Comments - "तरही ग़ज़ल , जनाब रवि शुक्ल साहिब की नज़्र" - Open Books Online2024-03-28T10:53:33Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A855294&xn_auth=noप्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,…tag:openbooksonline.com,2017-05-22:5170231:Comment:8580002017-05-22T06:03:22.047ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,सबसे पहले तो मुआफ़ी चाहता हूँ कि किन्हीं उलझनों के कारण आपके सन्देश का जवाब नहीं दे सका,शायद आपने अपने संदेश में इसी ग़ज़ल का ज़िक्र किया है ।<br />
ग़ज़ल आपको पसंद आई लिखना सार्थक हुआ,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।<br />
आपके माध्यम से मंच को बताना चाहता हूँ कि रमज़ान का महीना 27 मई से शुरू होने जा रहा है,इस कारण 25-5-2017 से में मंच से एक महीने तक ग़ैर हाज़िर रहूँगा,इसके लिये जनाब प्रधान संपादक महोदय से भी आज रज़ा लूंगा ।
प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,सबसे पहले तो मुआफ़ी चाहता हूँ कि किन्हीं उलझनों के कारण आपके सन्देश का जवाब नहीं दे सका,शायद आपने अपने संदेश में इसी ग़ज़ल का ज़िक्र किया है ।<br />
ग़ज़ल आपको पसंद आई लिखना सार्थक हुआ,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।<br />
आपके माध्यम से मंच को बताना चाहता हूँ कि रमज़ान का महीना 27 मई से शुरू होने जा रहा है,इस कारण 25-5-2017 से में मंच से एक महीने तक ग़ैर हाज़िर रहूँगा,इसके लिये जनाब प्रधान संपादक महोदय से भी आज रज़ा लूंगा । //पहले अपनी रूह का ये मक़बरा र…tag:openbooksonline.com,2017-05-19:5170231:Comment:8577512017-05-19T19:20:26.796Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>//पहले अपनी रूह का ये मक़बरा रोशन करें<br/>और इसके बाद हम सोचें कि क्या रोशन करें//</p>
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<p>अज़ीज़ समर भाई, पढ़ कर खुश हूँ और हैरान भी हूँ, कि इस एक ही शेर में आपने कैसे spirituality की सबसे बड़ी और अच्छी मिसाल दे दी। दिल से दाद देता हूँ, और शुक्रिया कि यह गज़ल पढ़ने को मिली।</p>
<p>//पहले अपनी रूह का ये मक़बरा रोशन करें<br/>और इसके बाद हम सोचें कि क्या रोशन करें//</p>
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<p>अज़ीज़ समर भाई, पढ़ कर खुश हूँ और हैरान भी हूँ, कि इस एक ही शेर में आपने कैसे spirituality की सबसे बड़ी और अच्छी मिसाल दे दी। दिल से दाद देता हूँ, और शुक्रिया कि यह गज़ल पढ़ने को मिली।</p> जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब,स…tag:openbooksonline.com,2017-05-15:5170231:Comment:8567782017-05-15T12:12:03.091ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका शुक्रगुज़ार हूँ । पहले अपनी रूह का ये मक़बरा रोश…tag:openbooksonline.com,2017-05-15:5170231:Comment:8568572017-05-15T06:42:22.631ZMahendra Kumarhttp://openbooksonline.com/profile/Mahendra
<p><span>पहले अपनी रूह का ये मक़बरा रोशन करें</span><br/><span>और इसके बाद हम सोचें कि क्या रोशन करें ...वाह! वाह!! क्या ख़ूब मतला है आदरणीय समर कबीर सर. इस रोशन ग़ज़ल के लिए ढेर सारी बधाई स्वीकार कीजिए. सादर. </span></p>
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<p><span>पहले अपनी रूह का ये मक़बरा रोशन करें</span><br/><span>और इसके बाद हम सोचें कि क्या रोशन करें ...वाह! वाह!! क्या ख़ूब मतला है आदरणीय समर कबीर सर. इस रोशन ग़ज़ल के लिए ढेर सारी बधाई स्वीकार कीजिए. सादर. </span></p>
<p></p> जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आद…tag:openbooksonline.com,2017-05-12:5170231:Comment:8561282017-05-12T12:44:59.099ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका शुजरगुज़ार हूँ ।
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका शुजरगुज़ार हूँ । जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,आ…tag:openbooksonline.com,2017-05-12:5170231:Comment:8561272017-05-12T12:43:52.092ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,आपसे गुज़ारिश हे कि ग़ज़ल तवज्जो से पढ़ा करें ।<br />
सुख़न नवाज़ी के लिये आपका शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,आपसे गुज़ारिश हे कि ग़ज़ल तवज्जो से पढ़ा करें ।<br />
सुख़न नवाज़ी के लिये आपका शुक्रगुज़ार हूँ । जनाब रवि शुक्ला जी आदाब,ग़ज़ल म…tag:openbooksonline.com,2017-05-12:5170231:Comment:8559652017-05-12T12:40:02.474ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब रवि शुक्ला जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब रवि शुक्ला जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ । मोहतरमा कल्पना भट्ट साहिबा आद…tag:openbooksonline.com,2017-05-12:5170231:Comment:8561262017-05-12T12:38:32.476ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
मोहतरमा कल्पना भट्ट साहिबा आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका शुक्रगुज़ार हूँ ।
मोहतरमा कल्पना भट्ट साहिबा आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका शुक्रगुज़ार हूँ । जनाब नरेन्द्रसिंह चौहान साहिब…tag:openbooksonline.com,2017-05-12:5170231:Comment:8561252017-05-12T12:37:10.810ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब नरेन्द्रसिंह चौहान साहिब आदाब,सूझन नवाज़ी के लिये आपका शुक्रञ्जर हूँ ।
जनाब नरेन्द्रसिंह चौहान साहिब आदाब,सूझन नवाज़ी के लिये आपका शुक्रञ्जर हूँ । जनाब राघव प्रियदर्शी साहिब आद…tag:openbooksonline.com,2017-05-12:5170231:Comment:8560462017-05-12T12:34:42.588ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब राघव प्रियदर्शी साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब राघव प्रियदर्शी साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका शुक्रगुज़ार हूँ ।