Comments - ग़ज़ल: जिन्दगी में न वन्दगी आई - Open Books Online2024-03-29T07:33:36Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A889602&xn_auth=noजनाब मुनीष तन्हा जी आदाब,ग़ज़ल…tag:openbooksonline.com,2017-10-16:5170231:Comment:8898572017-10-16T15:51:37.714ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब मुनीष तन्हा जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।<br />
मतले के ऊला मिसरे में 'वन्दगी' को "बन्दगी" कर लें ।<br />
'अब भरोसा करें बात किस पर'<br />
इस मिसरे में टंकण त्रुटि के कारण 'बता'की जगह "बात"होने से मिसरा बह्र से ख़ारिज हो रहा है,द्यरूस्त कर लें ।<br />
मक़्ते में 'शेहनाई' को "शहनाई" कर लें ।
जनाब मुनीष तन्हा जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।<br />
मतले के ऊला मिसरे में 'वन्दगी' को "बन्दगी" कर लें ।<br />
'अब भरोसा करें बात किस पर'<br />
इस मिसरे में टंकण त्रुटि के कारण 'बता'की जगह "बात"होने से मिसरा बह्र से ख़ारिज हो रहा है,द्यरूस्त कर लें ।<br />
मक़्ते में 'शेहनाई' को "शहनाई" कर लें । छटे शेर का ऊला मिसरा,,tag:openbooksonline.com,2017-10-16:5170231:Comment:8899142017-10-16T09:52:09.242ZAfroz 'sahr'http://openbooksonline.com/profile/Afrozsahr
छटे शेर का ऊला मिसरा,,
छटे शेर का ऊला मिसरा,, आदरणीय मुनीष जी इस सुंदर रचना…tag:openbooksonline.com,2017-10-16:5170231:Comment:8899122017-10-16T09:49:30.280ZAfroz 'sahr'http://openbooksonline.com/profile/Afrozsahr
आदरणीय मुनीष जी इस सुंदर रचना के लिए आपको बहुत मुबारकबाद छटे शेर का सानी मिसरा बह्र में नहीं है।<br />
"बात यीशू ने सच की बतलाई" में "सच की" जगह "सच ही" करलें तो ज़ियादा बेहतर होगा सादर,,,
आदरणीय मुनीष जी इस सुंदर रचना के लिए आपको बहुत मुबारकबाद छटे शेर का सानी मिसरा बह्र में नहीं है।<br />
"बात यीशू ने सच की बतलाई" में "सच की" जगह "सच ही" करलें तो ज़ियादा बेहतर होगा सादर,,, आ. मुनीश "तन्हा" नादौन,
ख़ूबस…tag:openbooksonline.com,2017-10-16:5170231:Comment:8898452017-10-16T08:19:28.466ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
आ. मुनीश "तन्हा" नादौन,<br />
ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई.
आ. मुनीश "तन्हा" नादौन,<br />
ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई.