Comments - उल्टी गंगा - Open Books Online2024-03-29T08:42:46Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A815122&xn_auth=no बेहतरीन प्रवाहमय, यथार्थपूर्…tag:openbooksonline.com,2018-09-14:5170231:Comment:9489142018-09-14T21:57:14.139ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p><span> बेहतरीन प्रवाहमय, यथार्थपूर्ण, कटाक्षपूर्ण सृजन। हार्दिक बधाई मुहतरम जनाब </span><em><strong>मिर्ज़ा ह़ाफ़िज़ बेग</strong></em><span> साहिब।</span></p>
<p><span> बेहतरीन प्रवाहमय, यथार्थपूर्ण, कटाक्षपूर्ण सृजन। हार्दिक बधाई मुहतरम जनाब </span><em><strong>मिर्ज़ा ह़ाफ़िज़ बेग</strong></em><span> साहिब।</span></p> बहुत खूब ! प्रसन्न कर दिया आप…tag:openbooksonline.com,2016-11-24:5170231:Comment:8155962016-11-24T08:04:04.065ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>बहुत खूब ! प्रसन्न कर दिया आपने आदरणीय मिर्ज़ा हाफ़िज़ बेग़ साहब ! इस प्रवहमान प्रस्तुति पर आपको दिल से दाद दे रहा हूँ ..</p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p>
<p>बहुत खूब ! प्रसन्न कर दिया आपने आदरणीय मिर्ज़ा हाफ़िज़ बेग़ साहब ! इस प्रवहमान प्रस्तुति पर आपको दिल से दाद दे रहा हूँ ..</p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p> बेहतरीन कटाक्ष लिए उत्तम लघु…tag:openbooksonline.com,2016-11-23:5170231:Comment:8155632016-11-23T08:57:51.886Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
बेहतरीन कटाक्ष लिए उत्तम लघु कथा, बहुत खूब ।जनाब मिर्ज़ा हाफ़िज़ बेग जी सादर अब्गिवादन और उम्दा लघु कथा के लिए मेरी दिली बधाई निवेदित है।
बेहतरीन कटाक्ष लिए उत्तम लघु कथा, बहुत खूब ।जनाब मिर्ज़ा हाफ़िज़ बेग जी सादर अब्गिवादन और उम्दा लघु कथा के लिए मेरी दिली बधाई निवेदित है। मुहतरम जनाब समर कबीर साहब, आद…tag:openbooksonline.com,2016-11-23:5170231:Comment:8155002016-11-23T08:35:13.741ZMirza Hafiz Baighttp://openbooksonline.com/profile/MirzaHafizBaig
<p>मुहतरम जनाब समर कबीर साहब, आदाब । आपकी नवाज़िश बहुत मायने रखती है । सच है कि यह लघुकथा हालात-ए-हाजरा पर है । लेकिन पता न था इस हालात-ए-हाजरा की हद इतनी मौख्तसर होगी आज ही देखा, हेलमेट का चालान 200 से 500 होगया है । छुट्टे की छुट्टी …</p>
<p>मुहतरम जनाब समर कबीर साहब, आदाब । आपकी नवाज़िश बहुत मायने रखती है । सच है कि यह लघुकथा हालात-ए-हाजरा पर है । लेकिन पता न था इस हालात-ए-हाजरा की हद इतनी मौख्तसर होगी आज ही देखा, हेलमेट का चालान 200 से 500 होगया है । छुट्टे की छुट्टी …</p> जनाब मिर्ज़ा हफ़ीज़ बैग साहिब आद…tag:openbooksonline.com,2016-11-22:5170231:Comment:8154622016-11-22T16:19:28.250ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब मिर्ज़ा हफ़ीज़ बैग साहिब आदाब, हालात-ए-हाज़रा पर बहतरीन तंज़ है, अच्छी लगी आपकी लघुकथा,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
जनाब मिर्ज़ा हफ़ीज़ बैग साहिब आदाब, हालात-ए-हाज़रा पर बहतरीन तंज़ है, अच्छी लगी आपकी लघुकथा,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।