Comments - ग़ज़ल (दिल सितमगर के नाम कर बैठे ) - Open Books Online2024-03-29T07:36:01Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A871185&xn_auth=noमुहतरम जनाब गिरिराज भाई साहिब…tag:openbooksonline.com,2017-08-07:5170231:Comment:8721122017-08-07T10:38:38.436ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
मुहतरम जनाब गिरिराज भाई साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला का बहुत बहुत शुक्रिया
मुहतरम जनाब गिरिराज भाई साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला का बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय तस्दीक भाई , अच्छी गज़ल…tag:openbooksonline.com,2017-08-06:5170231:Comment:8718392017-08-06T11:47:17.795Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय तस्दीक भाई , अच्छी गज़ल कही है , दिल से बधाइयाँ स्वीकार कीजिये ।</p>
<p>आदरणीय तस्दीक भाई , अच्छी गज़ल कही है , दिल से बधाइयाँ स्वीकार कीजिये ।</p> मुहतरम जनाब रवि साहिब, ग़ज़ल मे…tag:openbooksonline.com,2017-08-06:5170231:Comment:8715972017-08-06T10:41:42.202ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
मुहतरम जनाब रवि साहिब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
मुहतरम जनाब रवि साहिब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया वाह वाह आदरणीय तस्दीक साहब बह…tag:openbooksonline.com,2017-08-06:5170231:Comment:8715802017-08-06T07:16:02.675ZRavi Shuklahttp://openbooksonline.com/profile/RaviShukla
<p>वाह वाह आदरणीय तस्दीक साहब बहुत ही उम्दा गजल कही है हर शेर पढ़ कर मजा आ गया शेर दर शेर दिली दाद और मुबारकबाद पेश करते हैं सादर</p>
<p>वाह वाह आदरणीय तस्दीक साहब बहुत ही उम्दा गजल कही है हर शेर पढ़ कर मजा आ गया शेर दर शेर दिली दाद और मुबारकबाद पेश करते हैं सादर</p> जनाब ब्रजेश कुमार साहिब ,ग़ज़ल…tag:openbooksonline.com,2017-08-06:5170231:Comment:8716682017-08-06T06:50:13.684ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
जनाब ब्रजेश कुमार साहिब ,ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
जनाब ब्रजेश कुमार साहिब ,ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया वाह वाह बहुतखूब ग़ज़ल कही आदरणीयtag:openbooksonline.com,2017-08-06:5170231:Comment:8717492017-08-06T02:25:44.641Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
वाह वाह बहुतखूब ग़ज़ल कही आदरणीय
वाह वाह बहुतखूब ग़ज़ल कही आदरणीय जनाब सुशील सरना साहिब ,ग़ज़ल मे…tag:openbooksonline.com,2017-08-05:5170231:Comment:8717312017-08-05T10:06:12.274ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
जनाब सुशील सरना साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत ,खूबसूरत प्रतिक्रिया और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
जनाब सुशील सरना साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत ,खूबसूरत प्रतिक्रिया और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया जनाब गजेन्द्र साहिब ,ग़ज़ल में…tag:openbooksonline.com,2017-08-05:5170231:Comment:8716542017-08-05T10:04:03.247ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
जनाब गजेन्द्र साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
जनाब गजेन्द्र साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ज़िन्दगी हम तमाम कर बैठे।दिल स…tag:openbooksonline.com,2017-08-05:5170231:Comment:8717292017-08-05T09:35:47.163ZSushil Sarnahttp://openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>ज़िन्दगी हम तमाम कर बैठे।<br/>दिल सितमगर के नाम कर बैठे।</p>
<p>हो गई सिर्फ हम से यह गलती<br/>राजे उल्फत को आम कर बैठे।</p>
<p>वाह एक बेहतरीन ग़ज़ल ... दिल से बधाई कबूल करें आदरणीय।</p>
<p>ज़िन्दगी हम तमाम कर बैठे।<br/>दिल सितमगर के नाम कर बैठे।</p>
<p>हो गई सिर्फ हम से यह गलती<br/>राजे उल्फत को आम कर बैठे।</p>
<p>वाह एक बेहतरीन ग़ज़ल ... दिल से बधाई कबूल करें आदरणीय।</p> बहुत खूब आ० तस्दीक अहमद साहब।…tag:openbooksonline.com,2017-08-05:5170231:Comment:8717232017-08-05T07:20:04.575ZGajendra shrotriyahttp://openbooksonline.com/profile/Gajendrashrotriya
बहुत खूब आ० तस्दीक अहमद साहब। खूबसूरत गजल के लिए दिली दाद।
बहुत खूब आ० तस्दीक अहमद साहब। खूबसूरत गजल के लिए दिली दाद।