Comments - ग़ज़ल-जन-जन में' मैं सद्भाव का संचार करूंगा।-रामबली गुप्ता - Open Books Online2024-03-29T08:36:49Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A800008&xn_auth=noआपका बहुत बहुत आभार आद0 सौरभ…tag:openbooksonline.com,2016-09-14:5170231:Comment:8002242016-09-14T15:17:44.896Zरामबली गुप्ताhttp://openbooksonline.com/profile/RAMBALIGUPTA
आपका बहुत बहुत आभार आद0 सौरभ सर। औ और पे को लेकर काफी सशंकित हो गया था। अनुस्वार वाली टंकण त्रुटि को अभी सुधार करता हूँ। पुनः आभार
आपका बहुत बहुत आभार आद0 सौरभ सर। औ और पे को लेकर काफी सशंकित हो गया था। अनुस्वार वाली टंकण त्रुटि को अभी सुधार करता हूँ। पुनः आभार भाई रामबली गुप्ता जी, आप अनुस…tag:openbooksonline.com,2016-09-14:5170231:Comment:8000702016-09-14T15:03:19.364ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>भाई रामबली गुप्ता जी, आप अनुस्वार और चन्द्रविन्दु के भेद को मेटने पर क्यों तुल गये हैं ? यह तो लापरवाही है भाई. करूँगा को करूंगा लिखना किसी तौर पर सचेत अभ्यासकर्मियों को शोभा नहीं देता. </p>
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<p>रचनाकर्म के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ. </p>
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<p>भाई रामबली गुप्ता जी, आप अनुस्वार और चन्द्रविन्दु के भेद को मेटने पर क्यों तुल गये हैं ? यह तो लापरवाही है भाई. करूँगा को करूंगा लिखना किसी तौर पर सचेत अभ्यासकर्मियों को शोभा नहीं देता. </p>
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<p>रचनाकर्म के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ. </p>
<p></p> //खडी बोली हिन्दी में औ, पे क…tag:openbooksonline.com,2016-09-14:5170231:Comment:8001582016-09-14T14:53:55.433ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>//<span>खडी बोली हिन्दी में औ, पे का प्रयोग नहीं होता //</span></p>
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<p><span>यह उक्ति कहाँ से उद्धृत की गयी है ? दूसरे, खड़ी बोली का वह कौन-सा स्वरूप है जिसमें इसके प्रति आग्रह है ? छान्दसिक रचनाओं में तत्सम शब्दों के प्रति एक आग्रह अवश्य होता है, जो एक मान्यता के वशीभूत ही है, न कि किसी विधान के धरातल पर स्थापित सत्य. अन्यथा, हिन्दी भाषा का जो प्रचलित स्वरूप सर्वमान्य हुआ है, उसमें सहयोगी भाषाओं के शब्द उदारता से स्वीकार्य होते हैं. <br></br>न हम आज सितारेहिन्द साहब का अनुसरण कर रहे हैं…</span></p>
<p>//<span>खडी बोली हिन्दी में औ, पे का प्रयोग नहीं होता //</span></p>
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<p><span>यह उक्ति कहाँ से उद्धृत की गयी है ? दूसरे, खड़ी बोली का वह कौन-सा स्वरूप है जिसमें इसके प्रति आग्रह है ? छान्दसिक रचनाओं में तत्सम शब्दों के प्रति एक आग्रह अवश्य होता है, जो एक मान्यता के वशीभूत ही है, न कि किसी विधान के धरातल पर स्थापित सत्य. अन्यथा, हिन्दी भाषा का जो प्रचलित स्वरूप सर्वमान्य हुआ है, उसमें सहयोगी भाषाओं के शब्द उदारता से स्वीकार्य होते हैं. <br/>न हम आज सितारेहिन्द साहब का अनुसरण कर रहे हैं न लल्लू लाल जी का. बल्कि भारतेन्दु के बताये मार्ग का अनुसरण कर रहे हैं जिसे महावीर प्रसाद द्विवेदी जी ने तार्किकता के खाद-पानी से पोषित-पल्ल्वित किया है. </span></p>
<p>सादर</p> वाह आदरणीय श्री रामबली गुप्ता…tag:openbooksonline.com,2016-09-14:5170231:Comment:8000652016-09-14T14:37:08.832Zसुरेश कुमार 'कल्याण'http://openbooksonline.com/profile/SureshKumarKalyan
वाह आदरणीय श्री रामबली गुप्ता जी बहुत ही सुन्दर देशभक्ति के मोती पिरोए हैं आपने सुन्दर रचना में। बधाई स्वीकार करें । सादर ।
वाह आदरणीय श्री रामबली गुप्ता जी बहुत ही सुन्दर देशभक्ति के मोती पिरोए हैं आपने सुन्दर रचना में। बधाई स्वीकार करें । सादर । आद0 समर भाई जी ग़ज़ल पसंद करने…tag:openbooksonline.com,2016-09-14:5170231:Comment:7998972016-09-14T09:47:23.598Zरामबली गुप्ताhttp://openbooksonline.com/profile/RAMBALIGUPTA
आद0 समर भाई जी ग़ज़ल पसंद करने के लिए आपका हृदय से आभार
आद0 समर भाई जी ग़ज़ल पसंद करने के लिए आपका हृदय से आभार ग़ज़ल पसंद करने एवं बहुमूल्य सु…tag:openbooksonline.com,2016-09-14:5170231:Comment:8000522016-09-14T09:46:22.954Zरामबली गुप्ताhttp://openbooksonline.com/profile/RAMBALIGUPTA
ग़ज़ल पसंद करने एवं बहुमूल्य सुझाव हेतु हृदय से आभार आद0 गोपाल नारायन जी। सादर
ग़ज़ल पसंद करने एवं बहुमूल्य सुझाव हेतु हृदय से आभार आद0 गोपाल नारायन जी। सादर आद0 भाई बृजेश कुमार जी ग़ज़ल पस…tag:openbooksonline.com,2016-09-14:5170231:Comment:8001402016-09-14T09:44:28.761Zरामबली गुप्ताhttp://openbooksonline.com/profile/RAMBALIGUPTA
आद0 भाई बृजेश कुमार जी ग़ज़ल पसंद करने के लिए आपका हृदय से आभार
आद0 भाई बृजेश कुमार जी ग़ज़ल पसंद करने के लिए आपका हृदय से आभार जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,बह…tag:openbooksonline.com,2016-09-13:5170231:Comment:7999492016-09-13T17:20:53.774ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,बहुत उम्दा जज़्बाती ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,बहुत उम्दा जज़्बाती ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं । आ० राम बली जी - आपकी हिन्दी ग…tag:openbooksonline.com,2016-09-13:5170231:Comment:8001092016-09-13T15:10:28.638Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० राम बली जी - आपकी हिन्दी गजल बड़ी मोहक है . आपसे एक उम्मीद मैं और करता हूँ कि खडी बोली हिन्दी में औ, पे का प्रयोग नहीं होता ,अगर इस पर आपने अधिकार कर लिया तो फिर तो बल्ले बल्ले .</p>
<p>आ० राम बली जी - आपकी हिन्दी गजल बड़ी मोहक है . आपसे एक उम्मीद मैं और करता हूँ कि खडी बोली हिन्दी में औ, पे का प्रयोग नहीं होता ,अगर इस पर आपने अधिकार कर लिया तो फिर तो बल्ले बल्ले .</p> बहुत ही सुंदर अनुपम अनुकरणीय…tag:openbooksonline.com,2016-09-13:5170231:Comment:7998732016-09-13T14:54:24.974Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>बहुत ही सुंदर अनुपम अनुकरणीय ग़ज़ल आदरणीय </p>
<p>बहुत ही सुंदर अनुपम अनुकरणीय ग़ज़ल आदरणीय </p>