Comments - ग़ज़ल (दिल से बाहर ही न निकले दिलरुबा तेरा ख़याल ) - Open Books Online2024-03-28T20:36:20Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A874073&xn_auth=noजनाब राज़ नवादवी साहिब ,ग़ज़ल मे…tag:openbooksonline.com,2017-08-28:5170231:Comment:8767682017-08-28T16:03:51.165ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
जनाब राज़ नवादवी साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
जनाब राज़ नवादवी साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया जनाब सलीम रज़ा साहिब ,ग़ज़ल में…tag:openbooksonline.com,2017-08-28:5170231:Comment:8768312017-08-28T16:02:10.098ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
जनाब सलीम रज़ा साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
जनाब सलीम रज़ा साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया जनाब तस्दीक साहब, बहुत ही उम्…tag:openbooksonline.com,2017-08-27:5170231:Comment:8764782017-08-27T15:58:33.867Zराज़ नवादवीhttp://openbooksonline.com/profile/RazNawadwi
<p>जनाब तस्दीक साहब, बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है, <span>दाद के साथ मुबारकबाद. मतला भी ख़ूबसूरत है. ये अशआर भी दिल को लुभा गए:</span></p>
<p></p>
<p>उम्र भर कैसे निभेगा साथ मुश्किल है यही <br/>है अलग मेरा तसव्वुर और जुदा तेरा ख़याल |</p>
<p></p>
<p>हो न हो तुझको यकीं लेकिन है सच्चाई यही <br/>किस ने आख़िर है किया मेरे सिवा तेरा ख़याल |</p>
<p></p>
<p><span>फ़र्हतें मिलते ही इन्सा भूल जाता है तुझे </span><br/><span>वक़्ते मुश्किल आए सबको ही ख़ुदा तेरा ख़याल|</span></p>
<p></p>
<p>सादर </p>
<p>जनाब तस्दीक साहब, बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है, <span>दाद के साथ मुबारकबाद. मतला भी ख़ूबसूरत है. ये अशआर भी दिल को लुभा गए:</span></p>
<p></p>
<p>उम्र भर कैसे निभेगा साथ मुश्किल है यही <br/>है अलग मेरा तसव्वुर और जुदा तेरा ख़याल |</p>
<p></p>
<p>हो न हो तुझको यकीं लेकिन है सच्चाई यही <br/>किस ने आख़िर है किया मेरे सिवा तेरा ख़याल |</p>
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<p><span>फ़र्हतें मिलते ही इन्सा भूल जाता है तुझे </span><br/><span>वक़्ते मुश्किल आए सबको ही ख़ुदा तेरा ख़याल|</span></p>
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<p>सादर </p> जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,…tag:openbooksonline.com,2017-08-27:5170231:Comment:8767152017-08-27T15:45:33.438ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब, बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,दाद के साथ मुबारकबाद,
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब, बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,दाद के साथ मुबारकबाद, मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आद…tag:openbooksonline.com,2017-08-21:5170231:Comment:8750962017-08-21T14:49:20.234ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत एयर हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया, महरबानी
मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत एयर हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया, महरबानी जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,उ…tag:openbooksonline.com,2017-08-21:5170231:Comment:8752102017-08-21T12:37:09.600ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ । जनाब लक्ष्मण धामी साहिब ,ग़ज़ल…tag:openbooksonline.com,2017-08-20:5170231:Comment:8748932017-08-20T16:45:52.119ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
जनाब लक्ष्मण धामी साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत औऱ हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
जनाब लक्ष्मण धामी साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत औऱ हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सुंदर…tag:openbooksonline.com,2017-08-20:5170231:Comment:8749492017-08-20T15:35:42.390Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई । जनाब ब्रजेश कुमार साहिब ,ग़ज़ल…tag:openbooksonline.com,2017-08-19:5170231:Comment:8746672017-08-19T04:04:33.513ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
जनाब ब्रजेश कुमार साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
जनाब ब्रजेश कुमार साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया हो न हो तुझको यकीं लेकिन है स…tag:openbooksonline.com,2017-08-18:5170231:Comment:8745332017-08-18T17:14:03.497Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
हो न हो तुझको यकीं लेकिन है सच्चाई यही<br />
किस ने आख़िर है किया मेरे सिवा तेरा ख़याल | वाह वाह आदरणीय बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुआ..
हो न हो तुझको यकीं लेकिन है सच्चाई यही<br />
किस ने आख़िर है किया मेरे सिवा तेरा ख़याल | वाह वाह आदरणीय बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुआ..