Comments - गीत-क्रंदन कर उठे हैं भावना के द्वार पर-बृजेश कुमार 'ब्रज' - Open Books Online2024-03-28T11:59:28Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A890490&xn_auth=noआदरणीय डा.गोपाल नारायण जी रचन…tag:openbooksonline.com,2017-10-22:5170231:Comment:8912542017-10-22T12:15:03.209Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
आदरणीय डा.गोपाल नारायण जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन वंदन है।पे का प्रयोग सिर्फ इसलिए की पर की पुनरावृत्ति न हो हालाँकि पर किया जा सकता है।आपका सुझाव सर्वथा उचित है..सादर
आदरणीय डा.गोपाल नारायण जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन वंदन है।पे का प्रयोग सिर्फ इसलिए की पर की पुनरावृत्ति न हो हालाँकि पर किया जा सकता है।आपका सुझाव सर्वथा उचित है..सादर आदरणीय लक्ष्मण लडीवाला जी रचन…tag:openbooksonline.com,2017-10-22:5170231:Comment:8912532017-10-22T12:10:08.398Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
आदरणीय लक्ष्मण लडीवाला जी रचना सुन्दर शब्दों में उत्साहवर्धन के लिए आपको प्रणाम करता हूँ..सादर
आदरणीय लक्ष्मण लडीवाला जी रचना सुन्दर शब्दों में उत्साहवर्धन के लिए आपको प्रणाम करता हूँ..सादर आ० वृजेश जी ,सही शब्द - फाक…tag:openbooksonline.com,2017-10-22:5170231:Comment:8911732017-10-22T06:39:34.382Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० वृजेश जी ,सही शब्द - फाकाकशी है . खड़ी बोली कविता में 'पे' का प्रयोग क्यों ? ' तीज पर त्योहार् पर ' सही होता . इसी प्रकार दीप जलते हैं कहीं पर भी सही होता . पे और पर सममात्रिक हैं फिर पर क्यों नहीं . आपकी सम्पूर्ण कविता भावों से जगमग है . मैं ऐसी ही कविताये पसंद करता हूँ . आपको बहुत बहुत बधाई . .</p>
<p>आ० वृजेश जी ,सही शब्द - फाकाकशी है . खड़ी बोली कविता में 'पे' का प्रयोग क्यों ? ' तीज पर त्योहार् पर ' सही होता . इसी प्रकार दीप जलते हैं कहीं पर भी सही होता . पे और पर सममात्रिक हैं फिर पर क्यों नहीं . आपकी सम्पूर्ण कविता भावों से जगमग है . मैं ऐसी ही कविताये पसंद करता हूँ . आपको बहुत बहुत बधाई . .</p> गीत क्रंदन कर उठे हैंभावना के…tag:openbooksonline.com,2017-10-22:5170231:Comment:8911692017-10-22T05:23:34.178Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://openbooksonline.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p><span>गीत क्रंदन कर उठे हैं</span><br/><span>भावना के द्वार पर | --- अति सुंदर और मार्मिक गीत रचना के लिए हार्दिक बधाई श्री ब्रिजेश कुमार 'बृज' जी </span></p>
<p><span>गीत क्रंदन कर उठे हैं</span><br/><span>भावना के द्वार पर | --- अति सुंदर और मार्मिक गीत रचना के लिए हार्दिक बधाई श्री ब्रिजेश कुमार 'बृज' जी </span></p> आदरणीय सलीम साहब आपको भी दीप…tag:openbooksonline.com,2017-10-20:5170231:Comment:8909432017-10-20T10:28:33.281Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
आदरणीय सलीम साहब आपको भी दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं..आपका हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ सादर
आदरणीय सलीम साहब आपको भी दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं..आपका हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ सादर आदरणीय डा.साहब आपका हार्दिक ध…tag:openbooksonline.com,2017-10-20:5170231:Comment:8909422017-10-20T10:25:20.842Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
आदरणीय डा.साहब आपका हार्दिक धन्यवाद दीप पर्व की बधाई..आदरणीय मेरे हिसाब से सही शब्द शृंगार ही है..लेकिन श्रृंगार का प्रयोग ज्यादा दिखाई देता है..ये टाइपिंग मिस्टेक है मैं इसे दूर करता हूँ..सादर
आदरणीय डा.साहब आपका हार्दिक धन्यवाद दीप पर्व की बधाई..आदरणीय मेरे हिसाब से सही शब्द शृंगार ही है..लेकिन श्रृंगार का प्रयोग ज्यादा दिखाई देता है..ये टाइपिंग मिस्टेक है मैं इसे दूर करता हूँ..सादर आदरणीय बृजेश जी,
दीपोत्सव पर…tag:openbooksonline.com,2017-10-20:5170231:Comment:8909402017-10-20T09:50:01.075ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
आदरणीय बृजेश जी,<br />
दीपोत्सव पर इस सुन्दर गीत प्रस्तुति के बधाईयाँ और दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये.<br />
सादर
आदरणीय बृजेश जी,<br />
दीपोत्सव पर इस सुन्दर गीत प्रस्तुति के बधाईयाँ और दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये.<br />
सादर आदरणीय भाई ब्रज जी बहुत ही शा…tag:openbooksonline.com,2017-10-20:5170231:Comment:8909372017-10-20T07:17:46.061ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooksonline.com/profile/DrAshutoshMishra
आदरणीय भाई ब्रज जी बहुत ही शानदार मनभावन गीत लिखा है आपने इस शानदार रचना के लिए हार्दिक बधाई। मुझे थोडा संशय श्रृंगार की शृंगार लिखा जाता है बहुत पहले इस पर कभी चर्चा हुयी थी। मैं गलत भी ही सकता हूँ सादर
आदरणीय भाई ब्रज जी बहुत ही शानदार मनभावन गीत लिखा है आपने इस शानदार रचना के लिए हार्दिक बधाई। मुझे थोडा संशय श्रृंगार की शृंगार लिखा जाता है बहुत पहले इस पर कभी चर्चा हुयी थी। मैं गलत भी ही सकता हूँ सादर आदरणीय सौरभ सर आपकी टिप्पड़ी स…tag:openbooksonline.com,2017-10-20:5170231:Comment:8909212017-10-20T03:42:27.485Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
आदरणीय सौरभ सर आपकी टिप्पड़ी से बड़ी प्रसन्नता हुई..ये कभी तो पूछिये बिलकुल किया जा सकता है..लिखते समय दोनों ही विकल्प ध्यान में थे..आपका हार्दिक धन्यवाद
आदरणीय सौरभ सर आपकी टिप्पड़ी से बड़ी प्रसन्नता हुई..ये कभी तो पूछिये बिलकुल किया जा सकता है..लिखते समय दोनों ही विकल्प ध्यान में थे..आपका हार्दिक धन्यवाद इस स्तरीय प्रयास केलिए हार्दि…tag:openbooksonline.com,2017-10-19:5170231:Comment:8907342017-10-19T18:24:48.638ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>इस स्तरीय प्रयास केलिए हार्दिक बधाइयां ! आप गीतों पर निरंतर अभ्यास करते हैं, आदरणीय </p>
<p>शुभेच्छाएँ. </p>
<p></p>
<p>एक बात : </p>
<p><span>हाल क्या है मुफलिसों का? </span><span>भी कभी तो पूछिये .. इसे यों अवश्य कर सकते हैं - <span>हाल क्या है मुफलिसों का? ये</span><span> कभी तो पूछिये</span></span></p>
<p>सादर </p>
<p>इस स्तरीय प्रयास केलिए हार्दिक बधाइयां ! आप गीतों पर निरंतर अभ्यास करते हैं, आदरणीय </p>
<p>शुभेच्छाएँ. </p>
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<p>एक बात : </p>
<p><span>हाल क्या है मुफलिसों का? </span><span>भी कभी तो पूछिये .. इसे यों अवश्य कर सकते हैं - <span>हाल क्या है मुफलिसों का? ये</span><span> कभी तो पूछिये</span></span></p>
<p>सादर </p>