Comments - ग़ज़ल --पाक आतंकी कभी बाज़ आएँ क्या - Open Books Online2024-03-29T01:26:54Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A883408&xn_auth=noआ. मण्डल जी,अच्छा प्रयास हुआ…tag:openbooksonline.com,2017-09-26:5170231:Comment:8844172017-09-26T06:55:50.190ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooksonline.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>आ. मण्डल जी,<br/>अच्छा प्रयास हुआ है..समर सर कह ही चुके हैं...<br/>मेरी दिक्कत शीर्षक को लेकर है ..</p>
<p><strong style="font-size: 2em;">पाक आतंकी कभी बाज़ आएँ क्या..<br/></strong>ये शब्द पाक आतंकी वर्तमान मीडिया ने हमारे मुँह में ठूँस दिया है... पाकिस्तानी आतंकी को पाक (पवित्र) आतंकी बना दिया है.<br/>आतंकी कहीं के भी हो, किसी भी मुल्क, मज़हब के हों.. <strong>नापाक ही</strong> रहेंगे अत: एक ग़ज़लकार के रूप में ऐसे भ्रांतिपूर्ण शब्दों से बचना चाहिए..<br/>सादर </p>
<p>आ. मण्डल जी,<br/>अच्छा प्रयास हुआ है..समर सर कह ही चुके हैं...<br/>मेरी दिक्कत शीर्षक को लेकर है ..</p>
<p><strong style="font-size: 2em;">पाक आतंकी कभी बाज़ आएँ क्या..<br/></strong>ये शब्द पाक आतंकी वर्तमान मीडिया ने हमारे मुँह में ठूँस दिया है... पाकिस्तानी आतंकी को पाक (पवित्र) आतंकी बना दिया है.<br/>आतंकी कहीं के भी हो, किसी भी मुल्क, मज़हब के हों.. <strong>नापाक ही</strong> रहेंगे अत: एक ग़ज़लकार के रूप में ऐसे भ्रांतिपूर्ण शब्दों से बचना चाहिए..<br/>सादर </p> आदरणीय समर कबीर साहिब सादर आ…tag:openbooksonline.com,2017-09-26:5170231:Comment:8842682017-09-26T06:41:26.090ZKalipad Prasad Mandalhttp://openbooksonline.com/profile/KalipadPrasadMandal
<dl class="comment vcard xg_lightborder" id="c_79b">
<dd><div class="xg_user_generated"><p>आदरणीय समर कबीर साहिब सादर आदाब , आपकी नज़र से बच नहीं पाई बात | आपने सही कहा यह ग़ालिब की जमीन पर लिखी गई है |आज कल मैं ग़ालिब की गजलों का अध्ययन कर रहा हूँ | उसके आधार पर जो कुछ बनता है लिखने की कोशिश करता हूँ | लेकिन ग़ालिब की रचना में भी, ओ बी ओ में प्रकाशित नियमो के मुताबिक़ कई दोष नज़र आये | इसके बारे में आपसे परामर्श बाद में किसी दिन करेंगे | फिलहाल अपने जो विन्दुवत टिप्पणी और सलाह दी , उसके लिए आपका…</p>
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<dd><div class="xg_user_generated"><p>आदरणीय समर कबीर साहिब सादर आदाब , आपकी नज़र से बच नहीं पाई बात | आपने सही कहा यह ग़ालिब की जमीन पर लिखी गई है |आज कल मैं ग़ालिब की गजलों का अध्ययन कर रहा हूँ | उसके आधार पर जो कुछ बनता है लिखने की कोशिश करता हूँ | लेकिन ग़ालिब की रचना में भी, ओ बी ओ में प्रकाशित नियमो के मुताबिक़ कई दोष नज़र आये | इसके बारे में आपसे परामर्श बाद में किसी दिन करेंगे | फिलहाल अपने जो विन्दुवत टिप्पणी और सलाह दी , उसके लिए आपका सादर आभार | वास्तव में मैं ऐसा ही टिप्पणी चाहता हूँ जिससे कुछ सिखने के लिए मिले| रचना को समय देने के लिए सादर आभार |</p>
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<dt><a name="first_comment" id="first_comment"></a><a name="comment-5170231_Comment_884339" id="comment-5170231_Comment_884339"></a><span class="xg_avatar"><a class="fn url" href="http://www.openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832" title="KALPANA BHATT ('रौनक़')"></a></span></dt>
</dl> बहुत अच्छी ग़ज़ल | बधाई आदरणीय |tag:openbooksonline.com,2017-09-25:5170231:Comment:8843392017-09-25T17:11:13.475ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>बहुत अच्छी ग़ज़ल | बधाई आदरणीय |</p>
<p>बहुत अच्छी ग़ज़ल | बधाई आदरणीय |</p> जनाब कालीपद प्रसाद जी आदाब,ग़ा…tag:openbooksonline.com,2017-09-25:5170231:Comment:8838952017-09-25T09:30:10.182ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब कालीपद प्रसाद जी आदाब,ग़ालिब की ज़मीन में ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।<br />
'राइफल बन्दुक से हम घबराएँ क्या'<br />
ये मिसरा लय में नहीं है,'बन्दुक'ग़लत शब्द है,सही शब्द है "बन्दूक़",इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं :-<br />
'राइफ़ल बन्दूक़ से घबराएँ क्या'<br />
<br />
'फ़िल्म पूरा अब मियाँ दिखलाएँ क्या'<br />
इस मिसरे में 'फ़िल्म'शब्द स्त्रीलिंग है, देखियेगा ।<br />
'बेसब्री को और हम भड़काएँ क्या'<br />
ये मिसरा लय में नहीं है ।
जनाब कालीपद प्रसाद जी आदाब,ग़ालिब की ज़मीन में ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।<br />
'राइफल बन्दुक से हम घबराएँ क्या'<br />
ये मिसरा लय में नहीं है,'बन्दुक'ग़लत शब्द है,सही शब्द है "बन्दूक़",इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं :-<br />
'राइफ़ल बन्दूक़ से घबराएँ क्या'<br />
<br />
'फ़िल्म पूरा अब मियाँ दिखलाएँ क्या'<br />
इस मिसरे में 'फ़िल्म'शब्द स्त्रीलिंग है, देखियेगा ।<br />
'बेसब्री को और हम भड़काएँ क्या'<br />
ये मिसरा लय में नहीं है । आदरणीय कालीपद प्रसाद जी सादर…tag:openbooksonline.com,2017-09-24:5170231:Comment:8838742017-09-24T23:18:17.974Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
आदरणीय कालीपद प्रसाद जी सादर अभिवादन, ग़ज़ल का उम्दा प्रयास । बधाई स्वीकार करें । शेष गुणीजनों के हवाले।
आदरणीय कालीपद प्रसाद जी सादर अभिवादन, ग़ज़ल का उम्दा प्रयास । बधाई स्वीकार करें । शेष गुणीजनों के हवाले। आदरणीय कालीपद प्रसाद जी आदाब,…tag:openbooksonline.com,2017-09-24:5170231:Comment:8837342017-09-24T02:29:16.960ZMohammed Arifhttp://openbooksonline.com/profile/MohammedArif
आदरणीय कालीपद प्रसाद जी आदाब, ग़ज़ल का एक च्छा प्रयास । बधाई स्वीकार करें । गुणीजनों के आने का इंतज़ार करें।
आदरणीय कालीपद प्रसाद जी आदाब, ग़ज़ल का एक च्छा प्रयास । बधाई स्वीकार करें । गुणीजनों के आने का इंतज़ार करें। आदरणीय काली प्रसाद जी वर्तमान…tag:openbooksonline.com,2017-09-23:5170231:Comment:8835632017-09-23T11:06:56.211ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooksonline.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय काली प्रसाद जी वर्तमान में घटित घटनाओं का बढ़िया जिक्र है इस ग़ज़ल में इस रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर </p>
<p>आदरणीय काली प्रसाद जी वर्तमान में घटित घटनाओं का बढ़िया जिक्र है इस ग़ज़ल में इस रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर </p>