहुत शानदार रचनायें!</p> आदरणीय समर साहब, काफ़ी व्यस्तत…tag:openbooksonline.com,2016-07-10:5170231:Comment:7830722016-07-10T09:32:36.494ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>आदरणीय समर साहब, काफ़ी व्यस्तता के मध्य कुछ भाव आ गए फलस्वरूप कविता स्वरुप ले सकी, आपको कविता पसंद आयी यह जानकार मन मुग्ध है, बहुत बहुत आभार.</p>
<p>आदरणीय समर साहब, काफ़ी व्यस्तता के मध्य कुछ भाव आ गए फलस्वरूप कविता स्वरुप ले सकी, आपको कविता पसंद आयी यह जानकार मन मुग्ध है, बहुत बहुत आभार.</p> जनाब "बाग़ी"जी आदाब,दोनों रचना…tag:openbooksonline.com,2016-07-10:5170231:Comment:7830692016-07-10T07:09:44.933ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब "बाग़ी"जी आदाब,दोनों रचनाएँ दिल में उत्तर गईं,दिल से बधाई स्वीकार करें ।
जनाब "बाग़ी"जी आदाब,दोनों रचनाएँ दिल में उत्तर गईं,दिल से बधाई स्वीकार करें । आदरणीय डॉ विजय शंकर जी, रचना…tag:openbooksonline.com,2016-07-09:5170231:Comment:7827882016-07-09T06:28:49.113ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>आदरणीय डॉ विजय शंकर जी, रचना आपको अच्छी लगी लेखन कर्म सार्थक हुआ, बहुत बहुत आभार.</p>
<p>आदरणीय डॉ विजय शंकर जी, रचना आपको अच्छी लगी लेखन कर्म सार्थक हुआ, बहुत बहुत आभार.</p> पहचान-पत्र नहीं
जाति प्रमाण-प…tag:openbooksonline.com,2016-07-08:5170231:Comment:7826542016-07-08T14:33:20.611ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
पहचान-पत्र नहीं<br />
जाति प्रमाण-पत्र<br />
लोगों को पकड़ा दिया ,<br />
पकड़े रहो , सम्भाले रहो ,<br />
दिखाते रहो .........<br />
जाति-व्यवस्था मिटाने के लिए।<br />
दोनों रचनाएं बहुत ही सामयिक , सार्थक। दूसरी निशब्द कर देती है ,<br />
ईश्वर जन्म नहीं रोकता ,<br />
वे जुबान।<br />
बधाई, आदरणीय गणेश जी "बागी" जी , सादर।
पहचान-पत्र नहीं<br />
जाति प्रमाण-पत्र<br />
लोगों को पकड़ा दिया ,<br />
पकड़े रहो , सम्भाले रहो ,<br />
दिखाते रहो .........<br />
जाति-व्यवस्था मिटाने के लिए।<br />
दोनों रचनाएं बहुत ही सामयिक , सार्थक। दूसरी निशब्द कर देती है ,<br />
ईश्वर जन्म नहीं रोकता ,<br />
वे जुबान।<br />
बधाई, आदरणीय गणेश जी "बागी" जी , सादर।