Comments - शायरी चीज़ ही ऐसी है यार (ग़ज़ल) - Open Books Online2024-03-28T15:49:50Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A864445&xn_auth=noजनाब जयनित कुमार मेहता जी आदा…tag:openbooksonline.com,2017-07-01:5170231:Comment:8645512017-07-01T06:56:11.074ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब जयनित कुमार मेहता जी आदाब,अभी पिछली ग़ज़ल पर आपने किसी भी टिप्पणी का उत्तर नहीं दिया है,और आज ये ग़ज़ल सामने है, भाई,मंच के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें,और अपनी कुछ तो सक्रियता दिखाएँ,ये मेरा आपसे निवेदन है ।<br />
अब आपकी ये ग़ज़ल,मतले के दोनों मिसरे अलग अलग हैं,उनमें रब्त नहीं है,कुछ ऊला मिसरों की बह्र भी चेक कीजिये,कुछ अशआर ठीक हैं,इसके लिए आपको मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
जनाब जयनित कुमार मेहता जी आदाब,अभी पिछली ग़ज़ल पर आपने किसी भी टिप्पणी का उत्तर नहीं दिया है,और आज ये ग़ज़ल सामने है, भाई,मंच के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें,और अपनी कुछ तो सक्रियता दिखाएँ,ये मेरा आपसे निवेदन है ।<br />
अब आपकी ये ग़ज़ल,मतले के दोनों मिसरे अलग अलग हैं,उनमें रब्त नहीं है,कुछ ऊला मिसरों की बह्र भी चेक कीजिये,कुछ अशआर ठीक हैं,इसके लिए आपको मुबारकबाद पेश करता हूँ ।