Comments - ग़ज़ल(दिल बचाया तो तेरा जिगर जाएगा ) - Open Books Online2024-03-28T13:56:02Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A850459&xn_auth=noजनाब नीलेश साहिब,मश्वरे का बह…tag:openbooksonline.com,2017-04-24:5170231:Comment:8510502017-04-24T11:39:25.823ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
जनाब नीलेश साहिब,मश्वरे का बहुत बहुत शुक्रिया ---
जनाब नीलेश साहिब,मश्वरे का बहुत बहुत शुक्रिया --- जनाब अनुराग साहिब,ग़ज़ल में आपक…tag:openbooksonline.com,2017-04-24:5170231:Comment:8508502017-04-24T11:37:31.878ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
जनाब अनुराग साहिब,ग़ज़ल में आपकी शिरकत, हौसला अफजाई और मश्वरे का बहुत बहुत शुक्रिया----
जनाब अनुराग साहिब,ग़ज़ल में आपकी शिरकत, हौसला अफजाई और मश्वरे का बहुत बहुत शुक्रिया---- आ. तस्दीक़ साहब...मैंने मिसरा…tag:openbooksonline.com,2017-04-24:5170231:Comment:8508412017-04-24T05:06:36.458ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooksonline.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>आ. तस्दीक़ साहब...<br/>मैंने मिसरा नहीं दिया है.... एक तरकीब सुझाई है ...<br/>जैसे<br/>देखिये तो खाकर कहने की जगह खाकर तो देखिये अधिक आग्रही और ग्राह्य होता है ....बाक़ी आपकी ग़ज़ल है..जैसा आप उचित मानें <br/>सादर </p>
<p>आ. तस्दीक़ साहब...<br/>मैंने मिसरा नहीं दिया है.... एक तरकीब सुझाई है ...<br/>जैसे<br/>देखिये तो खाकर कहने की जगह खाकर तो देखिये अधिक आग्रही और ग्राह्य होता है ....बाक़ी आपकी ग़ज़ल है..जैसा आप उचित मानें <br/>सादर </p> जनाब नीलेश साहिब , ग़ज़ल में…tag:openbooksonline.com,2017-04-23:5170231:Comment:8508302017-04-23T06:11:52.270ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>जनाब नीलेश साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया <br></br>शब्द "वक़्त "(अरबी ),तन्हाई (फ़ारसी ), बद (फ़ारसी ),फ़ज़ीलत(अरबी )के हैं ,फ़िरोज़ूल्लुगात में <br></br>वक़्ते बद और वक़्ते फ़ज़ीलत , इस्तेमाल किए गये हैं , नार्वा की कोई मान्यता नहीं है |<br></br>देखिए तो मिलाकर किसी से नज़र ------मेरे हिसाबसे "तो" भरती का नहीं बल्कि मेन शब्द है <br></br>जिसपर "देखिए " शब्द का ज़ोर है|" मिला कर तो देखें किसी से नज़र "'मिसरा बह्र में नहीं होगा <br></br>"खुद ब खुद ही निकल दिल से डर जाएगा " इस…</p>
<p>जनाब नीलेश साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया <br/>शब्द "वक़्त "(अरबी ),तन्हाई (फ़ारसी ), बद (फ़ारसी ),फ़ज़ीलत(अरबी )के हैं ,फ़िरोज़ूल्लुगात में <br/>वक़्ते बद और वक़्ते फ़ज़ीलत , इस्तेमाल किए गये हैं , नार्वा की कोई मान्यता नहीं है |<br/>देखिए तो मिलाकर किसी से नज़र ------मेरे हिसाबसे "तो" भरती का नहीं बल्कि मेन शब्द है <br/>जिसपर "देखिए " शब्द का ज़ोर है|" मिला कर तो देखें किसी से नज़र "'मिसरा बह्र में नहीं होगा <br/>"खुद ब खुद ही निकल दिल से डर जाएगा " इस मिसरे का दारोमदार पढ़ने वाले पर है कि वो <br/>किस अंदाज़ में पढ़ता है , मेरे हिसाब से मज़मून मुकम्मल है | <br/>"मुस्कराहट से दीवाना मर जाएगा "' शब्द दीवाना का "ना" नहीं बल्कि "अलिफ " गिराया गया है <br/>शब्द दीवान और दीवाना दोनो अलग अलग हैं | आपके मशवरे का शुक्रिया ------सादर</p> जनाब रवि साहिब , ग़ज़ल में आ…tag:openbooksonline.com,2017-04-23:5170231:Comment:8510242017-04-23T05:39:35.971ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>जनाब रवि साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया </p>
<p>जनाब रवि साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया </p> आ. तस्दीक़ साहब... बहुत शानदार…tag:openbooksonline.com,2017-04-23:5170231:Comment:8509172017-04-23T04:12:07.674ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooksonline.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>आ. तस्दीक़ साहब... बहुत शानदार ग़ज़ल के लिये बधाई ..<br></br>शब्द अगर एक ही भाषा के हैं (या अरबी-या फ़ारसी) तो ही इज़ाफ़त स्वीकार्य है...<br></br>वक़्त और तन्हाई का त साथ आने से भी नारवा प्रतीत होता है ..(हालाँकि कोई मानता नहीं है अब इसे)<br></br>.<br></br><span>मालो दौलत नहीं सिर्फ़ आमाल हैं </span><br></br><span>हश्र में जिनको लेकर बशर जाएगा |... ये बहुत अच्छा शेर लगा मुझे ...बधाई <br></br></span>.<br></br><span>देखिए तो मिलाकर किसी से नज़र ...<br></br></span><strong>मिलाकर तो देखें किसी से नज़र ...</strong> देखिये के बाद का…</p>
<p>आ. तस्दीक़ साहब... बहुत शानदार ग़ज़ल के लिये बधाई ..<br/>शब्द अगर एक ही भाषा के हैं (या अरबी-या फ़ारसी) तो ही इज़ाफ़त स्वीकार्य है...<br/>वक़्त और तन्हाई का त साथ आने से भी नारवा प्रतीत होता है ..(हालाँकि कोई मानता नहीं है अब इसे)<br/>.<br/><span>मालो दौलत नहीं सिर्फ़ आमाल हैं </span><br/><span>हश्र में जिनको लेकर बशर जाएगा |... ये बहुत अच्छा शेर लगा मुझे ...बधाई <br/></span>.<br/><span>देखिए तो मिलाकर किसी से नज़र ...<br/></span><strong>मिलाकर तो देखें किसी से नज़र ...</strong> देखिये के बाद का तो भर्ती है... मिलाकर के बाद लेंगे तो ज़ुबान का हिस्सा हो जाएगा ..<br/>.<br/><span>खुद बखुद ही निकल दिल से डर जाएगा |...ऐसा लगता है कि कोई निकल नाम का शख्स दिल से डर जायेगा... मिसरा भाषाई लिहाज़ से ठीक नहीं है ..<br/>.<br/><span>मुस्कराहट से दीवाना मर जाएगा |... दीवाना का ना गिराना इसलिए सही नहीं है क्यूँ कि <strong>दीवान</strong> एक सार्थक शब्द बनता है ..ये भी मानने न मानने की बात है ..<br/></span>ग़ज़ल के लिये पुन: बधाई <br/></span></p> टेक्नीकलिटी तो भई गुणीजन ही…tag:openbooksonline.com,2017-04-23:5170231:Comment:8509152017-04-23T03:35:28.575ZRavi Prabhakarhttp://openbooksonline.com/profile/RaviPrabhakar
<p>टेक्नीकलिटी तो भई गुणीजन ही जाने पर ग़ज़ल पढ़ मुझे बहुत अच्छा लगा। विशेषकर -</p>
<p><em>आप खंजर का एहसान लेते है क्यूँ</em></p>
<p><em>मुस्कराहट से दीवाना मर जाएगा |</em></p>
<p>हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकारें ।</p>
<p>टेक्नीकलिटी तो भई गुणीजन ही जाने पर ग़ज़ल पढ़ मुझे बहुत अच्छा लगा। विशेषकर -</p>
<p><em>आप खंजर का एहसान लेते है क्यूँ</em></p>
<p><em>मुस्कराहट से दीवाना मर जाएगा |</em></p>
<p>हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकारें ।</p> मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आद…tag:openbooksonline.com,2017-04-22:5170231:Comment:8506972017-04-22T14:29:26.351ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब,जो लेटेस्ट फिरोज़ुल लुगात है उसमें पेज नंबर 1412और 1413 पर यह शब्द मौजूद हैं यह लुगात नेट पर भी है ----लुगात में इज़्न का मतलब "हुक्म",और इजाज़त" लिखा है ,अगर हुक्म मानें तो मिल गया आना चाहिए और अगर इजाज़त लें तो मिल गया कैसे आयेगा ?,--"मुस्कराने की इजाज़त मिल गई "या "मुस्कराने का इजाज़त मिल गया "क्या सही होना चाहिए ,---सादर
मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब,जो लेटेस्ट फिरोज़ुल लुगात है उसमें पेज नंबर 1412और 1413 पर यह शब्द मौजूद हैं यह लुगात नेट पर भी है ----लुगात में इज़्न का मतलब "हुक्म",और इजाज़त" लिखा है ,अगर हुक्म मानें तो मिल गया आना चाहिए और अगर इजाज़त लें तो मिल गया कैसे आयेगा ?,--"मुस्कराने की इजाज़त मिल गई "या "मुस्कराने का इजाज़त मिल गया "क्या सही होना चाहिए ,---सादर मेरे पास जो फिरोज़ुललुग़ात है उ…tag:openbooksonline.com,2017-04-22:5170231:Comment:8507752017-04-22T12:32:21.353ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
मेरे पास जो फिरोज़ुललुग़ात है उसमें तो आपके बताये गये शब्द नहीं हैं,और 'इज़्न'और 'तबस्सुम'दोनों पुल्लिंग हैं तो मिल गई कहाँ तक ठीक है भाई ।
मेरे पास जो फिरोज़ुललुग़ात है उसमें तो आपके बताये गये शब्द नहीं हैं,और 'इज़्न'और 'तबस्सुम'दोनों पुल्लिंग हैं तो मिल गई कहाँ तक ठीक है भाई । मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आद…tag:openbooksonline.com,2017-04-22:5170231:Comment:8507722017-04-22T11:38:16.399ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया,महरबानी---अगर वक़्त के साथ इज़ाफ़त नहीं लग सकती तो लुगात में वक़्ते बद और वक़्ते फ़ज़ीलत किस तरह लिया गया है? इज़्ने तबस्सुम ---मतलब मुस्कराने की इजाज़त को "मिल गई " बोलेंगे या "मिल गया "यह समझ में नहीं आया ---सादर
मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया,महरबानी---अगर वक़्त के साथ इज़ाफ़त नहीं लग सकती तो लुगात में वक़्ते बद और वक़्ते फ़ज़ीलत किस तरह लिया गया है? इज़्ने तबस्सुम ---मतलब मुस्कराने की इजाज़त को "मिल गई " बोलेंगे या "मिल गया "यह समझ में नहीं आया ---सादर