Comments - दरगाह - Open Books Online2024-03-28T22:34:35Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A874856&xn_auth=noरचना की सराहना के लिए आपका हा…tag:openbooksonline.com,2017-08-31:5170231:Comment:8781012017-08-31T13:48:27.965Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p><span>रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय फूल सिहं जी।</span></p>
<p><span>रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय फूल सिहं जी।</span></p> बेहतरीन रचनाtag:openbooksonline.com,2017-08-31:5170231:Comment:8781192017-08-31T10:37:08.978ZPHOOL SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/PHOOLSINGH
<p>बेहतरीन रचना</p>
<p>बेहतरीन रचना</p> //अपने अन्तेर्मन के द्वन्द को…tag:openbooksonline.com,2017-08-28:5170231:Comment:8765012017-08-28T08:34:26.955Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>//<span>अपने अन्तेर्मन के द्वन्द को खुले गगन के नीचे दिन और रात के बीच , सुंदर और आकर्षित बिम्बों का इस्तमाल किया है//</span></p>
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<p>इस सुन्दर भाव से मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए हार्दिक आभार, आदरणीया कल्पना जी।</p>
<p>//<span>अपने अन्तेर्मन के द्वन्द को खुले गगन के नीचे दिन और रात के बीच , सुंदर और आकर्षित बिम्बों का इस्तमाल किया है//</span></p>
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<p>इस सुन्दर भाव से मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए हार्दिक आभार, आदरणीया कल्पना जी।</p> रचना की सराहना के लिए आपका हा…tag:openbooksonline.com,2017-08-27:5170231:Comment:8766212017-08-27T11:46:29.032Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p><span>रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय मित्र नरेन्द्रसिंह जी।</span></p>
<p><span>रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय मित्र नरेन्द्रसिंह जी।</span></p> अपने अन्तेर्मन के द्वन्द को ख…tag:openbooksonline.com,2017-08-27:5170231:Comment:8763932017-08-27T11:16:48.682ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>अपने अन्तेर्मन के द्वन्द को खुले गगन के नीचे दिन और रात के बीच , सुंदर और आकर्षित बिम्बों का इस्तमाल किया है आदरणीय | बहुत सुंदर रचना हुई है | हार्दिक बधाई आपको |</p>
<p>अपने अन्तेर्मन के द्वन्द को खुले गगन के नीचे दिन और रात के बीच , सुंदर और आकर्षित बिम्बों का इस्तमाल किया है आदरणीय | बहुत सुंदर रचना हुई है | हार्दिक बधाई आपको |</p> शानदार रचना tag:openbooksonline.com,2017-08-26:5170231:Comment:8763732017-08-26T11:53:24.913Znarendrasinh chauhanhttp://openbooksonline.com/profile/narendrasinhchauhan
<p>शानदार रचना </p>
<p>शानदार रचना </p> रचना की सराहना के लिए आपका ह…tag:openbooksonline.com,2017-08-24:5170231:Comment:8756722017-08-24T18:29:50.632Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p><span> <span>रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय मित्र</span> शेख शहज़ाद उस्मानी जी।</span></p>
<p><span> <span>रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय मित्र</span> शेख शहज़ाद उस्मानी जी।</span></p> आत्मा जिनकी मृतप्राय हो गई है…tag:openbooksonline.com,2017-08-24:5170231:Comment:8757112017-08-24T13:38:59.410ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
आत्मा जिनकी मृतप्राय हो गई है, तनाव के आसमान जहां हैं... आत्मावलोकन की जहां ज़रूरत है... ! विचारोत्तेजक व चिंतन मनन करने को प्रेरित करती बेहतरीन रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय विजय निकोल जी।
आत्मा जिनकी मृतप्राय हो गई है, तनाव के आसमान जहां हैं... आत्मावलोकन की जहां ज़रूरत है... ! विचारोत्तेजक व चिंतन मनन करने को प्रेरित करती बेहतरीन रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय विजय निकोल जी। रचना की सराहना के लिए आपका हा…tag:openbooksonline.com,2017-08-24:5170231:Comment:8754042017-08-24T11:43:56.825Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p><span>रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय मित्र गिरिराज जी ।</span></p>
<p><span>रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय मित्र गिरिराज जी ।</span></p> रचना की सराहना के लिए आपका हा…tag:openbooksonline.com,2017-08-24:5170231:Comment:8754032017-08-24T11:42:24.636Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p><span>रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय मित्र तस्दीक जी ।</span></p>
<p><span>रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय मित्र तस्दीक जी ।</span></p>