Comments - कुछ पाने की तमन्ना में हम खो देते बहुत कुछ है - Open Books Online2024-03-28T11:18:52Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A790421&xn_auth=noआदरणीय मदन मोहन सक्सेना जी सा…tag:openbooksonline.com,2016-08-07:5170231:Comment:7908332016-08-07T11:58:30.603ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय मदन मोहन सक्सेना जी सादर, सुंदर भावपूर्ण रचना हुई है किन्तु आदरणीय गिरिराज भंडारी जी का प्रश्न तो अपनी जगह है ही. सादर.</p>
<p>आदरणीय मदन मोहन सक्सेना जी सादर, सुंदर भावपूर्ण रचना हुई है किन्तु आदरणीय गिरिराज भंडारी जी का प्रश्न तो अपनी जगह है ही. सादर.</p> आदरणीय मदन मोहन भाई , रचना के…tag:openbooksonline.com,2016-08-06:5170231:Comment:7904992016-08-06T04:13:54.161Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय मदन मोहन भाई , रचना के भाव अच्छे लगे , हार्दिक बधाई । किस विधा की रचना है ये नही समझ पाया ।</p>
<p>आदरणीय मदन मोहन भाई , रचना के भाव अच्छे लगे , हार्दिक बधाई । किस विधा की रचना है ये नही समझ पाया ।</p> कहने को तो कह लेते है अपनी बा…tag:openbooksonline.com,2016-08-04:5170231:Comment:7903452016-08-04T09:45:31.510ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
कहने को तो कह लेते है अपनी बात सबसे हम<br />
जुबां से दिल की बातो को है कह पाना बहुत मुश्किल<br />
ज़माने से मिली ठोकर तो अपना हौसला बढता<br />
अपनों से मिली ठोकर तो सह पाना बहुत मुश्किल वाह । बहुत खूब ।हार्दिक बधाई आदरणीय
कहने को तो कह लेते है अपनी बात सबसे हम<br />
जुबां से दिल की बातो को है कह पाना बहुत मुश्किल<br />
ज़माने से मिली ठोकर तो अपना हौसला बढता<br />
अपनों से मिली ठोकर तो सह पाना बहुत मुश्किल वाह । बहुत खूब ।हार्दिक बधाई आदरणीय