Comments - किसे ये सब समझाऊँ .... स्त्री की ज़िंदगी का एक पहलू // डॉ० प्राची - Open Books Online2024-03-29T01:51:45Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A840860&xn_auth=noवाह! वाह!! क्या शानदार गीत प्…tag:openbooksonline.com,2017-03-08:5170231:Comment:8413692017-03-08T15:45:15.917ZMahendra Kumarhttp://openbooksonline.com/profile/Mahendra
वाह! वाह!! क्या शानदार गीत प्रस्तुत किया है आपने आदरणीया प्राची जी। दिल को भीतर तक छू गया। इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।
वाह! वाह!! क्या शानदार गीत प्रस्तुत किया है आपने आदरणीया प्राची जी। दिल को भीतर तक छू गया। इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार कीजिए। सादर। आदरणीया प्राची जी नारी की पीड़…tag:openbooksonline.com,2017-03-08:5170231:Comment:8410602017-03-08T09:16:05.394Zबासुदेव अग्रवाल 'नमन'http://openbooksonline.com/profile/Basudeo
आदरणीया प्राची जी नारी की पीड़ा का अत्यंत मार्मिक चित्रण। गहने कपड़ों की जगह नारी को एक जमीन का टुकड़ा या फ्लेट के साथ विदा किया जाता तो ज्यादा सार्थक होता। अच्छा प्रश्न खड़ा किया है आपने इस रचना में।
आदरणीया प्राची जी नारी की पीड़ा का अत्यंत मार्मिक चित्रण। गहने कपड़ों की जगह नारी को एक जमीन का टुकड़ा या फ्लेट के साथ विदा किया जाता तो ज्यादा सार्थक होता। अच्छा प्रश्न खड़ा किया है आपने इस रचना में। KHUB SUNDAR RACHNAA tag:openbooksonline.com,2017-03-08:5170231:Comment:8410552017-03-08T05:53:47.897Znarendrasinh chauhanhttp://openbooksonline.com/profile/narendrasinhchauhan
<p>KHUB SUNDAR RACHNAA </p>
<p>KHUB SUNDAR RACHNAA </p> बस धरती का एक किनारा होता मेर…tag:openbooksonline.com,2017-03-07:5170231:Comment:8409062017-03-07T14:07:54.630ZSushil Sarnahttp://openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>बस धरती का एक किनारा होता मेरे नाम<br/>उस पर बुनकर एक घरौंदा मन पाता आराम ,</p>
<p>आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी नारी के अंतर्द्वंद को आपने बड़ी ही खूबी सरल भाषा में चित्रित किया है। इसके लिए दिल से बधाई स्वीकार करें। क्षमा सहित आदरणीया ''कठपुतली सा नाच नचाती है मुझको ससुराल'' इस पंक्ति में नचाती के स्थान पर क्या नचाता का प्रयोग उचित नहीं होगा क्योंकि ''ससुराल'' के साथ नचाती का प्रयोग उचित नहीं लग रहा। कृपया संशय दूर करें।</p>
<p>बस धरती का एक किनारा होता मेरे नाम<br/>उस पर बुनकर एक घरौंदा मन पाता आराम ,</p>
<p>आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी नारी के अंतर्द्वंद को आपने बड़ी ही खूबी सरल भाषा में चित्रित किया है। इसके लिए दिल से बधाई स्वीकार करें। क्षमा सहित आदरणीया ''कठपुतली सा नाच नचाती है मुझको ससुराल'' इस पंक्ति में नचाती के स्थान पर क्या नचाता का प्रयोग उचित नहीं होगा क्योंकि ''ससुराल'' के साथ नचाती का प्रयोग उचित नहीं लग रहा। कृपया संशय दूर करें।</p> सादर धन्यवाद आदरणीय आशुतोष मि…tag:openbooksonline.com,2017-03-07:5170231:Comment:8411162017-03-07T14:01:33.843ZDr.Prachi Singhhttp://openbooksonline.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>सादर धन्यवाद आदरणीय आशुतोष मिश्रा जी </p>
<p>सादर धन्यवाद आदरणीय आशुतोष मिश्रा जी </p> समय के साथ आते परिवर्तन को मै…tag:openbooksonline.com,2017-03-07:5170231:Comment:8409042017-03-07T14:00:59.545ZDr.Prachi Singhhttp://openbooksonline.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>समय के साथ आते परिवर्तन को मैंने इससे पहले गीत में पुरजोर तरह से दर्शाया है.. </p>
<p>यह गीत आपको यथार्थ के करीब लगा , आपके अनुमोदन की आभारी हूँ आ० सुरेन्द्र नाथ जी </p>
<p>समय के साथ आते परिवर्तन को मैंने इससे पहले गीत में पुरजोर तरह से दर्शाया है.. </p>
<p>यह गीत आपको यथार्थ के करीब लगा , आपके अनुमोदन की आभारी हूँ आ० सुरेन्द्र नाथ जी </p> सादर धन्यवाद आदरणीय समर कबीर…tag:openbooksonline.com,2017-03-07:5170231:Comment:8411152017-03-07T13:58:59.421ZDr.Prachi Singhhttp://openbooksonline.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>सादर धन्यवाद आदरणीय समर कबीर जी </p>
<p>सादर धन्यवाद आदरणीय समर कबीर जी </p> आदरणीया प्राची जी इस सूंदर रच…tag:openbooksonline.com,2017-03-07:5170231:Comment:8410302017-03-07T13:25:16.556ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooksonline.com/profile/DrAshutoshMishra
आदरणीया प्राची जी इस सूंदर रचना के माध्यम से औरतो की एक बड़ी तादाद जो इस दंश को झेल रही है का दर्द आपने प्रस्तुत किया है रचना पर हार्दिक बधाई सादर
आदरणीया प्राची जी इस सूंदर रचना के माध्यम से औरतो की एक बड़ी तादाद जो इस दंश को झेल रही है का दर्द आपने प्रस्तुत किया है रचना पर हार्दिक बधाई सादर आदरणीय प्राची सिंह जी सादर अभ…tag:openbooksonline.com,2017-03-07:5170231:Comment:8408932017-03-07T09:42:33.440Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
आदरणीय प्राची सिंह जी सादर अभिवादन, काफी सटीक लिखा आपने, समाज की स्थिति ऐसी ही है, पर यह भी सच है कि कालखंड के हिसाब से इसमें गुणात्मक परिवर्तन भी आ रहा है, लोग पत्नियो के नाम से जमीन ले रहे हाउ और उत्तर पूर्व के राज्यो में मातृसत्तात्मक व्यवस्था भी है, पर हाँ अधिकांसतः वही है जिसे आपने उकेरा है। बधाई
आदरणीय प्राची सिंह जी सादर अभिवादन, काफी सटीक लिखा आपने, समाज की स्थिति ऐसी ही है, पर यह भी सच है कि कालखंड के हिसाब से इसमें गुणात्मक परिवर्तन भी आ रहा है, लोग पत्नियो के नाम से जमीन ले रहे हाउ और उत्तर पूर्व के राज्यो में मातृसत्तात्मक व्यवस्था भी है, पर हाँ अधिकांसतः वही है जिसे आपने उकेरा है। बधाई मोहतरमा डॉ.प्राची सिंह जी आदा…tag:openbooksonline.com,2017-03-07:5170231:Comment:8408912017-03-07T09:42:08.953ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
मोहतरमा डॉ.प्राची सिंह जी आदाब,अच्छा लगा आपका गीत,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
मोहतरमा डॉ.प्राची सिंह जी आदाब,अच्छा लगा आपका गीत,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।