Comments - तरही ग़ज़ल-2 (आ० समर कबीर जी को समर्पित) - Open Books Online2024-03-29T13:41:38Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A855117&xn_auth=noआदरणीय योगराज प्रभार जी, सादर…tag:openbooksonline.com,2018-09-18:5170231:Comment:9493322018-09-18T12:00:39.493Zबसंत कुमार शर्माhttp://openbooksonline.com/profile/37vrpfxgzfdi8
<p>आदरणीय योगराज प्रभार जी, सादर नमस्कार आपको, वाह लाजबाब ग़ज़ल आनंद आ गया </p>
<p>आदरणीय योगराज प्रभार जी, सादर नमस्कार आपको, वाह लाजबाब ग़ज़ल आनंद आ गया </p> आदरणीय प्रभाकर जी....बहुत ही…tag:openbooksonline.com,2018-09-18:5170231:Comment:9491382018-09-18T11:52:32.575ZGanga Dhar Sharma 'Hindustan'http://openbooksonline.com/profile/GangaDharSharmaHindustan
<p>आदरणीय प्रभाकर जी....बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल के लिए तहेदिल से मुबारकबाद .....</p>
<p>आदरणीय प्रभाकर जी....बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल के लिए तहेदिल से मुबारकबाद .....</p> मेरी झोली ख़सारों से भरी है, य…tag:openbooksonline.com,2017-05-15:5170231:Comment:8570182017-05-15T06:26:54.934ZMahendra Kumarhttp://openbooksonline.com/profile/Mahendra
<p><span>मेरी झोली ख़सारों से भरी है, </span><span>ये मामूली सी ने'मत है? नहीं तो! ...वाह! बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है आदरणीय योगराज सर. इस उम्दा प्रस्तुति पर दिल से ढेरों बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.</span></p>
<p><span>मेरी झोली ख़सारों से भरी है, </span><span>ये मामूली सी ने'मत है? नहीं तो! ...वाह! बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है आदरणीय योगराज सर. इस उम्दा प्रस्तुति पर दिल से ढेरों बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.</span></p> आदरनीय योगराज भाई , बेहतरीन ग…tag:openbooksonline.com,2017-05-08:5170231:Comment:8552202017-05-08T14:42:24.802Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरनीय योगराज भाई , बेहतरीन गज़ल कही है , आपने .. शे र दर शेर बधाइयाँ स्वीकार करें ।</p>
<p>आदरनीय योगराज भाई , बेहतरीन गज़ल कही है , आपने .. शे र दर शेर बधाइयाँ स्वीकार करें ।</p> आ. भाई योगराज जी रचना और रचना…tag:openbooksonline.com,2017-05-08:5170231:Comment:8550432017-05-08T06:23:09.441Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई योगराज जी रचना और रचनाकार दोनों को कोटि कोटि नमन ।</p>
<p>आ. भाई योगराज जी रचना और रचनाकार दोनों को कोटि कोटि नमन ।</p> आ. योगराज सर,तो सुरक्शत लिखा…tag:openbooksonline.com,2017-05-08:5170231:Comment:8550352017-05-08T04:42:03.524ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooksonline.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>आ. योगराज सर,<br/>तो सुरक्शत लिखा जाय :p <br/>सादर </p>
<p>आ. योगराज सर,<br/>तो सुरक्शत लिखा जाय :p <br/>सादर </p> भाई निलेश नूर जी, पंजाबी में…tag:openbooksonline.com,2017-05-08:5170231:Comment:8549522017-05-08T04:31:56.166Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
<p>भाई निलेश नूर जी, पंजाबी में व्यंजन "क्ष" नहीं होता इसलिए मंदिर/मंदर की तर्ज़ पर <span>सुरक्षित को सुरक्षत पढने या बोलने का सवाल ही पैदा नहीं होताI </span></p>
<p>भाई निलेश नूर जी, पंजाबी में व्यंजन "क्ष" नहीं होता इसलिए मंदिर/मंदर की तर्ज़ पर <span>सुरक्षित को सुरक्षत पढने या बोलने का सवाल ही पैदा नहीं होताI </span></p> आ. योगराज सर...काश सभी मित्र…tag:openbooksonline.com,2017-05-08:5170231:Comment:8549512017-05-08T04:28:02.305ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooksonline.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>आ. योगराज सर...<br/>काश सभी मित्र जितना अपने शब्दों को लेकर जागरूक हैं, उतना ही अन्य भाषा के शब्दों को लेकर भी हो जायें.<br/>वैसे पंजाबी लहजे में सुरक्षित को सुरक्षत पढना आम है ..जैसे मन्दिर को मंदर ...( <strong>ये एक सम्भावित कुतर्क हो सकता है :-))</strong>)) </p>
<p>आ. योगराज सर...<br/>काश सभी मित्र जितना अपने शब्दों को लेकर जागरूक हैं, उतना ही अन्य भाषा के शब्दों को लेकर भी हो जायें.<br/>वैसे पंजाबी लहजे में सुरक्षित को सुरक्षत पढना आम है ..जैसे मन्दिर को मंदर ...( <strong>ये एक सम्भावित कुतर्क हो सकता है :-))</strong>)) </p> आ० भाई अनुराग वशिष्ठ जी, "सुर…tag:openbooksonline.com,2017-05-08:5170231:Comment:8549502017-05-08T04:14:19.986Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
<p>आ० भाई अनुराग वशिष्ठ जी, "सुरक्षित" शब्द गलती से नहीं लिखा थाI दरअसल सलामत शब्द से वो फीलिंग नहीं आ रही थी, बहरहाल भावुकता में काफियाबंदी गलत हो गईI अब सुरक्षित की जगह सलामत कर दिया है, रचना को समय देने के लिए दिल से आपका शुकरगुज़ार हूँI </p>
<p>आ० भाई अनुराग वशिष्ठ जी, "सुरक्षित" शब्द गलती से नहीं लिखा थाI दरअसल सलामत शब्द से वो फीलिंग नहीं आ रही थी, बहरहाल भावुकता में काफियाबंदी गलत हो गईI अब सुरक्षित की जगह सलामत कर दिया है, रचना को समय देने के लिए दिल से आपका शुकरगुज़ार हूँI </p> आ० निलेश नूर जी, गलती सुधार ल…tag:openbooksonline.com,2017-05-08:5170231:Comment:8550312017-05-08T04:11:22.099Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
<p>आ० निलेश नूर जी, गलती सुधार ली गई हैI </p>
<p>आ० निलेश नूर जी, गलती सुधार ली गई हैI </p>