Comments - 'महब्बत कर किसी के संग हो जा' - Open Books Online2024-03-29T11:54:04Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A868712&xn_auth=noबहना कल्पना भट्ट जी आदाब,सुख़न…tag:openbooksonline.com,2017-09-17:5170231:Comment:8819832017-09-17T15:31:20.204ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
बहना कल्पना भट्ट जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।<br />
आपने जो अशआर पसन्द किये हैं वो इस ग़ज़ल के नहीं,मेरी दूसरी ग़ज़ल के हैं ।
बहना कल्पना भट्ट जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।<br />
आपने जो अशआर पसन्द किये हैं वो इस ग़ज़ल के नहीं,मेरी दूसरी ग़ज़ल के हैं । अब तक भरी हुई थी जो तेरे दिमा…tag:openbooksonline.com,2017-09-17:5170231:Comment:8818992017-09-17T14:17:37.948ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p><span>अब तक भरी हुई थी जो तेरे दिमाग़ में</span><br/><span>फैलाई है वो तूने ग़िलाज़त कहाँ कहाँ</span><br/><br/><span>तूने वतन को बेचा है अपने मफ़ाद में</span><br/><span>होती है देखें तेरी मज़म्मत कहाँ कहाँ</span><br/><br/><span>फ़हरिस्त इसकी अब तो बताना फ़ुज़ूल है</span><br/><span>हमने उठाई है ये हज़ीमत कहाँ कहाँ </span></p>
<p></p>
<p>बहुत खूब आदरणीय समर भाई जी | उम्दा ग़ज़ल हुई है , बहुत बहुत मुबारकबाद | सादर |</p>
<p><span>अब तक भरी हुई थी जो तेरे दिमाग़ में</span><br/><span>फैलाई है वो तूने ग़िलाज़त कहाँ कहाँ</span><br/><br/><span>तूने वतन को बेचा है अपने मफ़ाद में</span><br/><span>होती है देखें तेरी मज़म्मत कहाँ कहाँ</span><br/><br/><span>फ़हरिस्त इसकी अब तो बताना फ़ुज़ूल है</span><br/><span>हमने उठाई है ये हज़ीमत कहाँ कहाँ </span></p>
<p></p>
<p>बहुत खूब आदरणीय समर भाई जी | उम्दा ग़ज़ल हुई है , बहुत बहुत मुबारकबाद | सादर |</p> जनाब ख़ुर्शीद खैराड़ी साहिब आदा…tag:openbooksonline.com,2017-07-29:5170231:Comment:8697082017-07-29T14:48:11.090ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब ख़ुर्शीद खैराड़ी साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
जनाब ख़ुर्शीद खैराड़ी साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया । मुहब्बत का तू ऐसा रंग हो जा।…tag:openbooksonline.com,2017-07-29:5170231:Comment:8690992017-07-29T03:43:47.553Zkhursheed khairadihttp://openbooksonline.com/profile/khursheedkhairadi
मुहब्बत का तू ऐसा रंग हो जा। क्या बात है सर। आदरणीय समर सर उम्दा ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत मुबारक़बाद ।सादर।
मुहब्बत का तू ऐसा रंग हो जा। क्या बात है सर। आदरणीय समर सर उम्दा ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत मुबारक़बाद ।सादर। जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब,सुख़…tag:openbooksonline.com,2017-07-27:5170231:Comment:8688032017-07-27T10:27:47.437ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये बहुत बहुत शुक्रिया ।
जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये बहुत बहुत शुक्रिया । आ. भाई समर जी इस बोलती गजल के…tag:openbooksonline.com,2017-07-26:5170231:Comment:8688632017-07-26T17:39:45.890Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
आ. भाई समर जी इस बोलती गजल के लिए बहुत बहुत बधाई ।
आ. भाई समर जी इस बोलती गजल के लिए बहुत बहुत बधाई । जनाब नीरज कुमार जी ग़ज़ल में शि…tag:openbooksonline.com,2017-07-26:5170231:Comment:8687042017-07-26T05:59:59.229ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब नीरज कुमार जी ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब नीरज कुमार जी ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ । प्रिय भाई जनाब विजय निकोर जी…tag:openbooksonline.com,2017-07-26:5170231:Comment:8689542017-07-26T05:58:29.145ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
प्रिय भाई जनाब विजय निकोर जी आदाब,आपकी प्रतिक्रया पाकर मुग्ध हूँ,आपने हमेशा मेरी ग़ज़लों को अपने क़ीमती अल्फ़ाज़ से इज़्ज़त बख़्शी है,और अच्छे से अच्छा लिखने के लिए मेरी हौसला अफ़ज़ाई की है, इसके लिए दिल की गहराइयों से आपका शुक्रिया ।<br />
ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए भी आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
प्रिय भाई जनाब विजय निकोर जी आदाब,आपकी प्रतिक्रया पाकर मुग्ध हूँ,आपने हमेशा मेरी ग़ज़लों को अपने क़ीमती अल्फ़ाज़ से इज़्ज़त बख़्शी है,और अच्छे से अच्छा लिखने के लिए मेरी हौसला अफ़ज़ाई की है, इसके लिए दिल की गहराइयों से आपका शुक्रिया ।<br />
ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए भी आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ । आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब, ब…tag:openbooksonline.com,2017-07-25:5170231:Comment:8689272017-07-25T11:28:34.947ZNiraj Kumarhttp://openbooksonline.com/profile/NirajKumar406
<p><span>आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब, बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद.</span></p>
<p>सादर</p>
<p><span> </span></p>
<p><span>आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब, बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद.</span></p>
<p>सादर</p>
<p><span> </span></p> खूदसूरत ! इतनी खूबसूरत गज़ल !…tag:openbooksonline.com,2017-07-25:5170231:Comment:8686712017-07-25T10:14:31.587Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p></p>
<p>खूदसूरत ! इतनी खूबसूरत गज़ल ! हर एक शेर मानों हाथ पकड़ कर रोक लेता है, और हर शेर पर दिल कहता है, "वाह" । आपके कारण ओ बी ओ मंच अच्छी गज़लों से बहुत अमीर है, भाई समर कबीर जी।</p>
<p></p>
<p>खूदसूरत ! इतनी खूबसूरत गज़ल ! हर एक शेर मानों हाथ पकड़ कर रोक लेता है, और हर शेर पर दिल कहता है, "वाह" । आपके कारण ओ बी ओ मंच अच्छी गज़लों से बहुत अमीर है, भाई समर कबीर जी।</p>