Comments - अधूरी कथा के पात्र (लघुकथा) . - Open Books Online2024-03-29T15:24:29Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A822693&xn_auth=noपंच लाइन कमाल की हुई एक चित्र…tag:openbooksonline.com,2017-01-18:5170231:Comment:8292922017-01-18T07:39:00.352Zrajesh kumarihttp://openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>पंच लाइन कमाल की हुई एक चित्र से आँखों के समक्ष उभर जाता है आतंकवाद का भयानक चेहरा दिखाती हुई शानदार लघु कथा बहुत बहुत बधाई आद० योगराज जी </p>
<p>पंच लाइन कमाल की हुई एक चित्र से आँखों के समक्ष उभर जाता है आतंकवाद का भयानक चेहरा दिखाती हुई शानदार लघु कथा बहुत बहुत बधाई आद० योगराज जी </p> तीक्ष्ण शीर्षक के जरिये कथा स…tag:openbooksonline.com,2016-12-28:5170231:Comment:8232562016-12-28T14:48:46.393ZNita Kasarhttp://openbooksonline.com/profile/NitaKasar
तीक्ष्ण शीर्षक के जरिये कथा सोचने को विवश करती है एेसे लोगों के भीतर संवेदनशील दिल होता है जो उनकी आत्मा को मरने नही देता ।आप की हर कथा अच्छा लिखने की प्रेरणा देती है ।बधाई आपको आद०योगराज प्रभाकर जी ।
तीक्ष्ण शीर्षक के जरिये कथा सोचने को विवश करती है एेसे लोगों के भीतर संवेदनशील दिल होता है जो उनकी आत्मा को मरने नही देता ।आप की हर कथा अच्छा लिखने की प्रेरणा देती है ।बधाई आपको आद०योगराज प्रभाकर जी । आदरणीय योगराज सर, कमाल की लघु…tag:openbooksonline.com,2016-12-27:5170231:Comment:8228032016-12-27T21:31:50.483ZMahendra Kumarhttp://openbooksonline.com/profile/Mahendra
आदरणीय योगराज सर, कमाल की लघुकथा लिखी है आपने। इसकी दो चीजें मुझे पसन्द आयीं, एक तो शीर्षक का चयन जिसे नज़रअंदाज़ करने पर लघुकथा को पूरी तरह समझ पाना संभव नहीं है और दूसरी ऐसे पात्रों को कथा के केन्द्र में रखना जिन्हें सामान्यतः पूरी तरह नकारात्मक समझा जाता है। इस प्रस्तुति पर आपको मेरी तरफ से ढेरों बधाई। सादर।
आदरणीय योगराज सर, कमाल की लघुकथा लिखी है आपने। इसकी दो चीजें मुझे पसन्द आयीं, एक तो शीर्षक का चयन जिसे नज़रअंदाज़ करने पर लघुकथा को पूरी तरह समझ पाना संभव नहीं है और दूसरी ऐसे पात्रों को कथा के केन्द्र में रखना जिन्हें सामान्यतः पूरी तरह नकारात्मक समझा जाता है। इस प्रस्तुति पर आपको मेरी तरफ से ढेरों बधाई। सादर। आदरणीय योगराज प्रभाकर जी प्रण…tag:openbooksonline.com,2016-12-27:5170231:Comment:8229582016-12-27T17:02:20.643Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
आदरणीय योगराज प्रभाकर जी प्रणाम, मै तो एकदम मंच पर नया हूँ, और आप सबसे सीखने की कोशिश में हूँ, आप की लघुकथा पढ़ी, फिर पढ़ी,फिर भी मन नहीं भरा, वाकई बेहतरीन कथानक और कसे हुए उम्दा भाव, अंत तो लाजबाब, मेरी कोटिश बधाईयाँ आपको।
आदरणीय योगराज प्रभाकर जी प्रणाम, मै तो एकदम मंच पर नया हूँ, और आप सबसे सीखने की कोशिश में हूँ, आप की लघुकथा पढ़ी, फिर पढ़ी,फिर भी मन नहीं भरा, वाकई बेहतरीन कथानक और कसे हुए उम्दा भाव, अंत तो लाजबाब, मेरी कोटिश बधाईयाँ आपको। आ० अनुज , आपसे ऐसी ही उम्मीद…tag:openbooksonline.com,2016-12-27:5170231:Comment:8229532016-12-27T16:08:19.053Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० अनुज , आपसे ऐसी ही उम्मीद हम सभी रखते हैं . इतना कसा हुआ कथानक , स्वय लघु कथा कैसे लिखी जाये इसका प्रशिक्षण सा देती है . “साली यही रिश्तेदारियों हमे कामयाब नहीं होने देतींI” कमाल की पञ्च लाइन है . इस बाकमाल लघु कथा के लियी भूरि भूरि बधाई .</p>
<p>आ० अनुज , आपसे ऐसी ही उम्मीद हम सभी रखते हैं . इतना कसा हुआ कथानक , स्वय लघु कथा कैसे लिखी जाये इसका प्रशिक्षण सा देती है . “साली यही रिश्तेदारियों हमे कामयाब नहीं होने देतींI” कमाल की पञ्च लाइन है . इस बाकमाल लघु कथा के लियी भूरि भूरि बधाई .</p> शीर्षक सार्थक करती बेहतरीन लघ…tag:openbooksonline.com,2016-12-27:5170231:Comment:8228692016-12-27T12:10:36.360ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
शीर्षक सार्थक करती बेहतरीन लघुकथा पढ़कर हम इन बातों को सीख सके हैं-<br />
१- कसावट के साथ संदेश सम्प्रेषित करती लघुकथा में कहे और अनकहे में क्या संबंध होता है और पाठक सहजता से संदेश ग्रहण करते हुए अनकहे पर चिंतन करने लगता है।<br />
2- अनकहे का भी कितना महत्व है!<br />
3- कथा का समापन करते हुए बेहतरीन पंचपंक्ति द्वारा किस तरह शीर्षक सार्थक व सटीक पुष्ट होता है।<br />
४- शीर्षक कितनी सूझबूझ से सृजित किया जाता है।<br />
सादर हार्दिक बधाई और आभार इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आदरणीय प्रधान संपादक महोदय श्री योगराज प्रभाकर सर जी।
शीर्षक सार्थक करती बेहतरीन लघुकथा पढ़कर हम इन बातों को सीख सके हैं-<br />
१- कसावट के साथ संदेश सम्प्रेषित करती लघुकथा में कहे और अनकहे में क्या संबंध होता है और पाठक सहजता से संदेश ग्रहण करते हुए अनकहे पर चिंतन करने लगता है।<br />
2- अनकहे का भी कितना महत्व है!<br />
3- कथा का समापन करते हुए बेहतरीन पंचपंक्ति द्वारा किस तरह शीर्षक सार्थक व सटीक पुष्ट होता है।<br />
४- शीर्षक कितनी सूझबूझ से सृजित किया जाता है।<br />
सादर हार्दिक बधाई और आभार इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आदरणीय प्रधान संपादक महोदय श्री योगराज प्रभाकर सर जी। जनाब योगराज प्रभाकर साहिब आदा…tag:openbooksonline.com,2016-12-27:5170231:Comment:8228672016-12-27T11:55:11.903ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब योगराज प्रभाकर साहिब आदाब,उम्दा कथानक,बहतरीन संवाद,ख़ूबसूरत अंदाज़-ए-बयाँ, लाजवाब पंचलाइन,आपकी बहतरीन लघुकथाओं में एक और इज़ाफ़ा हुआ,इस शानदार प्रस्तुति पर दिल से देरों दाद के साथ देरों मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
जनाब योगराज प्रभाकर साहिब आदाब,उम्दा कथानक,बहतरीन संवाद,ख़ूबसूरत अंदाज़-ए-बयाँ, लाजवाब पंचलाइन,आपकी बहतरीन लघुकथाओं में एक और इज़ाफ़ा हुआ,इस शानदार प्रस्तुति पर दिल से देरों दाद के साथ देरों मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं । कथा बेहद अच्छी हुई है आदरणीय…tag:openbooksonline.com,2016-12-27:5170231:Comment:8228642016-12-27T09:45:36.872ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
कथा बेहद अच्छी हुई है आदरणीय सर। बधाई स्वीकारें |
कथा बेहद अच्छी हुई है आदरणीय सर। बधाई स्वीकारें | हार्दिक बधाई आदरणीय योगराज प्…tag:openbooksonline.com,2016-12-27:5170231:Comment:8227032016-12-27T08:46:58.010ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय योगराज प्रभाकर भाई जी। बहुत तीखी बात कह दी, इस लघुकथा के माध्यम से।बेहतरीन प्रस्तुति।</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय योगराज प्रभाकर भाई जी। बहुत तीखी बात कह दी, इस लघुकथा के माध्यम से।बेहतरीन प्रस्तुति।</p> आदरणीय योगराज सर, अपने शीर्षक…tag:openbooksonline.com,2016-12-27:5170231:Comment:8227902016-12-27T08:26:34.768Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीय योगराज सर, अपने शीर्षक को सार्थक करती बहुत ही प्रभावोत्पादक लघुकथा कही है आपने. लघुकथा की पंचलाइन पढने के बाद फिर शीर्षक पर ध्यान जाता है और पाठक वाह कह उठता है. इस शानदार प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई निवेदित है. सादर </p>
<p>आदरणीय योगराज सर, अपने शीर्षक को सार्थक करती बहुत ही प्रभावोत्पादक लघुकथा कही है आपने. लघुकथा की पंचलाइन पढने के बाद फिर शीर्षक पर ध्यान जाता है और पाठक वाह कह उठता है. इस शानदार प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई निवेदित है. सादर </p>